मजदूरों की कमी से धान कटनी हो रही प्रभावित
-प्रखंड के अधिकांश किसानों के खेतों में पककर तैयार है अगात फसल ़फोटो-01 संसू वारिसल
-प्रखंड के अधिकांश किसानों के खेतों में पककर तैयार है अगात फसल ़फोटो-01 संसू, वारिसलीगंज : वारिसलीगंज प्रखंड क्षेत्र में म•ादूरों की कमी से खेतों में पककर तैयार धान की फसल कटनी का इंतजार कर रही है। किसान कहते हैं कि अग्रिम भेराइटी की फसल कटनी के अभाव में धीरे धीरे झुलसने लगी है। धान कटनी में विलंब का मुख्य कारण क्षेत्र से म•ादूरों का वृहद पैमाने पर पलायन होना है। बता दें कि कोरोना महामारी को ले लॉक डाउन के दौरान जैसे तैसे दूसरे प्रदेशों के ईंट भट्ठों पर से घर पहुंचे मजदूरों के सामने जब भादो माह में रोजगार की किल्लत हुई तो गांव टोला में घूम रहे मजदूरों को पलायन करवाने वाले ठीकेदारों से अग्रिम राशि लेना मजबूरी हो गई। फलत: सितंबर के अंतिम सप्ताह से मजदूरों का पलायन शुरू हो गया। अब स्थिति है कि हजारों की आबादी वाले अनुसूचित टोले में कुछ वृद्ध दिव्यांग स्त्री पुरुष शेष बचे हैं। जिनके भरोसे किसानों की धान की कटनी होनी है। हालांकि प्रखंड के कुछ गांवों के साधन संपन्न किसानों के पास धान कटनी के लिए हार्वेस्टर उपलब्ध है। बावजूद किसानों को मजदूरों की कमी खल रही है।
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खेतों में नमी से हार्वेस्टिग प्रभावित
-इस वर्ष अच्छी बारिश के कारण नहरी क्षेत्र में मानसून के अलावा नहरी पानी खेतों को मिलता रहा। फलत: फसल के पक जाने पर भी खेतों में नमी की अधिकता से हार्वेस्टिग करने में परेशानी हो रही है। मकनपुर ग्रामीण किसान मनोज सिंह, बसंत सिंह, शिवकुमार सिंह, अनिल कुमार पप्पू आदि लोग कहते हैं कि अगर ससमय धान की कटनी नहीं हुई तो निर्धारित समय पर रबी की बोआई संभव नहीं हो पाएगी। क्षेत्र के लोगों का मानना है कि सरकार को मजदूरों के पलायन रोकने के लिए स्थाई तौर पर रोजगार मुहैया करवाने की व्यवस्था करनी चाहिए। सिर्फ मनरेगा के भरोसे छोड़ देने से पलायन रुकने वाला नहीं है। क्योंकि मजदूरों के लिए बनाई गई मनरेगा योजना में मजदूर की जगह मशीन का इस्तेमाल ज्यादा होता है। जिससे मजदूरों को पर्याप्त रोजगार नहीं मिल पाता है।