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75 शिक्षकों की बर्खास्तगी के पत्र से विभाग में हड़कंप

कार्यरत 75 नियोजित पंचायत शिक्षकों की बर्खास्तगी पर हड़कंप ।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 07:05 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 07:05 PM (IST)
75 शिक्षकों की बर्खास्तगी के पत्र से विभाग में हड़कंप
75 शिक्षकों की बर्खास्तगी के पत्र से विभाग में हड़कंप

नवादा । नरहट प्रखंड के विभिन्न सरकारी स्कूलों में कार्यरत 75 नियोजित पंचायत शिक्षकों को हटाए जाने के बाद महकमे में हड़कंप मच गया है। दैनिक जागरण में नरहट प्रखंड में फर्जी पाए गए 75 शिक्षक शीर्षक से सोमवार को छपी खबर दिन भर चर्चा में रहा। लोग शिक्षक नियोजन प्रणाली तथा शिक्षा विभाग की व्यवस्था पर तंज कसते दिखे। आम लोगों का कहना था कि सच तो यही है कि सही से ज्यादा गलत नियोजन हुआ था। जो रह रह कर अखबार की सुर्खियां बनती रही है। अवैध शिक्षक बहाली का खेल पूर्ववर्ती डीपीओ सुरेन्द्र कुमार मंडल के कार्यकाल में खूब चला। श्रीमंडल ने सभी नियम को ताख पर रख कर नियोजन इकाई के तालमेल से बैक डेट में फर्जी बहाली कराई और लाभ शुभ के चक्कर में वेतन का भुगतान किया। अब जब जांच हो रही है तो और गड़बड़ झाला सामने आ रहा है। और संबंधित शिक्षकों को विद्यालय से मुक्त किया जा रहा है तो इनका सुनने वाला कोई नहीं है। डीपीओ श्री मंडल भी सेवानिवृत हो गए।

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बीइओ विद्या नंदन ठाकुर ने बताते हैं कि मेरे स्थानांतरण के बाद प्रभारी बीइओ अशोक ¨सह नरहट आए और उन्होंने दर्जनों शिक्षकों को सामंजन कर योगदान बैक डेट में करा दिया। जब उच्च न्यायालय के आदेश पर पुन: नरहट आया तो इसकी रिर्पोट विभाग को दिया। जिस पर कार्रवाई हुई। इधर सेवा से हटाए जाने के आदेश से आहत नियोजित शिक्षक परेशान हैं। हालांकि वे सभी अपनी बहाली को वैध बता रहे हैं।

राजेश कुमार,जितेन्द्र कुमार नव. प्रा. वि. गंगापुर, उदय कुमार नव.प्रा.वि. पूर्वोध ने बताया कि डीपीओ के द्वारा निकाला गया नियोजन इकाई के नाम ज्ञापांक 1296 से 1303 तक संबिधित पंचायतों को भेजे गए आदेश में शिक्षकों को विद्यालय जाने से वंचित कर दिया गया है। नियोजित शिक्षक डीपीओ के इस आदेश को गलत बता रहे है। इन लोगों का कहना है कि अपना प्रमाण पत्र दिखाने के लिए कोई सूचना आजतक नहीं दी गई है। यह मिथ्या आरोप है कि हमलोगों को प्रमाण पत्र की जांच कराने के लिए एक माह का समय दिया गया। प्रमाण पत्र जांच पत्र की जानकारी न तो शिक्षक को मिली है न ही समन्वयक को और न ही संबंधित प्रधानाध्यापक को। हमलोग प्रमाण पत्र का जांच कराने को तैयार हैं। राजेश कुमार ने बताया कि हमलोग को योगदान किए पांच साल बीत गए परन्तु अभी तक वेतन नहीं मिला। हमलोग वेतन भुगतान के लिए डीपीओ से कई बार मिले परन्तु एक बार भी वेतन का भुगतान नहीं किया गया। इसलिए हमलोग उच्च न्यायालय पटना में सीडब्लूजेसी 10125 दिनांक 14.05.2017 दायर कर अपना लंबित मानदेय का भुगतान करने की अपील कर रखे हैं। अन्य शिक्षकों ने अपने को सही बताया।

उदय कुमार नव. प्रा. वि. पूर्वोध ने बताया कि हमारी नियुक्ति प्राधिकार नवादा के आदेश संख्या 144 दिनांक 28.04.2012 के आदेश पर हुआ। श्रीकुमार ने बताया हमारे विद्यालय में दो उपस्थिति पंजी थी। जिसे औचक निरीक्षण में डीपीओ स्थापना देख कर भड़क गए थे तथा सभी को एक हीं पंजी में हाजिरी बनाने का निर्देश दिया था। जिसके आलोक में बीईओ विद्या नंदन ठाकुर ने अपने कार्यालय पत्रांक 460 दिनांक 01.02.2013 के आदेश में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक को एक ही उपस्थिति पंजी पर हस्ताक्षर बनाने का आदेश दिया था। मैं नियमित संकुल बैठक सहित सभी विद्यालीय कार्य को करते आ रहा हूं। आश्चर्य की बात है कि बीइओ ने आरोप लगाते हुए उदय कुमार को भी फर्जी माना है जबकि इनका दावा है कि अगर मैं फर्जी था तो मुझे आकस्मिक अवकाश दिनांक 03.10.2012 को बीइओ श्री ठाकुर ने कैसे स्वीकृत किया। मेरा पेमेंट फरवरी 2017 तक नियमित होता रहा। बहरहाल, यह मामला आसानी से ठंडा पड़ेगा कहना मुश्किल है।


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