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मंझवे को प्रखंड बनने का सपना अब भी अधूरा

संसू हिसुआ ( नवादा ) मंझवे को प्रखंड बनने का सपना अब भी अधूरा है। प्रखंड न बनने की कसक

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 11:09 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:05 AM (IST)
मंझवे को प्रखंड बनने का सपना अब भी अधूरा
मंझवे को प्रखंड बनने का सपना अब भी अधूरा

संसू, हिसुआ ( नवादा ) : मंझवे को प्रखंड बनने का सपना अब भी अधूरा है। प्रखंड न बनने की कसक कहीं न कहीं मंझवे वासियों के दिलों को कचोट रहा है। बताया जाता है कि मंझवे स्टेट की महारानी सत्यभामा देवी के सांसद बनने पर उनके प्रयास से मंझवे को प्रखंड का दर्जा प्राप्त हुआ था। उनकी हवेली में प्रखंड कार्यालय का दफ्तर भी खुला था। प्रखंड कार्यालय बनाने के लिए उनके पति त्रिवेणी बाबू ने मंझवे पहाड़ी से पश्चिम 22 एकड़ जमीन राज्यपाल के नाम से रजिस्ट्री भी किया था। प्रखंड कार्यालय बनने को लेकर मंझवे वासियों सहित अगल-बगल के गांव वालों के बीच खुशी का माहौल था। कोई भी कार्य के लिए हिसुआ का चक्कर नहीं लगाना पड़ता था। लेकिन उनका यह सपना बहुत दिनों तक कायम नहीं रह सका। कांग्रेस के कद्दावर नेता शत्रुघ्न शरण सिंह ने मंझवे में चल रहे प्रखंड कार्यालय को विधि व्यवस्था के ²ष्टिकोण से नरहट स्थानांतरित करवा दिया था। मंझवे से प्रखंड कार्यालय के नरहट स्थानांतरण होने से यहां के लोगों की सारी खुशी गायब हो गई थी। तब मंझवे प्रखंड कार्यालय के सारे दस्तावेजों को हिसुआ भेज दिया गया था। तब से लेकर आज तक मंझवे गांव के लोगों को प्रखंड न होने का कसक बना है। मंझवे के लोगों ने अब भी उम्मीदें नहीं छोड़ी है।

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हालांकि, यहां के विधायक अनिल सिंह ने मंझवे एवं नेमदारगंज को प्रखंड एवं हिसुआ को अनुमंडल बनाए जाने का मामला विधानसभा में 2010 में शून्यकाल के दौरान गैर सरकारी संकल्प के माध्यम से उठाया था। इनके द्वारा उठाए गये प्रश्न पर तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्री बिजेन्द्र यादव ने सदन में आश्वासन दिया था कि जब नए जिला, अनुमंडल एवं प्रखंड बनाने की कवायद आरंभ होगी तो विधायक द्वारा सदन में उठाए गए प्रश्न पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाएगा। लेकिन, मामला अबतक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। लोगों को उम्मीद है कि जब भी सूबे में नए प्रखंड-अनुमंडल का सृजन होगा तो मंझवे का सपना साकार होगा। फिलहाल स्थिति यह है कि त्रिवेणी बाबू द्वारा प्रखंड कार्यालय के लिए दिए गए जमीन पर फॉरेस्ट, लघु सिचाई विभाग एवं ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमण किए जाने से जमीन का रकवा कम होते जा रहा है।


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