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गांव तो बसा लिया, अब बुनियादी सुविधाओं को जारी है जद्दोजहद

सदर प्रखंड नवादा अंतर्गत सोनसिहारी पंचायत की वार्ड नंबर 9 मझनपुरा गांव के समीप सौ से।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 08:48 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 08:48 PM (IST)
गांव तो बसा लिया, अब बुनियादी सुविधाओं को जारी है जद्दोजहद
गांव तो बसा लिया, अब बुनियादी सुविधाओं को जारी है जद्दोजहद

नवादा। सदर प्रखंड नवादा अंतर्गत सोनसिहारी पंचायत की वार्ड नंबर 9 मझनपुरा गांव के समीप सौ से अधिक अनुसूचित जाति के परिवारों की बस्ती कई बुनियादी सुविधाओं से महरूम दिखती है। इन परिवारों के बीच शौचालय, बिजली, पानी, रास्ता जैसी सुविधाएं नहीं है। यहां करीब 200 अनुसूचित जाति की आबादी रह रही है। सभी मांझी परिवार से हैं। सभी धीरे-धीरे करके मिट्टी का मकान बना रहे हैं। मझनपुरा गांव तक जाने वाली सड़क के किनारे इन गरीब परिवारों में कईयों ने कच्चा मकान बना लिया है। जहां इन परिवारों के बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं रहती हैं। गांव के अनुसूचित जाति के लोगों ने इस गांव का नाम एबीआरएस नगर रखा है। बस्ती के ग्रामीणों ने अपने गांव के नाम का बोर्ड हाल ही में बनाया है। इस बस्ती में रह रहे बंगाली मांझी, शिवानी देवी, रामपड़िया देवी, सोना देवी, फूदन मांझी, केशरी देवी, साबो देवी, बनबारी मांझी, महेंद्र मांझी, गिरिजा देवी, सातो देवी, मुनर देवी आदि की मांग है उनकी बस्ती में जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाए।

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संघर्ष कर रहे चार बुजुर्गों के नाम पर रखा बस्ती का नाम

-मझनपुरा गांव के पास खुले में अचानक से बने अनेक मिट्टी के घरों ने बस्ती का रूप ले लिया है। मांझी परिवारों की इस बस्ती के नाम के पीछे दिलचस्प कहानी है। गांव के बनवारी मांझी, महेंद्र मांझी बताते हैं कि गांव का नाम एमबीआरएस नगर रखा गया है। एम का मतलब महेंद्र, बी का मतलब बनबारी, आर का मतलब रामपृत और एस का मतलब सुरेश है। यहां के लोगों की मानें तो ये चारों लोग इस बस्ती को बसाने के लिए संघर्षरत हैं। लिहाजा, उनके नाम को संयुक्त रूप से मिलाते हुए बस्ती का नाम एमबीआरएस नगर रखा गया।

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अमौनी से आकर बसे हैं सभी लोग

-अचानक से बस्ती का रूप लेने की बात पर गांव के बुजुर्ग महेंद्र मांझी बताते हैं कि वे सभी पहले ओरैना पंचायत के अमौनी में रहते थे। लेकिन वहां जगह की दिक्कत होने के चलते वहां से सैकड़ों परिवार इस नए जगह पर आकर रहने लगे। अब वे यहीं रहेंगे। सरकार और प्रशासन उन्हें यही पर सभी तरह की सुविधाएं दिलाएं। गांव की बुजुर्ग सारो देवी बताती हैं कि उन्हें 3 बेटा और 9 पोता है। ऐसे में अमौनी में रहना मुश्किल था। छोटे-छोटे कमरे में कैसे गुजारा होगा। वह कहती हैं कि सरकार उनके परिवार के लिए सुविधाएं दे। गांव के युवा बताते हैं कि बिजली की सुविधा नहीं रहने के चलते उन्हें अपना मोबाइल चार्ज करने के लिए दूर गांव जाना पड़ता है। इधर, बस्ती के लोगों ने खुद से एक चापाकल गाड़ा है। उसी से गांव वाले पानी पीते हैं।

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विकास मित्र ने कहा

-सोनसिहारी पंचायत की विकास मित्र ललिता देवी ने कहा कि जिस जगह पर बाहर से आकर लोग रहने लगे हैं वह उनके पंचायत में नहीं आता है। बावजूद वे उन गरीब परिवारों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करेंगी। इस बारे में वरीय अधिकारी को भी जानकारी दी जाएगी।

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क्या कहते हैं अधिकारी

-जिस जगह पर जाकर लोग रहने लगे हैं वहां सुविधाएं पहुंचाना मुश्किल है। बस्ती के लोगों को अपने गांव में ही जाकर रहना चाहिए। उनके गांव में ही सुविधाएं मिलेगी।

कुमार शैलेंद्र, बीडीओ, नवादा सदर।


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