सर्विस चार्ज डिजिटल बैं¨कग में सबसे बड़ी बाधा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कैशलेश का सपना बैंकों द्वारा सर्विस चार्ज लेने के कारण ह ।
नवादा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कैशलेश का सपना बैंकों द्वारा सर्विस चार्ज लेने के कारण हाफ रहा है। आज भी बाजार नकदी लेन देन पर आश्रित है। ऐसे में सपने को पंख नहीं लग पा रहा है तो बैंकों में भीड़ कमने के बजाय बढ़ती जा रही है। ऐसी भी बात नहीं है कि लोग सुविधा का लाभ उठाना नहीं चाहते, लेकिन सर्विस चार्ज के रूप में अतिरिक्त राशि देना उन्हें गंवारा नहीं है। सरकार की कैशलेश सोच से अलग डिजिटल भुगतान करने वालों को ट्रांजैक्शन चार्ज, सर्विस चार्ज, सर्विस टैक्स, स्वच्छ भारत शेष, कृषि कल्याण शेष जैसे अतिरिक्त खर्चे उपर से देने होते हैं। ऑनलाइन कैशलेश भुगतान में इंटरनेट डाटा का भी खर्च उपर से अलग भुगतान करना होता है। कुल मिलाकर कैशलेश भुगतान का विकल्प चुनने पर ग्राहकों को यह भी पता नहीं होता कि वे अलग से बैंक को कितनी राशि का अतिरिक्त भुगतान कर रहे हैं।
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कंपनियों के हैं अपने-अपने नियम
- डिजिटल लेन देन कराने वाली कंपनियों के अलग-अलग नियम है। कार्ड पेमेंट या डिजिटल लेन देन कराने वाली कंपनियां कीमत का एक हिस्सा सर्विस चार्ज के रूप में वसूलती है। इसे मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानि एमडीआर भी कहा जाता है। कार्ड कंपनियों की बातें करें तो डेबिट कार्ड आपके बैंक खाते से सीधे जुड़ा होता है जबकि क्रेडिट कार्ड से लेन देन पर वह सर्विस चार्ज वसूलती है। यही पैसा जब व्यापारियों से लिया जाता है तो मर्चेंट डिस्काउंट रेट बन जाता है। डेबिट कार्ड पर सर्विस चार्ज की वर्तमान व्यवस्था के तहत 1000 रुपये के लेनदेन पर अधिकतम ढ़ाई रुपये जबकि 1000 रुपये से अधिक 2000 रुपये से कम पर 10 रुपये की वसूली की जा रही है। इसी प्रकार 2000 रुपये से उपर के लेन देन पर पहले की ही तरह एक फीसद की दर से सर्विस चार्ज की वसूली की जाती है। क्रेडिट कार्ड पर सर्विस चार्ज के लिए सरकार ने कंपनियों को छूट दे रखा है। यही कारण है कि इस पर सर्विस चार्ज के रूप में दो से ढ़ाई प्रतिशत तक की वसूली की जा रही है। कार्ड चाहे डेबिट हो क्रेडिट दोनों पर ही व्यवसायी आसानी से सर्विस चार्ज वहन कर लेते हैं, लेकिन आम लोगों के लिए यह संभव नहीं है। जहां तक पेट्रोल पंपों की बात है तो यहां वहां चार्ज ग्राहकों को देना होता है, जिसे लोग आसानी से नहीं पचा पा रहे हैं। परिणाम है कि यहां लोग नकद खरीदारी करने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।
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सर्विस चार्ज किसी को स्वीकार नहीं
- डेबिट कार्ड में बैंक में जमा राशि का उपयोग होता है। ऐसे में लोगों का स्पष्ट मानना है कि कोई खुद के पैसे पर सर्विस चार्ज क्यों दे। फिर इसका उपयोग करने से हर संभव बचने का प्रयास के कारण डिजिटल बैं¨कग को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है और कैशलेस की मंशा पर पानी फिर रहा है।
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कहते हैं अधिकारी
- डिजिटल लेन देन पर सर्विस चार्ज वसूलना बैंकों की मजबूरी है। ग्राहकों का बैंक लोन ब्लॉक हो जाना व विभिन्न योजनाओं पर सूद दर का कम होना बैंक के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा हैं। ऐसे में बैंक के पास एटीएम, एसएमएस एलर्ट व अन्य मिसलेनियस चार्जेज लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है।
आर आर झा, अग्रणी बैंक प्रबंधक, पंजाब नैशनल बैंक, नवादा।