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जून माह में कम बारिश का असर धान के बिचड़े पर

जिले में लगातार बारिश में कमी का असर फसल उत्पादन पर पड़ना आरंभ हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 06:13 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 06:13 PM (IST)
जून माह में कम बारिश का असर धान के बिचड़े पर
जून माह में कम बारिश का असर धान के बिचड़े पर

जिले में लगातार बारिश में कमी का असर फसल उत्पादन पर पड़ना आरंभ हो गया है। जून माह में कम हुई बारिश के कारण भदई फसल तो समाप्त हुई ही अब अरहर फसल पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। गत वर्ष जिले में सूखा पड़ने के बाद इस वर्ष किसानों को अच्छी बारिश की उम्मीद थी। किसानों की आशा पर तब पानी फिर गया जब जून माह में भी बारिश ने पूर्ण रूप से धोखा दे दिया। जून में लू के थपडों से जन जीवन अस्त व्यस्त रहा तो बादल ने भी धोखा दिया।

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कितनी होती है बारिश

- जून माह में जिले में औसत 135 एमएम बारिश होती रही है। पिछले वर्ष 64.14 एमएम बारिश जून माह में दर्ज की गई थी। इस वर्ष जून माह में मात्र 34.14 एमएम बारिश दर्ज की गई। यानी कि पिछले वर्ष की तुलना में भी 30 एमएम कम बारिश हुई। हालांकि जुलाई माह के प्रवेश के साथ मौसम में बदलाव आया है, लेकिन अभी इतनी भी बारिश नहीं हुई है कि कृषि कार्य में तेजी आ सके। लेकिन किसान निराश नहीं है। बारिश की संभवना बरकरार है। ऐसे में अगर बारिश हुई तो धान की फसल होने की संभावना रहेगी, अन्यथा अकाल के साथ ही पीने का पानी की समस्या से लोगों को जूझना निश्चित है।

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प्री-मानसून की बारिश का न होना अशुभ

- मई-जून की प्री मॉनसून बारिश को कृषि के साथ पशुओं के लिए जीवन दायनी माना जाता रहा है। इससे भदई व खरीफ के लिए खेतों की तैयारी कर बिचड़ा डालने का काम आरंभ होता था। वहीं पशुओं के लिए हरा चारा आसानी से मिलने के कारण दूध उत्पादन में वृद्धि होती थी। इसके साथ ही भू जल स्तर को बरकरार रखने में आसानी होती थी। इस वर्ष मई-जून माह में प्री मानसून की बारिश न होने से भूजल स्तर में काफी कमी आने से कृषि कार्य के साथ पेयजल के लिए लोगों को भटकना पड़ा। मई व जून माह में बारिश की कमी की भरपाई जुलाई से सितम्बर तक न हुई तो भूजल स्तर में कमी तो होगी ही पीने का पानी के लिए भी हाहाकार मचेगी।

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नहीं डाला जा सका धान का बिचड़ा

- प्री मानसून की बारिश न होने के कारण रोहिणी नक्षत्र में धान के बिचडे़ नहीं डाले जा सके। कारण स्पष्ट है बारिश का अभाव व भूजलस्तर का काफी नीचे चला जाना। वैसे कृषि विभाग अबतक 7600 हेक्टेयर में से 3014 हेक्टेयर में बिचड़ा गिराने का दावा कर रही है लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है।

बहरहाल मई-जून माह में औसत से 100 एमएम कम हुई बारिश किसानों के लिए मंगलकारी नहीं रहा। आद्र्रा नक्षत्र समाप्त होने में अब तीन दिन का समय रह गया है। बावजूद बारिश हुई तो किसान इसके बाद भी बिचड़ा गिराने से नहीं चूकेंगे। धीरे धीरे ही सही बारिश आरंभ हुई है तो किसानों की आशा बरकरार है।


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