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नई पीढि़यां संकोच छोड़ मगही को अपनाएं, यह पौराणिक भाषा

- मगही मनभावन ई-पत्रिका का लोकार्पण पर जुटे साहित्कार और साहित्यप्रेमी - घर-परिवार सहि

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 06:41 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 05:13 AM (IST)
नई पीढि़यां संकोच छोड़ मगही को अपनाएं, यह पौराणिक भाषा
नई पीढि़यां संकोच छोड़ मगही को अपनाएं, यह पौराणिक भाषा

- मगही मनभावन ई-पत्रिका का लोकार्पण पर जुटे साहित्कार और साहित्यप्रेमी

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- घर-परिवार सहित बाहर में भी मगही बोलने और सभी जगह प्रयोग का संकल्प

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फोटो -11

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संवाद सहोगी, नवादा : हिन्दी मगही साहित्यिक मंच शब्द साधक और अखिल भारतीय मगही मंडप के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को हिसुआ पांचू गढ़ स्थित कार्यालय भवन में मगही साहित्य की ई-पत्रिका मगही मनभावन का लोकार्पण हुआ। सेवानिवृत प्रधानाध्यापक जयनारायण प्रसाद की अध्यक्षता व युगल किशोर राम के संचालन में लोगों ने मगही का प्रयोग घर परिवार से लेकर सभी कामों में करने का संकल्प लिया। उदय भारती के संयोजन में लोग जुटे थे। कार्यक्रम तीन सत्रों में हुआ। जिसमें लोकार्पण, मगही की दशा-दिशा और कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। ऑनलाइन जुड़े अखिल भारतीय मगही मंडप के संस्थापक मिथिलेश ने कहा कि मगही मगह की माटी की पौराणिक खांटी भाषा है। नई पीढि़यां संकोच छोड़ मगही को अपनाएं। यह सभी विधाओं से परिपूर्ण हैं। मगही में लगातार काम हो रहे हैं। पढ़ाई चालू है, यह काम और रोजगार का भी विषय है। शब्द साधक मंच के अध्यक्ष दीनबंधु ने कहा कि क्षेत्र मगही और हिन्दी साहित्य से जीवंत है। यहां के रचनाकार सृजन कर क्षेत्र का गौरव बढ़ा रहे हैं। नयी पीढि़यों को इससे मातृभाषा के प्रति लगाव बढ़ेगा। शिक्षक सतीश कुमार और साहित्यप्रेमी युगलकिशोर राम ने क्षेत्रीय भाषा के रूप में मगही की परीक्षा लेकर ही सरकारी कर्मियों की प्रोन्नति करने का मौका देने की मांग की। जितेंद्र अर्यण और कुमार प्राणेश ने विद्यालयों में बच्चों को मगही बोलने पर उन्हें उत्साहित करने पर बल दिया। बच्चों की मगही पर पकड़ से ही पीढि़यों में मगही पैठ बनाएगी. जयनारायण प्रसाद, अशोक सिंह, नंद किशोर प्रसाद, अनिल कुमार, उपेंद्र पथिक, ओंकार शर्मा, आलोक वर्मा, देवेंद्र विश्वकर्मा, पप्पु कुमार, अजय कुमार, अनुरोध सुशांत आदि ने नवादा, गया, नालंदा सहित अन्य क्षेत्रों की मगही पर चर्चाएं की। सभी लोगों ने मगही में संबोधन कर मगही की दशा-दिशा और मगही को बल प्रदान करने के लिए मगही में काम करने का संकल्प लिया। स्कूल और कॉलेजों में मगही की पढ़ाई चालू रहने और शिक्षकों की नियुक्ति पर सरकार की उदासीनता पर भी लोगों ने चर्चाएं की। अन्य भाषाओं की तुलना में मगही के बोलने वालों की संख्या अधिक रहने पर भी उसकी उपेक्षा और उसे भाषा का दर्जा नहीं देने पर सरकार और संबंधित लोगों को कोसा। मगही भाषी लोगों की गणना कर उसकी समीक्षा कर उसको दर्जा देने की बात उठायी साथ ही चुनाव में इस मुद्दा बनाने पर भी बल दिया गया। धन्यवाद ज्ञापन उपेंद्र पथिन ने किया।

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मगही साहित्य की पहली ई-पत्रिका मगही मनभावन

- मगही मनभावन मगही साहित्य की पहली ई-पत्रिका है, जिसकी शुरूआत 2011 में हुई थी। 16 अंक निकलने के बाद 2016 से पत्रिका बंद हो गयी थी। उसे फिर से निकलाने की प्रक्रिया शुरू हुई है। 17वें अंक का लोकापर्ण हुआ। उदय भारती के संपादन में बेहतर मेकअप-गेटअप के साथ पत्रिका निकल रही है। गूगल पर मगही मनभावन लिखकर सर्च कर पत्रिका को पढ़ा जा सकता है। संपादकीय के साथ पत्रिका में कहानियां, दर्जनों कविताएं, मगह के धर्मस्थल, मगह के आयोजन की रिपोर्टिंग आदि का समावेश है। संपादक ने बताया कि मगही के सभी क्षेत्र के साहित्यकारों की रचना को समाहित करने का प्रयास रहता है।

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आखिर सत्र में कवि सम्मेलन

- कार्यक्रम के तीसरे सत्र में कवि सम्मेलन हुआ। समसामयिक विषयों के साथ कवियों ने वीर, श्रृंगार, हास्य-व्यंग्य, पर्यावरण, नारी शोषण आदि पर कविताएं सुनाईं। दिवंगत मिथिलेश सिन्हा की पुत्री योशिता सिन्हा कि कविता बस इतना सा है मेरे ख्वाबों का शहर से.. कविता की शुरूआत उदय भारती ने किया। बाल कवि अनुरोध सुशांत ने निर्भया कांड पर कविता सुनायी। ओंकार शर्मा ने वीर रस का समां बांध दिया। कोरोना काल में प्रतिभा निखरने हुए परिवर्तनों पर और चीन को कुचल देने की कविता कही। प्राणेश कुमार ने प्रेम-विरह की कविता सुनायी तो युगल किशोर राम ने तिरंगा नहीं झुकने और चीन को सबक सिखाने पर पाठ किया। बेरोजगारों को पकौड़ा तलने पर प्रहार किया। उदय भारती, अनिल कुमार, नंद किशोर प्रसाद, शफीक जानी नांदा, पप्पु कुमार आदि ने हिन्दी महिमा, कोरोना योद्धा,एनआरसी, एनपीआर, वृक्षारोपण आदि पर कविताएं सुनाकर सबका मन मोह लिया।


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