Move to Jagran APP

इस पिता के संघर्ष को सलाम, बेटी-बेटों को पहुंचाया आसमां सी ऊंचाई पर

फादर डे पर विशेष -सैल्समैन पिता की बदौलत सीआरपीएफ में असिस्टटेंट कमांडर बने मोती बिगहा के पंकज कुमार -आर्थिक तंगी के बाद भी पांच साल तक बेटे को दिल्ली में दिलाई शिक्षा ------- -29 जून को उत्तराखंड के मसूरी जाएंगे प्रशिक्षण प्राप्त करने ------ फोटो-19 -----------------

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2020 10:17 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 10:17 PM (IST)
इस पिता के संघर्ष को सलाम, बेटी-बेटों को पहुंचाया आसमां सी ऊंचाई पर
इस पिता के संघर्ष को सलाम, बेटी-बेटों को पहुंचाया आसमां सी ऊंचाई पर

कुमार गोपी कृष्ण, नवादा

loksabha election banner

जिंदगी को तराश कर पापा ने आसमा सी ऊंचाई पर पहुंचाया। खुद दसवीं पास, लेकिन हम भाई-बहनों को स्नातक तक की डिग्री दिलाकर होनहार बनाया। पिता के संघर्ष के कारण ही आज हम कामयाब हुए हैं।

सैल्समैन पिता की बदौलत सीआरपीएफ में असिस्टटेंट कमांडर बने मोती बिगहा के पंकज कुमार को 29 जून को उत्तराखंड के मसूरी में प्रशिक्षण प्राप्त करने जाना है। वह कहते हैं, परिवार घोर आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। पिताजी रामाधीन प्रसाद यादव एक वाहन के शोरूम में सेल्समैन की नौकरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। इस नौकरी में वेतन बहुत कम नहीं था, लेकिन पिताजी ने हमलोगों को कभी रुपयों की कमी नहीं होने दी। हम तीन भाई-बहनों को अच्छी तालीम दिलाई। बड़े भाई पप्पू कुमार और बहन सहजल राय भी स्नातक पास हैं।

इतिहास से स्नातकोत्तर पंकज कहते हैं, वे सिविल सेवा में जाना चाहते थे। इसकी तैयारी के लिए दिल्ली जाना था। हिम्मत नहीं पड़ रही थी कि पापा से कहूं। पापा को पता चला तो उन्होंने बेझिझक जाने की अनुमति दे दी। वर्ष 2014 में तैयारी करने दिल्ली चला गया। पांच वर्षो तक वहीं रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की। इस दौरान पापा ने कभी रुपयों की कमी नहीं होने दी। समय पर खर्च के लिए तय राशि भेज देते थे। पिताजी के संघर्षों ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है।

--------

अब बुढ़ापे की चिंता नहीं

अपने बेटे की उपलब्धि पर रामाधीन प्रसाद यादव और उनकी पत्नी आशा देवी भी काफी खुश हैं। कहते हैं कि अब बेटा इस मुकाम पर पहुंच गया है कि बुढ़ापे में समस्या नहीं आएगी।

--------------

पापा से ही मिला मम्मी

का प्यार-दुलार

-युवाओं को मोबाइल मरम्मत का प्रशिक्षण देते हैं पिता, बेटा है प्रबंधक

-आर्थिक तंगी से खुद जूझ कर बेटे को बनाया काबिल

फोटो-20

--------------

संस, नवादा : वर्ष 2003 में मां का निधन हो गया था। तब मैं आठवीं कक्षा में ही पढ़ता था। जीवन में उथल-पुथल मच गई, लेकिन पापा ने कभी मां की कमी नहीं खलने दी। खुद मोबाइल मरम्मत का प्रशिक्षण देते हुए मुझे लायक बनाया। आज पापा के संघर्षों के कारण मैं बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर हूं।

नगर के मालगोदाम निवासी मनीष कुमार बताते हैं, मां के निधन के बाद कई चुनौतियां आई। हम छोटे-छोटे तीन भाइयों की परवरिश की चिता थी। पापा बनारस पंडित खुद परेशानियों से जूझते रहे, लेकिन हम लोगों को किसी चीज की कमी नहीं होने दी। पापा से ही मम्मी का भी प्यार-दुलार मिला।

मनीष बताते हैं कि पापा इंदिरा चौक के पास मोबाइल मरम्मत का प्रशिक्षण देते हैं। छोटा सा संस्थान होने के कारण अच्छी कमाई नहीं थी। बावजूद पिताजी संघर्ष करते रहे और हम तीन भाइयों को पैरों पर खड़ा कर दिया। एक भाई आशीष को अभी अमीन की नौकरी मिली है। वहीं एक भाई सचिन सातवीं कक्षा में पढ़ रहा है। आज पिता की बदौलत इस मुकाम को हासिल कर सके हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.