किसानों के खेतों को सींचने के बजाय बर्बाद करती है पंचाने नदी
पांच नदियों का संगम पंचाने नदी खेती-किसानी के लिए वरदान कम सरकारी खजाना भरने के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण बन गई है। नारदीगंज प्रखंड के मधुवन गांव के समीप से निकलने वाली इस नदी में तिलैया ढाढर मंगूरा धनार्जय व खूरी बरसाती नदियों का मिलन होता है। ये सभी नदियां झारखंड राज्य के कोडरमा व चतरा जिले के समीप पहाडि़यों से कल-कल करते हुए निकलती हैं।
पांच नदियों का संगम पंचाने नदी खेती-किसानी के लिए वरदान कम, सरकारी खजाना भरने के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण बन गई है। नारदीगंज प्रखंड के मधुवन गांव के समीप से निकलने वाली इस नदी में तिलैया, ढाढर, मंगूरा, धनार्जय व खूरी बरसाती नदियों का मिलन होता है। ये सभी नदियां झारखंड राज्य के कोडरमा व चतरा जिले के समीप पहाडि़यों से कल-कल करते हुए निकलती हैं। खेती-किसानी को लाभ नहीं :
-पंचाने नदी का किसानों की भूमि को सिचित करने में कोई योगदान नहीं है। उल्टे यह अपने प्रचंड वेग में किसानों की रैयती भूमि को अपने आगोश में ले लेती है। वैसे यह नदी इलाके का भू-जल स्तर बेहतर बनाने में सहायक होती थी, लेकिन सरकारी खजाना भरने के चक्कर में वह लाभ भी नहीं मिल रहा है। अत्यधिक बालू उठाव से नदी काफी गहरी हो चली है। फिलहाल, नदी में पानी नहीं है। मधुवन गांव के समीप के उद्गम स्थल पर इसकी चौड़ाई करीब 1500 फीट है। इसी स्थान से तीन से चार किमी बाद ही यह नदी नालंदा जिले की सीमा में प्रवेश कर गिरियक-चोरसुआ होते हुए गंगा नदी में मिल जाती है।
इस नदी के उत्तरी किनारे पर मधुवन व मोतनाजे गांव है, जो राजगीर की पहाड़तली में बसा है। यह नदी इलाके में बसने वाले लोगों की भूमि को सिचित नहीं कर पाती है। बरसात के दिनों मे राजगीर की पहाड़ी से आने वाले पानी से खेती होती है, लेकिन प्रतिवर्ष किसानों की रैयती भूमि को नदी लील कर खुशहाली पर ग्रहण लगा रही है। नदी के दूसरे छोर पर गोरीघट, पनशाला व भलुईयां टाड़ आदि गांव हैं। वहां के किसानों के लिए भी यह नदी जीवनदायिनी नहीं रही।
क्या कहते हैं ग्रामीण-
-पंचाने नदी से कटाव जारी है, इस कटाव को रोकने के लिए गाइडवाल की आवश्यकता है, ताकि किसानों की रैयती भूमि को बचाया जा सके।
-संजय यादव, मधुवन। फोटो- 04 -आदिकाल से यह नदी इस इलाके से गुजरी है। बालू का उठाव होने के कारण नदी काफी गहरी होकर रह गई है। मधुवन गांव के समीप इसमें पांच नदियों का मिलन हुआ है। हम लोगों को इस नदी से कोई फायदा नहीं हुआ है।
-सुखदेव यादव, मधुवन। फोटो- 05 -पंचाने नदी में बरसात के दिनों में प्रतिवर्ष कटाव होता है। रैयती भूमि को काटकर नदी बहा ले जा रही। किसान अपनी भूमि को राजगीर की पहाड़ी से आने वाले पानी से सिचित करता है। यह नदी इस इलाके के किसानों को भूमि को सिचित नहीं कर पाती है।
-लटन यादव, मधुवन। फोटो- 02 -नदी जल संचय का प्रमुख स्रोत है। प्रकृति प्रदत्त इस संपदा का प्रतिदिन दोहन हो रहा है। इस इलाके से यह नदी बहती हुई नालंदा जिले में प्रवेश कर जाती है। हम लोगों के लिए यह नदी जीवनदायिनी नहीं बन पाई।
-राजो यादव, मधुवन। फोटो- 03 क्या कहते हैं अधिकारी :
-मधुवन गांव के समीप पांच नदियों का मिलन हुआ है, जिसे पंचाने नदी के नाम से जाना जाता है। इस स्थल पर तिलैया, ढाढर, मंगूरा, धर्नाजय, खूरी नदी का संगम है। नदियों के संरक्षण की आवश्यकता है। नदी जलसंचय का प्रमुख स्रोत है। प्रकृति प्रदत्त धरोहर की रक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठाया जाएगा।
-कुमार विमल प्रकाश, सीओ, नारदीगंज।