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सरकट्टी गांव में सूख गए 33 चापाकल व 4 बोरवेल

प्रखंडक्षेत्र के सरकट्टी ग्रामीण पेयजल की समस्या से त्रस्त हैं। महीनो से पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण जलस्त्रोतों से पानी की उपलब्धता प्रभावित हुई है। खेती कार्य के लिए किसानों द्वारा भूजल का अत्यधिक दोहन के चलते आंतरिक जल स्तर में काफी गिरावट आई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 11:11 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 11:11 PM (IST)
सरकट्टी गांव में सूख गए 33 चापाकल व 4 बोरवेल
सरकट्टी गांव में सूख गए 33 चापाकल व 4 बोरवेल

प्रखंडक्षेत्र के सरकट्टी ग्रामीण पेयजल की समस्या से त्रस्त हैं। महीनो से पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण जलस्त्रोतों से पानी की उपलब्धता प्रभावित हुई है। खेती कार्य के लिए किसानों द्वारा भूजल का अत्यधिक दोहन के चलते आंतरिक जल स्तर में काफी गिरावट आई है। फलस्वरूप, चापाकलों ने धीरे-धीरे पानी उगलना बंद कर दिया है। फिलवक्त, उक्त गांव में 33 चापाकल, 04 विद्युत बोरवेल तथा कई कुआं सूखे पड़े हैं। लिहाजा दर्जनों परिवार दूसरे के चापाकल से पानी लाने को विवश हैं। सुबह होते ही लोगों को हाथ में बाल्टी लिए पानी के लिये भटकते देखा जा सकता है। ऐसे में मिनरल वाटर सप्लाई करने वाले का धंधा काफी फल-फूल रहा है। संपन्न परिवार 20 लीटर का जार खरीदकर अपनी प्यास बूझा रहे हैं। मगर, साधारण तबके के लोगों के लिए दूसरे के घरों से पानी भरकर लाना मजबूरी है। सबसे बुरी हालत गांव स्थित अनुसूचित जाति के टोले की है, जहां 117 परिवारों को पानी के लिए एकमात्र चापाकल पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है।

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पटवन के लिए सबर्मिसबल लगाने से बढ़ी समस्या

-पेयजल संकट से जूझ रहे ग्रामीण नेपाली सिंह, नवल सिंह, रामचंद्र सिंह ने बताया कि समय पर बारिश नहीं होने के कारण धान रोपनी के लिए किसानों ने बोरिग में ताबड़तोड़ सबर्मिसबल पंप लगाकर पटवन शुरू कर दिया। जिसका नतीजा हुआ की हफ्ते भर में ही 200 फीट तक की गहराई वाले चापाकलों से पानी निकलना बंद हो गया। मजबूरन दर्जनों ग्रामीणों ने 30 फीट गहराई वाले निजी चापाकल लगवाए हैं। मगर इन कम गहराई वाले चापाकलों से निकलने वाला पानी आमतौर पर अशुद्ध ही होता है। जिस कारण इसे लोग नहाने, कपड़ा धोने और बर्तन मांजने के उपयोग में ही लाते हैं। वहीं कम गहराई वाले चापाकल हर दिन दम तोड़ रहे हैं।

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नल-जल योजना ठंडे बस्ते में

- उक्त गांव में दो वार्ड हैं। उक्त दोनों वार्डो में अधिकारियों की अनदेखी के कारण अबतक सात निश्चय योजना के तहत हर-घर नल का जल योजना प्रारंभ नहीं की गई है। पेयजल संकट के निदान के लिए आक्रोशित ग्रामीणों ने विगत 8 अप्रैल को सरकट्टी चौराहे पर जाम लगा यातायात अवरुद्ध कर दिया था। तब वरीय अधिकारियों ने 24 घंटे के अंदर नल जल कार्य प्रारंभ किए जाने का मौखिक आश्वासन देकर ग्रामीणों से जाम हटाने की अपील की थी। मामले के हफ्तों गुजर जाने के बावजूद समस्या जस की तस बनी है।

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मवेशियों के लिए जानलेवा है जलसंकट

-जलाशयों के सूखे रहने और प्रर्याप्त पेयजल की अनुपलब्धता से मवेशी भी परेशान हैं। खेती और दूध कारोबार से जुड़े ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में गाय -भैंस पाल रखे हैं। जिनके नहाने-धोने व पीने की व्यवस्था कर पाना किसी से संभव नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों की हालत बदतर होती जा रही है। बुजुर्ग बताते हैं कि 1967 के अकाल में भी गांव का कुआं सजीव था, मगर इस साल तो आषाढ़ से भादो तक कुआं में पानी नहीं है।


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