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पानी पर पूंजीपतियों का कब्जा, जार वाले पानी की बढ़ी मांग

जिले में पेयजल आपूर्ति की स्थिति संतोषजनक नहीं है। सरकारी और निजी चापाकलों के जबाव देने से पेयजल संकट तेजी से बढ़ा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 07:21 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 07:21 PM (IST)
पानी पर पूंजीपतियों का कब्जा, जार वाले पानी की बढ़ी मांग
पानी पर पूंजीपतियों का कब्जा, जार वाले पानी की बढ़ी मांग

जिले में पेयजल आपूर्ति की स्थिति संतोषजनक नहीं है। सरकारी और निजी चापाकलों के जबाव देने से पेयजल संकट तेजी से बढ़ा है। ऐसे में पानी पर पूंजीपतियों का कब्जा हो गया है। व्यापक पैमाने पर बोतल व जार वाले पानी की मांग बढ़ी है। हालात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नल-जल व शहरी क्षेत्रों में नियमित पानी की आपूर्ति तक नहीं की जा रही है।

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नगर की बात करें तो सार्वजनिक स्थानों तक पानी की व्यवस्था नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्रों से नगर आने वालों को ठेला, खोमचा वालों के अलावा होटलों से प्यास बूझाने को मजबूर होना पड़ रहा है। नगर को छोड़ भी दें तो अब प्रखंड मुख्यालयों से लेकर कस्बों तक बोतल बंद व जार वाले पानी की मांग होने लगी है। गर्मी के इस मौसम में बोतल बंद व जार का पानी की मांग इस कदर बढ़ी है कि नगर की कई एजेंसी नियमित पानी की आपूर्ति तक नहीं कर पा रही है।

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रमजान में बढ़ेगी पानी की मांग

- 6 मई से रमजान का महीना आरंभ होने जा रहा है। ऐसे में रोजेदारों को रोजा खोलने से लेकर सेहरी तक ठंडे पानी की आवश्यकता होगी। ऐसे में जार वाले पानी की मांग बढ़नी तय है। जार वाले फिल्टर पानी का 20 लीटर का 30 से 36 रुपये की वसूली की जा रही है।

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नगर में कितने आरओ से हो रही आपूर्ति

- नगर का एक भी सरकारी पेयजलापूर्ति योजना आरओ प्लांट से नहीं जुड़ा है। फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों में फिल्टर पानी लोगों तक पहुंचाने के लिए फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट है, लेकिन शेष स्थानों में फिल्टरयुक्त पानी आपूर्ति की व्यवस्था नहीं है। निजी स्तर पर नगर में फिल्टरयुक्त पानी पहुंचाने के लिए 15 से अधिक प्लांट लगाए गए है। इसके अलावा प्रखंड मुख्यालयों से लेकर कस्बों तक जार बंद पानी के प्लांट लगाए गए है। हिसुआ के तुंगी की बात करें तो वहां एक लीटर वाले छोटे बोतल बंद पानी के प्लांट लगाए गए हैं जहां से शादी- विवाह व अन्य अवसरों पर पानी की बिक्री की जा रही है। नगर के पुराने 15 पेयजलापूर्ति केंद्रों की स्थिति अच्छी नहीं है तो नए से अभी तक सभी घरों में कनेक्शन तक नहीं किया जा सका है।

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बोतल बंद पानी की स्थिति

- रेलवे स्टेशन से लेकर विभिन्न बस पड़ावों पर पेयजल की स्थिति अच्छी नहीं है। रेलवे स्टेशन पर जलापूर्ति के लिए नल लगे हैं लेकिन साफ-सफाई की स्थिति अच्छी नहीं रहने से वहां जाने से भी लोग कतराते हैं। शेष तीनों बस स्टैंडों के पास चापाकल तो लगे हैं लेकिन अक्सर खराब रहने से स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में प्रतिदिन इन स्थानों पर करीब एक हजार बोतल पानी की बिक्री की जा रही है।

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जलस्तर की स्थिति

- जिले में भूगर्भीय जलस्तर में लगातार गिरावट आ रही है। नगर में 40 से लेकर 45 फीट तो नदी किनारे वाले गांवों में 35 से 40 फीट जलस्तर नीचे चले जाने से चापाकल जबाव देने लगा है। जलश्रोतों का घटता दायरा वाटर लेवल कम होने का प्रमुख कारण माना जा रहा है। निजी स्तर पर गहरे बोरिग के साथ सबमर्सिबल ने भी लोगों की परेशानी को दूगुना कर दिया है।

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करनी होगी पानी की बचत

- पानी की बचत अब जिम्मेवारी नहीं बल्कि मजबूरी बनने लगी है। नगर के वाटर पोस्ट में टेप लगाकर पानी की हो रही बर्बादी को रोका जा सकता है। घरों में बर्तन की सफाई-कपड़े की धुलाई व स्नान के लिए पानी में कमी लाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उक्त पानी का दोबारा कैसे प्रयोग किया जाए इसपर विचार की आवश्यकता है।

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कहते हैं अधिकारी

- पानी की उपलब्धता सहज बनाने के लिए कार्य योजना पर लगातार काम हो रहा है। पंचायतों के 2574 वार्डों में अलग-अलग वार्ड क्रियान्वयन समिति के माध्यम से नल-जल का कार्य कराया जा रहा है। इसके साथ ही निविदा की प्रक्रिया आरंभ की जा रही है।

चंदेश्वर राम, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी, नवादा।

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