बापू की जयंती पर दो सहोदर भाइयों को जेल से मिली रिहाई
मंडल कारा नवादा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई गई।
मंडल कारा नवादा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई गई। इस मौके पर मंडल कारा नवादा से दो कैदी डोभरा पर निवासी राजेश चौधरी, पिता बच्चू चौधरी व राजबल्लभ चौधरी पिता बच्चू चौधरी को रिहा किया गया। रिहा होने वाले दोनों कैदी आपस में सहोदर भाई हैं। जेल प्रशासन नवादा के द्वारा दोनों कैदियों को पुष्प माला पहनाकर विदा किया गया। इन दोनों भाईयों को गांधीजी से जुड़ी हुई एक-एक पुस्तक उपहार स्वरूप दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे संगीत शिक्षक विजय शंकर पाठक ने बापू का प्यारा भजन रघुपति राघव राजा राम.. गाते हुए उन दोनों कैदियों को गेट तक लाकर उन्हें मुक्त किया। संगीत शिक्षक विजय शंकर पाठक ने बताया कि गांधी जयंती के अवसर पर संगीत सीख रहे कैदियों ने बापू के अनेक भजन जाकर जयंती को उत्साह पूर्वक मनाया। वैष्णव जन तो तेने कहिए पीर पराई जाने रे .. भजन भी प्रस्तुत हुआ। इससे पहले समारोह में जेल अधीक्षक महेश रजक, जेल उपाधीक्षक रामविलास दास के द्वारा बापू के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। वहीं कारा लिपिक राजीव कुमार दूबे, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अभिषेक गौरव, प्रोग्रामर अनंत कुमार के साथ-साथ अनेक कैदियों ने राष्ट्रपिता के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित किया।
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घर लौटे दोनों भाइयों ने कहा: गांधीजी का जीवन आदर्श
- जेल से रिहा होकर अपने घर लौटे दोनों भाइयों ने गांधी जी के जीवन को खुद के लिए आदर्श बताया। जेल प्रशासन से मिले गांधी जी की किताब को लेकर दोनों भाई अपने घर पहुंचे। जेल पर उन्हें लाने के लिए छोटा भाई नकुल चौधरी पहुंचा था। घर आते ही दोनों भाईयों ने बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया। घर की महिलाएं, बच्चे सभी लोग अपने परिवार के दोनों सदस्यों को घर में पाकर खुश थे। छोटे भाई राजबल्लभ चौधरी ने कहा कि कभी लड़ाई-झगड़ा नहीं करेंगे। अब सबसे मिल-जुलकर अपने काम पर ध्यान देंगे। गांधी जी के जीवन से यह प्रेरणा ली है। जेल प्रशासन से जो गांधी जी की पुस्तक मिली है उसका अध्ययन करेंगे। दोनों भाई की शादी हो चुकी है। इनके दो-दो छोटे बच्चे भी हैं। दोनों भाई ई-रिक्शा चलाकर आजीविका करते हैं। ये दोनों पड़ोसी महिला से विवाद मामले में सात अप्रैल 2018 को जेल गए थे। राजबल्लभ ने बताया कि दोनों भाइयों को जेल के अंदर स्टोर से राशन आदि निकालकर देने का काम मिला था। उनका सभी बंदियों व कर्मियों से बहुत ही सुंदर व्यवहार रहा। जेल में हर तरह की सुविधाएं मिली। मनोरंजन के साधन भी वहां उपलब्ध हैं।
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दिव्यांग पिता जेल में ही बंद
- दोनों सहोदर भाइयों के पिता बच्चू चौधरी इसी मामले में जेल में बंद हैं। वह शरीर से दिव्यांग हैं। जेल से रिहा होने के बाद बेटों ने कहा कि अब पिताजी की रिहाई के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उनकी सजा अभी छह माह की और है। कोशिश करेंगे कि वह भी उनकी तरह ही समय से पहले रिहा होकर घर चले आएं।