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हिदी का विरोध करने वाला तू सच्चा हिन्दुस्तानी नहीं..

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में हास्य-व्यंग्य का जलवा ------------------- असम यूपी हैदराबाद पश्चि

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 07:19 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 07:19 PM (IST)
हिदी का विरोध करने वाला तू सच्चा हिन्दुस्तानी नहीं..
हिदी का विरोध करने वाला तू सच्चा हिन्दुस्तानी नहीं..

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में हास्य-व्यंग्य का जलवा

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असम, यूपी, हैदराबाद, पश्चिम बंगाल और बिहार के कवि-कवयित्री हुए शामिल

------------------ फोटो- 13 ------------------------- संसू, हिसुआ : हिदी का विरोध करने वाला तू सच्चा हिन्दुस्तानी नहीं है जैसी पंक्तियों से शुक्रवार की देर शाम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में बिहार के व्यंग्य की गूंज रही। हिदी पखवारे के मौके पर आयोजित काव्य रस धारा में बिहार से उपस्थित रहे हिसुआ के उदय कुमार भारती ने हिदी की गरिमा, क्षेत्रिय भाषाओं की उपेक्षा और भाषाई एकता के संदेश लिए व्यंग वाण चलाया। नवादा और हिसुआ के लोग इस ऑनलाइन लाइव को फेसबुक और यूट्यूब से देख रहे और कमेंट कर रहे थे। तारांजलि फाउंडेशन गाजियाबाद के काव्य रस धारा के काव्योत्सव में असम, नोएडा, हैदराबाद, पश्चिम बंगाल, हरियाणा के कवि और कवयित्री शामिल हुए थे। कार्यक्रम की शुरूआत फाउंडेशन की अध्यक्षा शैलजा सिंह के कवि परिचय और गीत से हुआ। शैलजा सिंह ने इस दौर ने कितनों को बदलना सीखा दिया जो डगमगा रहे थे उन्हें संभलना सीखा दिया से समय और सृजन की शक्ति को रेखांकित किया। हैदराबाद की राजभाषा सहायक निदेश डॉ. अर्चना पांडेय ने विद्वता भरी पंक्तियों के साथ मंच संचालन किया। सरस्वती बंदना, हिन्दी की गरिमा और नारी शक्ति व सीता की अग्निपरीक्षा से गुजरती कंगना के पक्ष की कविताओं से सबको प्रभावित किया। पूर्वोत्तर असम की रीता सिंह सर्जना ने पूर्वाई बिहु गाकर सबको लुभाया। जिया सबके लिए हर पल कभी मांगा नहीं कुछ कविता से प्रभाव रखा तो हां मैं एक मजदूर हूं, मेरी दिहाड़ी पर टिकी रहती पेट को बुझाने वाली उम्मीदें से मजदूर के दर्द को रखा। उत्तर प्रदेश गोरखपुर व नोएडा के डॉ. शीश पाठक ने- हे प्रखर राष्ट्र के दीपक, अंतिम क्षण तक लड़ना काव्य पंक्ति से हौसला और जीवन की आशाओं को रेखांकित किया। साथ ही मेहनतकशों की जिन्दगी की जद्दोजहद पर प्रभावशाली पंक्तियां कही। पश्चिम बंगाल की अनीमा मंडल ने हंसगुल्ले से सबकों हंसाया, लुभाया। दिले नादां की दवा हूं मैं, इश्क करने की अदा हूं मैं की पंक्तियों से प्रेम फुहार बरसाई । अपनी आशु कवि प्रतिभा को दिखाते हुए सभी कवि- कवयित्रियों पर ही हास्य-वाण चला दिया। व्यंग्यकार उदय भारती ने हिन्दी और क्षेत्रिय भाषा की उपेक्षा और भेद पर प्रहार किया। अंत में सभी की ओर से अर्चना पांडेय ने बेहतर संयोजन के लिए तारांजलि के संरक्षक डॉ. तारा सिंह अंशुल, अध्यक्षा सैलजा सिंह, सचिव सुनीता सिंह सहित सभी देखने, लाइक और कमेंट करने वाले लोगों को धन्यवाद दिया।


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