हुनर खोज अभियान के तहत बुनकरों से मिले डीएम
हुनर की खोज अभियान के तहत जिलाधिकारी यशपाल मीणा मंगलवार को कादिरगंज बाजार पहुंचे और रेशमी वस्त्र निर्माण से जुड़े बुनकरों से मुलाकात की। डीएम ने बुनकरों के घर जाकर तसर निर्माण की बारीकियों को देखा और समझा।
हुनर की खोज अभियान के तहत जिलाधिकारी यशपाल मीणा मंगलवार को कादिरगंज बाजार पहुंचे और रेशमी वस्त्र निर्माण से जुड़े बुनकरों से मुलाकात की। डीएम ने बुनकरों के घर जाकर तसर निर्माण की बारीकियों को देखा और समझा। गौरतलब है कि लॉकडाउन के बीच काफी संख्या में प्रवासी अपने गृह जिला नवादा पहुंच रहे हैं। उन प्रवासियों को भविष्य में रोजगार की आवश्यकता होगी। इसी परिपेक्ष्य में डीएम ने बुनकरों ने वस्त्र निर्माण से संबंधित विस्तृत जानकारी हासिल की और प्रवासियों के भविष्य को तलाशा। बुनकरों ने डीएम को बताया यहां रेशम से बने तसर, अंडी, मूंगा, मलवरी के वस्त्र निर्माण किए जाते हैं। कादिरगंज में तसर का निर्माण बृहत पैमाने पर किया जाता है। इस कार्य के लिए छत्तीसगढ़ के जगदलपुर से कोकून मंगाया जाता है। अच्छे किस्म का डाभा कोकून चाईबासा से भी मंगाया जाता है। उन्हें 1280 गोटी यानि एक खारी या काहन का मूल्य भी बताया गया। यहां लगभग 300 परिवार इसी पेशे से जुड़े हैं। मार्केटिग की व्यवस्था कॉपरेटिव सोसायटी एवं बुनकर सहयोग समिति के द्वारा की जाती है। यहां के बने उत्पाद बिक्री के लिए दिल्ली भेजे जाते हैं। जिला पदाधिकारी यशपाल मीणा ने कहा कि स्थानीय स्तर पर इस उद्योग को बढ़ाने की जरूरत है। नयी तकनीक के साथ आíथक मदद भी देने की बात कही गई, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस उद्योग से जुड़ सके। अच्छी आमदनी हो, यहां के स्थानीय लोगों की आíथक स्थिति और भी सुधरे। बुनकरों के उज्जवल भविष्य के लिए उद्योग विभाग के संबंधित पदाधिकारी को आवश्यक निर्देश दिए गए। इस अवसर पर सदर अनुमंडल पदाधिकारी उमेश भारती, डीपीआरओ गुप्तेश्वर कुमार, टेक्सटाइल डिजाइनर-सह-मार्केटिक एक्टिविटि पूजा कुमारी भगत, स्थानीय बुनकर जितेन्द्र राम, भोला राम आदि उपस्थित थे। गौरतलब है कि एक दिन पूर्व दैनिक जागरण में कादिरगंज के तसर उद्योग और लॉकडाउन के चलते बुनकरों की बदहाली पर खबर प्रकाशित की गई थी। बंद है चरखे की खट-खट, बुनाई का काम बंद शीर्षक से खबर छपी थी।