फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल दो आशा कार्यकर्ता चयनमुक्त, प्राथमिकी भी दर्ज
- चयनमुक्त होने वालों में एक संघ की प्रदेश महामंत्री भी शामिल - जांच में फर्जी मिला विद्यालय स्थानांतरण प्रमाण पत्र - वारिसलीगंज पीएचसी प्रभारी ने दोनों पर की कार्रवाई ---------------- संवाद सहयोगी नवादा
नवादा। वारिसलीगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत दो आशा कार्यकर्ताओं को चयनमुक्त कर दिया गया है। साथ ही फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी लेने के आरोप में दोनों के खिलाफ वारिसलीगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता संघ की प्रदेश महामंत्री इंदु देवी और रेखा कुमारी को चयन मुक्त करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। वारिसलीगंज के पीएचसी प्रभारी डॉ. रामकुमार ने यह कार्रवाई की है।
शिक्षा विभाग से दोनों आशा कार्यकर्ताओं के प्रमाण पत्रों की जांच कराई गई थी। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सिविल सर्जन और वारिसलीगंज पीएचसी प्रभारी को जांच रिपोर्ट समर्पित करते हुए कहा कि इंदु कुमारी और रेखा कुमारी का स्थानांतरण प्रमाण पत्र फर्जी है। बताया जाता है कि इंदु कुमारी ने श्रीमहावीर सिंह उच्च विद्यालय साम्बे और रेखा कुमारी ने इंटर विद्यालय चकवाय का स्थानांतरण प्रमाण पत्र अपनी बहाली के दौरान विभाग को जमा किया था। दोनों विद्यालयों से जांच कराने पर पता चला कि दोनों के स्थानांतरण प्रमाण पत्र फर्जी हैं। दोनों स्कूलों के प्रधानाध्यापकों ने डीईओ को रिपोर्ट दी। जिसके बाद डीईओ ने सीएस और पीएचसी प्रभारी को रिपोर्ट सौंप दिया। रिपोर्ट मिलते ही वारिसलीगंज के पीएचसी प्रभारी ने दोनों को चयनमुक्त करते हुए थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। प्रभारी के आवेदन पर वारिसलीगंज थाना में भादवि की धारा 420, 406, 467, 468 तथा 471 के तहत मामला दर्ज है।
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प्रदेश महामंत्री पर दूसरी प्राथमिकी दर्ज
- आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता संघ की प्रदेश महामंत्री इंदु झा पर लगातार दूसरे दिन यह दूसरी प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इसके पहले वारिसलीगंज पीएचसी के साथ अमर्यादित व्यवहार करने, सरकारी काम में बाधा पहुंचाने और मरीज की जान के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए इंदु कुमारी समेत संजू रानी और गायत्री कुमारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
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आखिर बहाली के वक्त प्रमाण पत्रों की क्यों नहीं हुई जांच
- वारिसलीगंज पीएचसी प्रभारी और आशा कार्यकर्ताओं के बीच टकराव अपने चरम पर पहुंच गया है। प्राथमिकी और चयन मुक्ति की कार्रवाई के बाद आशा कार्यकर्ता काफी नाराज दिख रही हैं। प्रदेश महामंत्री इंदु ने कहा कि वह 2005 में आशा के पद पर बहाल हुई थी। इसके बाद आशा फैसलीटेटर के पद पर। दोनों वक्त इसी प्रमाण पत्र पर बहाल हुईं। उन्होंने स्वास्थ्य महकमा की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बहाली के वक्त प्रमाण पत्रों की जांच क्यों नहीं कराई गई। उन्होंने यह भी कहा कि चयन मुक्ति से पूर्व स्पष्टीकरण मांगा जाना चाहिए था और जवाब देने का वक्त मिलना चाहिए था। लेकिन विभाग ने आनन-फानन में अपनी ओर से सारी कार्रवाई कर दी। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व में पांच बार उन्हें क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। आज उसी बेहतर कार्य का परिणाम सामने आ रहा है।
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कहते हैं सिविल सर्जन
- इंदु आशा फैसलीटेटर के पद पर बहाल थीं और आशा का भी लाभ लेना चाहती थीं। इससे मना करने पर वारिसलीगंज पीएचसी प्रभारी के विरुद्ध राजनीति करने लगीं। उनके द्वारा लगातार आशा कार्यकर्ताओं को बरगलाने का काम किया जा रहा था। वारिसलीगंज पीएचसी प्रभारी ने गलत प्रमाण पत्र को लेकर चयन मुक्त और प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की है।
डॉ. श्रीनाथ प्रसाद, सिविल सर्जन, नवादा।