अल्पसंख्यक परिवार की प्रसूता को दूसरे धर्म के युवक ने दिया रक्त
मानव शरीर में बहने वाला रक्त किसी भी जाति या धर्म के बीच भेदभाव को नहीं मानता है।
नवादा। मानव शरीर में बहने वाला रक्त किसी भी जाति या धर्म के बीच भेदभाव को नहीं मानता है। रक्त दोनों के बीच एक समान भाव रखता है। कुछ ऐसा ही उदाहरण सामने आया है हिसुआ में, जहां अल्पसंख्यक परिवार की एक प्रसूति महिला को रक्त की जरूरत पड़ी तो दूसरे धर्म के नौजवान आगे आए और अपना रक्त देकर जच्चे-बच्चे की जान बचाई।
बताया जाता है कि हिसुआ डीह निवासी सलामुद्दीन की पत्नी नरुण प्रवीण को प्रसव के लिए नवादा स्थित एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। खून की कमी के कारण नर्सिंग होम के संचालक ने गर्भवती महिला के परिजनों को खून की व्यवस्था करने की सलाह दिया। सलाउद्दीन ने खून के लिए अपने सगे-संबंधियों के बीच चर्चा की। लेकिन उनके सगे संबंधी ने जरूरत की अनदेखी कर दी। ऐसे में महिला के परिजन परेशान हो गए। खबर भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमलेश राणा तक पहुंची तो उन्होंने पहल किया। उसके बाद हिसुआ प्रखंड निवासी अविनाश कुमार ने गर्भवती महिला को 2 यूनिट खून देकर महिला व उसके होने वाले बच्चे की जान बचाई। इस प्रकरण ने यह साबित किया कि खून ¨हदू और मुस्लिम के बीच भेदभाव नहीं दिखाता है। मानव आपस में जाति और धर्म के नाम पर क्यों लड़ते हैं, यह एक बड़ा प्रश्न समाज के सामने खड़ा है। मौके पर हिसुआ भीम आर्मी अध्यक्ष धर्मेंद्र राजवंशी, मीडिया प्रभारी नवीन कुमार, सचिव मनीष चौधरी , दिलिप पासवान, लवकुश कुमार सहित दर्जनभर लोग उपस्थित रहें।