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कूढ़ेता गांव तालाब के जीर्णोद्धार को ग्रामीणों ने लिया संकल्प

संसू,पकरीबरावां, नवादा: पकरीवरावां पुलिस अनुमंडल अंर्तगत दतरौल पंचायत के कूढ़ेता गांव स्थित तालाब

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jun 2018 10:51 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 10:51 PM (IST)
कूढ़ेता गांव तालाब के जीर्णोद्धार को ग्रामीणों ने लिया संकल्प

संसू,पकरीबरावां, नवादा: पकरीवरावां पुलिस अनुमंडल अंर्तगत दतरौल पंचायत के कूढ़ेता गांव स्थित तालाब के पास शनिवार को दैनिक जागरण की टीम पहुंची। इसके साथ ही पड़ताल किया गया। पड़ताल के क्रम में पाया कि कूढ़ेता गांव के दर्जनों ग्रामीण दोपहर में तालाब का जायजा ले रहे थे। लोग आपस में तालाब के जीर्णोद्धार को लेकर विचार विमर्श कर रहे थे। इस दौरान तालाब की वर्तमान स्थिति देखकर लोग काफी ¨चतित दिखे। तालाब की साफ-सफाई कराने को लेकर ग्रामीण काफी उत्साहित दिखे। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने का भी निर्णय लिया गया। लोगों ने जागरण टीम को बताया कि इस तालाब में सालोंभर पानी भरा रहता था। जिससे आस-पास के किसान अपने खेतों का पटवन किया करते थे। तालाब का पानी खेती कार्य के लिए वरदान साबित होता था। इसके साथ ही जलस्तर बरकरार रहता था। लेकिन देखरेख के अभाव में कई साल से तालाब सूखा पड़ा है। इसके कारण जलस्तर में गिरावट आ जाने से कई चापाकल बेकार पड़ा है। खेतों के पटवन के लिए लगा कई पंपसेट बंद हो चुका है। लोग पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों ने तालाब के जीर्णोद्धार को लेकर जागरूकता अभियान चलाने का संकल्प लिया।

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खेतों के लिए था वरदान

- ग्रामीणों ने बताया कि कूढ़ेता तालाब का पानी आस-पास इलाका के खेतों के पटवन में वरदान माना जाता था। इस तालाब के पानी से दतरौल, गुलनी व ज्यूरी पंचायत अंर्तगत रामपुर, कपसंडी, कूढ़ेता, सिमरिया समेत दर्जनों गांव के किसान हजारों एकड़ भूमि का पटवन करते थे। इसके अलावे मवेशियों को पानी पिलाने में भी काफी आसान होता था। लेकिन तालाब सूख जाने से किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है।

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कब हुआ था तालाब का निर्माण

- लोगों ने बताया कि जमींदारी के समय करीब एक सौ साल पहले कूढ़ेता गांव स्थित तालाब का निर्माण कराया गया था। जो करीब 32 बीघा क्षेत्रफल में फैला था।इस तालाब के पानी आस-पास के किसान ¨सचाई करते थे। इसके साथ ही जलस्तर हमेशा बरकरार रहता था। आस-पास इलाका की छठव्रती महिलाएं छठ पर्व पर पूजा-अर्चना को लेकर यहां पहुंचते थे। लेकिन लोगों द्वारा कचरा व गंदगी फेंके जाने से तालाब काफी सिमट चुका है। वर्तमान में तालाब का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। लोगों ने तालाब के जीर्णोद्धार को लेकर जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया। इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक पदाधिकारियों के समक्ष मांग रखने का निर्णय लिया गया।

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कहते हैं ग्रामीण

-इस तालाब में पानी भरा रहने से गांव का वातावरण काफी स्वच्छ रहता था। इस तालाब का पानी खेतों के पटवन में वरदान साबित होता था। जलस्तर बरकरार रखने में काफी उपयोगी होता था। लेकिन कई साल से तालाब सूखा पड़ा है। तालाब के जीर्णोद्धार को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाय।

अंजनी कुमार, ग्रामीण। फोटो-05

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- कूढ़ेता गांव के तालाब में सालोंभर पानी भरा रहता था। इस तालाब के पानी से आस-पास के किसान खेतों का पटवन करते थे। इसके साथ ही उत्पादन भी काफी अच्छा होता था। किसान काफी खुशहाल रहते थे। लेकिन तालाब में कचरा फेंके जाने से काफी सिमट चुका है। सभी लोगों को एकजुट होकर इसकी सफाई कराने की जरूरत है। ताकि जल संचय का साधन बन सके।

नवलेश कुमार, ग्रामीण। फोटो-06

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लोगों द्वारा तालाब की भूमि पर कचरा व गंदगी फेंके जाने से इसका अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। तालाब की सफाई कराकर पानी भरने की व्यवस्था की जाय। ताकि जल संचय का साधन बन सके। इसके साथ ही खेतों के पटवन में उपयोगी हो सके। लोगों को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

संजय पांडेय, ग्रामीण। फोटो-07

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जमींदारी के समय कूढ़ेता तालाब का निर्माण कराया गया था। तालाब में सालोंभर पानी भरा रहने से पटवन कार्य के लिए काफी उपयोगी माना जाता था। इसके साथ ही जलस्तर बरकरार रहता था। लेकिन लोगों द्वारा कचरा फेंके जाने से काफी सिमट चुका है और सूखा पड़ा है। इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक होना होगा। तभी इसके अस्तित्व को बचाया जा सकता है।

मनोज ¨सह, ग्रामीण। फोटो-08

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इस तालाब में सालोंभर पानी भरा रहता था। खासकर पटवन कार्य के लिए काफी उपयोगी था। आस-पास के किसान बेहतर उत्पादन कर खुशहाल दिखते थे। इसके अलावे छठ पर्व पर छठव्रती महिलाएं पूजा-अर्चना करने यहां आती थी। लेकिन कई साल से तालाब सूखा पड़ा है। सरकारी स्तर पर तालाब का जीर्णोद्धार करा दिया जाता तो इसका अस्तित्व को बचाया जा सकता है।

अरुण ¨सह उर्फ बिल्टू ¨सह, ग्रामीण। फोटो-09


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