संपर्क पथ के आभाव में गोडापर गांव के बच्चे पगडंडी के सहारे जाते हैं स्कूल
बरसात के चार महीने स्कूल आने जाने में होती है परेशानी ़फोटो-02 संसू वारिसलीगंज सरक
बरसात के चार महीने स्कूल आने जाने में होती है परेशानी ़फोटो-02 संसू, वारिसलीगंज : सरकारी स्कूलों का भवन चकाचक जरूर हो गया है, लेकिन पढ़ने-पढ़ाने वालों की मुश्किलें कम नहीं हुई है। प्रखंड में एक ऐसा विद्यालय है जहां के बच्चे आज भी पगडंडी के सहारे वहां तक जाने को विवश हैं। माला प्रखंड के पैंगरी पंचायत की गोडापर स्थित मध्य विद्यालय का है। जहां के सैकड़ों गरीब बच्चों को शिक्षित बनाने को ले गांव से उत्तर बधार में एक मध्य विद्यालय स्थित है। विद्यालय में गांव के संपन्न लोगों के बच्चे नहीं पढ़ते हैं। गरीबों के बच्चों की शिक्षा ग्रहण का एकमात्र संसाधन उक्त विद्यालय है। जहां कक्षा एक से लेकर आठ तक के करीब 400 बच्चे नामांकित हैं। गांव के संपन्न कि परिवार अपने बच्चों को शहर के सीबीएसई पैटर्न के स्कूलों में शिक्षा के लिए भेजते हैं। ग्रामीण सह मुखिया प्रतिनिधि कुंदन प्रसाद कहते हैं कि गांव के उत्तर बधार स्थित देवी मंदिर तक पक्की सड़क बना हुआ है। मात्र दो सौ गज किसानों की निजी खेत की मेढ़ के पगडंडी पर होकर शिक्षक व बच्चों को स्कूल जाना पड़ता है। अगर मेढ़ के दोनों किनारे के किसान चार चार फीट अपनी जमीन स्वेच्छा से सड़क निर्माण के लिए दे दें तो विद्यालय का संपर्क पथ बन सकता है। कारण चाहे जो हो संपर्क पथ के अभाव में बरसात के चार महीने उक्त स्कूल आने जाने में काफी परेशानी होती है। जिस कारण चुनाव आदि के समय भी कोई वाहन स्कूल प्रांगण तक नहीं पहुंच पाता है। जबकि विद्यालय अवधि में कोई जांच अधिकारी बरसात के दिनों में मशक्कत बाद ही विद्यालय पहुंच पाते हैं।