कौआकोल पीएचसी बीमार, किसी तारणहार का है इंतजार
राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने का लाख दावा कर ले लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है।
राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने का लाख दावा कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है। साधन-संसाधन के अभाव में बीमार पीएचसी को किसी तारणहार का इंतजार है। जर्जर भवन, डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, बेड का अभाव स्वास्थ्य महकमे को आइना दिखाने के लिए काफी है। लेकिन विभागीय पदाधिकारी से लेकर प्रशासन और सरकार ने भी इसका सुध लेना मुनासिब नहीं समझा। भवन की जर्जरता का आलम यह है कि छत का प्लास्टर अक्सर झड़ कर गिरता है। जिससे मरीजों व स्वास्थ्य कर्मियों की जान पर आफत बनी रहती है। बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है। लेकिन इसकी मरम्मत और रंगाई-पुताई के लिए कदम नहीं उठाए गए।
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डॉक्टर आवास में चलता है प्रसव कक्ष
- पीएचसी भवन के जर्जर होने और कमरे की कमी के चलते डॉक्टर के आवासीय कक्ष में प्रसव वार्ड का संचालन किया जाता है। वहां भी स्थान नहीं होने के चलते पर्याप्त संख्या में बेड उपलब्ध नहीं है। पीएचसी में ओपीडी का संचालन किया जाता है। ऐसी स्थिति में मरीजों को अपना इलाज कराने में काफी परेशानी हो रही है। सबसे ज्यादा दिक्कत गरीब मरीजों को हो रही है। गरीब तबके के मरीज रुपये के अभाव निजी क्लीनिक में जा नहीं पाते और सरकारी अस्पताल में समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। आर्थिक रुप से संपन्न मरीज निजी क्लीनिक में जाना ज्यादा बेहतर समझते हैं।
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बेड की कमी से जूझ रहा अस्पताल
- कौआकोल प्रखंड क्षेत्र की आबादी तकरीबन डेढ़ लाख है। इतनी बड़ी आबादी के विरुद्ध प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मात्र पांच बेड ही उपलब्ध हैं। इसके पीछे जगह की कमी सबसे बड़ी वजह है। वहीं बेड पर प्रतिदिन चादर भी नहीं बिछाए जाते हैं।
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आयुष चिकित्सक करते हैं ओपीडी का संचालन
- पीएचसी में फिलहाल पांच चिकित्सक पदस्थापित हैं। जिसमें आयुष चिकित्सक डॉ. जगदीश रजक ही ओपीडी का संचालन करते हैं। अन्य चिकित्सक सप्ताह में किसी-किसी दिन पहुंच कर खानापूर्ति करते हैं। स्वास्थ्य कर्मियों के भी कई पद रिक्त पड़े हैं। ड्रेसर के पद पर एक भी कर्मी पदस्थापित नहीं हैं। डॉक्टरों व कर्मियों की कमी के बीच अगर किसी दिन मरीजों की संख्या में वृद्धि हो जाती है तो अफरातफरी मच जाती है। किसी तरह तत्काल रेफर कर मरीजों को सदर अस्पताल भेज दिया जाता है। मलेरिया प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद यहां इसके लिए कोई विशेष व्यवस्था भी नहीं है।
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गंदगी का रहता है अंबार
- पीएचसी परिसर में गंदगी का अंबार है। झाड़ियां उगी हुई हैं। नियमित सफाई नहीं होने से यह हाल बना हुआ है। वहीं शौचालय की स्थिति तो बिल्कुल खराब है। गंदगी के चलते मरीज या तीमारदार शौचालय जाने के बजाए खुले में शौच करने को विवश हो रहे हैं। लेकिन इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। अस्पताल को पूरी तरह अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।
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अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं
- महिला चिकित्सकों का तो यहां हमेशा से अभाव रहा है। प्रसव आदि कार्य भी एएनएम के सहारे कराए जाते हैं। लिहाजा बिचौलियों का साम्राज्य स्थापित है। जब कोई गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल लाया जाता है तो पीएचसी के कर्मी की मिलीभगत से बाहर से दवा एवं अन्य जरुरी सामाग्री क्रय के लिए परिजनों को बरगलाया जाता है। इतना ही नहीं उन्हें निजी क्लिीनिकों में भेज दिया जाता है।
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कहते हैं लोग
- पीएचसी में भवन नहीं रहने के कारण वार्ड नहीं बन रहा है। जिसके कारण मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। अस्पताल में साफ सफाई का भी घोर अभाव है।
कपिल कुमार, कौआकोल। फोटो-09
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- शौचालय का साफ सफाई नियमित रुप से नहीं हो रही है। मरीज खुले में शौच करने को विवश हैं। मरीजों के हित में पीएचसी की व्यवस्था सुधारने की जरुरत है।
महेश कुमार, कौआकोल। फोटो-10
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- अस्तपाल में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों के पद रिक्त हैं। पदस्थापित चिकित्सक भी मनमाने ढंग से ड्यूटी करते हैं। मरीजों को इलाज में परेशानी हो रही है।
मखदूम इस्लाम, पहाड़पुर। फोटो-11
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- प्रसव कराने आने वाली गर्भवती महिलाएं एवं उनके परिजन अस्पताल में बिचैलिया के शिकार हो जाते हैं। स्वास्थ्यकर्मियों की मिलीभगत से सारा खेल चल रहा है।
जयप्रकाश यादव, जोगाचक। फोटो-12
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- भवन एवं कर्मियों की कमी के कारण मरीजों को स्वास्थ्य सेवा का समुचित लाभ दिलवाने में काफी परेशानी होती है। बावजूद उपलब्ध साधन-संसाधन के बलबूते हरसंभव प्रयास किए जाते हैं। मरीजों का सही तरीके से इलाज किया जाता है। जगह की कमी, जर्जर भवन समेत अन्य जरुरी बातों की ओर वरीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है।
डॉ. रामप्रिय सहगल, पीएचसी प्रभारी, कौआकोल। फोटो-13