पांडेयगंगौट में वारिस पिया के मजार पर चादरपोशी को उमड़े श्रद्धालु
प्रखंड के पांडेय गंगौट स्थित सूफी संत वारिस पिया के मजार पर प्रेम सौहार्द व भाईचारे का प्रतीक दो दिवसीय मड़ही पूजा मंगलवार को
प्रखंड के पांडेय गंगौट स्थित सूफी संत वारिस पिया के मजार पर प्रेम, सौहार्द व भाईचारे का प्रतीक दो दिवसीय मड़ही पूजा मंगलवार को आरंभ हो गया। जो गुरुवार की अहले सुबह तक चलेगा। मड़ही पूजा में मजहबी दीवार इस कदर टूटी कि हिन्दू व मुस्लिम दोनों समुदाय की आपसी दूरी समाप्त हो गई। एक ही चादर को एक तरफ हिन्दू व एक तरफ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पकड़कर सूफी संत की समाधि पर चादरपोशी की। इस सैलाब में सिर्फ आस्था, श्रद्धा और समर्पण दिख रहा था। सूफी संत वारिस पिया और संत शिरोमणि पंचबदन सिंह उर्फ महंथ बाबा की पुण्यस्मृति में आयोजित होने वाले इस दो दिवसीय मड़ही पूजा में शरीक होने के लिए देश भर से श्रद्धालु पांडेयगंगौट पहुंचे हैं। जाने-माने कलाकार श्रीदेव पांडेय द्वारा सूफी संत भजन की प्रस्तुति के साथ बाबा की अराधना कर पूजा आरंभ की गई। इसके बाद जिप सदस्य नारायण स्वामी मोहन, डॉ. साधु शरण सिंह, उपेन्द्र शर्मा आदि ग्रामीणों एवं स्थानीय कलाकारों का गजल, भजन व कव्वाली सुनकर लोग झूम उठे। मड़ही पूजा की खासियत रही है कि इसमें शामिल होने तथा मन्नतें मांगने के लिए हर एक सम्प्रदाय के लोग पहुंचते हैं। इसी का नतीजा है कि पूजा के दौरान यहां मजहब की दीवार टूट जाती है। क्या हिन्दू क्या मुसलमान, बच्चे,बूढ़े और जवान सभी एक रंग में रंग जाते हैं। इस पूजा में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से वारसी धर्मावलंबी श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है। ऐसी मान्यता है कि यहां जिस श्रद्धालु ने सच्चे मन से आकर बाबा की दरबार में माथा टेके हैं, बाबा वारिस पिया ने सभी की मुरादें पूरी की है। सोमवार की देर रात्रि काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने मन्नतें पूरी होने पर चादरपोशी की एवं मुंडन रश्म की अदायगी की। पूजा को लेकर आयोजकों के द्वारा साफ-सफाई, सुरक्षा व्यवस्था एवं रोशनी का पुख्ता इंतजाम किया गया है। इस दौरान श्रद्धालुओं की मनोरंजन के लिए पूजा स्थल परिसर में तरह तरह के खेल तमाशे, ऐतिहासिक नाटक मंचन, सूफी भजन, कव्वाली एवं लोक नृत्य की व्यवस्था की गई है। पूजा में शामिल होने दूर दराज से पहुंचने वाले मेहमानों के लिए ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था भी पूजा आयोजकों द्वारा की गयी है। मड़ही पूजा को सफल बनाने में स्थानीय ग्रामीण व जिला परिषद सदस्य नारायण स्वामी मोहन, महेंद्र सिंह, श्रीदेव पांडेय, अभिजीत स्वामी मोहन आदि महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।