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गोविन्दपुर : जेपी व विनोबा भावे की कर्म भूमि के साथ नहीं हुआ न्याय

- अतीत बनकर रह गया कागज कारखाना - सड़क सिचाई स्वास्थ्य शिक्षा अब भी समस्या - नक्सल प्रभावित

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 06:43 PM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 05:09 AM (IST)
गोविन्दपुर : जेपी व विनोबा भावे की कर्म भूमि के साथ नहीं 
हुआ न्याय
गोविन्दपुर : जेपी व विनोबा भावे की कर्म भूमि के साथ नहीं हुआ न्याय

- अतीत बनकर रह गया कागज कारखाना

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- सड़क, सिचाई, स्वास्थ्य, शिक्षा अब भी समस्या

- नक्सल प्रभावित विधानसभा में होती रही है वारदातें

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फोटो-16,17

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रवीन्द्र नाथ भैया, नवादा : पहाड़ों व जंगलों से आच्छादित बिहार- झारखंड सीमा पर स्थित गोविन्दपुर विधानसभा एक परिवार की थाती मानी जाती है। कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो एक ही परिवार के चार सदस्य दशकों से यहां से चुने जाते रहे हैं। जिले के अन्य इलाके की भांति ही शिक्षा, स्वास्थ्य, सिचाई, रोजगार आज भी यहां मुद्दा है। इस इलाके की पहचान जेपी और आचार्य विनोबा भावे की कर्मभूमि की रही है। चुनाव नजदीक है तो मतदाता विकास परक प्रत्याशी की खोज कर रहे हैं। प्रत्याशी भी विकास करने व पिछड़ेपन को दूर करने का आश्वासन दे रहे हैं।

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ककोलत व सोखोदेवरा को नहीं मिला पर्यटन का का दर्जा

- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दौरे में ककोलत को इको टुरिज्म व सोखोदेवरा को पर्यटन व शोध का क्षेत्र बनाने की घोषणा की थी। ककोलत के विकास के लिए उन्होंने राशि भी आवंटित की लेकिन विकास की गति इतनी मंथर है कि लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है । सोखोदेवरा के लिए तो अबतक कुछ हुआ ही नहीं ।

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जलाशयों से नहीं होती सिचाई

- 1977 के दशक में गोविन्दपुर प्रखंड क्षेत्र में कोलमहादेव व पुरैनी के साथ कौआकोल में जलाशयों का निर्माण कराया गया । तब किसानों को सिचाई सुविधाओं का लाभ दिलाने का आश्वासन दिया गया लेकिन सिचाई के नाम पर कहीं कुछ नहीं है । जंगली व पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण भूगर्भीय जलस्त्रोतों से सिचाई संभव नहीं है । ऐसे में यहां की कृषि भगवान भरोसे है । कभी 52 गांवों को सिचाई की सुविधा देने वाले रोह प्रखंड क्षेत्र के रजाइन पैन की उड़ाही के लिए आज भी किसानों को आन्दोलन करना पड़ रहा है । यही कारण है कि सतत सुखाड़ क्षेत्र घोषित रहने के बावजूद यहां के किसानों को पहाड़ी क्षेत्र की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है । जहां तक बिजली की बात है तो आपूर्ति में कुछ हद तक सुधार हुआ है लेकिन किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है ।

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स्वास्थ्य के मामले में फिसड्डी है इलाका

- कौआकोल का रेफरल अस्पताल हो या फिर अन्य क्षेत्रों का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र। दस बजे लेट नहीं, बारह बजे भेंट नहीं कि कहावत चरितार्थ होती है। यही कारण है कि कौआकोल प्रखंड क्षेत्र में प्रतिवर्ष दर्जनों लोगों की मौत मलेरिया बीमारी से हो जाती है । गंभीर रूप से जख्मी हो या बीमार मौत निश्चित है।

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शिक्षा के नाम पर इंटर से आगे नहीं

- उच्च शिक्षा की बात है तो कौआकोल प्रखंड क्षेत्र के पाण्डेय गंगौट में स्थापित वारसी डिग्री महाविद्यालय है। यह भी मान्यता प्राप्त है। इसे अगर अपवाद माना जाए तो रोह व गोविन्दपुर में एक भी महाविद्यालय नहीं है। परिणाम है कि यहां के संपन्न घराने के लड़के तो बाहर जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं लेकिन लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा की बात बेमानी है। यही कारण है कि क्षेत्र शिक्षा के मामले में काफी पिछड़ा है।

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अब कागज कारखाने की बात तक नहीं होती

- कभी 77 के दशक में कौआकोल में बांस की खेती को देखते हुए कागज कारखाना खोलने की घोषणा बिहार सरकार ने की थी। जनता पार्टी की सरकार के जाने के बाद तक बेरोजगार नौजवानों को आश्वासन का घूंट पिलाया जाता रहा लेकिन अब तो कोई चर्चा तक नहीं करता। अब वह अतीत की बातें हो गई है। आज भी यहां के नौजवानों को रोजगार की तलाश दूसरे राज्यों के लिए पलायन या फिर वन संपदा की चोरी के लिये मजबूर होना पड़ रहा है। अवैध महुआ शराब निर्माण व बिक्री यहां कुटीर उद्योग के रूप संचालित है।

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सड़कों की हालत जर्जर

- किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए अच्छी सड़क का होना आवश्यक है। हालात यह है कि मुख्य पथ तो मुख्य ग्रामीण पथों की हाल जर्जर है। बिहार- झारखंड को जोड़ने वाली दर्शन- मंझवे पथ की हालत जर्जर है। इसके राजमार्ग बनने में अड़चनें डाली जा रही है। परिणाम है कि अति महत्वपूर्ण पथ होने के बावजूद उक्त पथ पर बड़े यात्री बसों का चलना ठप है। कमोवेश यही स्थिति बरेब-गोविन्दपुर पथ का है। रोह इलाके की कई सड़कें चलने लायक नहीं है।

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है नक्सल प्रभावित क्षेत्र

- गोविन्दपुर विधानसभा क्षेत्र जंगलों व पहाड़ी क्षेत्रों से घिरे होने के कारण नक्सलियों का गढ़ रहा है। गोविन्दपुर व कौआकोल थानाध्यक्ष समेत कई पुलिसकर्मियो को बारूदी सुरंग व अन्य साधनों से उड़ाया जा चुका है तो कुहिला के पास चुनाव प्रचार वाहन को उड़ाए जाने की घटना आज भी याद कर लोगों का दिल दहल जाता है।

----------------------- रोह की प्रमुख समस्याएं

़फोटो

रोह नवादा: प्रखंड में इन दिनों बावन मौजा की सिचांई करने वाला रजाईन पईन के अलावा मौत को दावत दे रहे रोह- सिउर सड़क तथा भट्टा-कुंज सड़क चुनावी मुद्दा बनकर सुरसा की तरह मुह वाये है। इसके अलावा रोह प्रखंड को रजौली अनुमंडल से हटा कर नवादा अनुमंडल में शामिल करने आदि कई ज्वलंत मुद्दा है। इसका जबाब किन्हीं उमीदवारों के पास नहीं है। वोट मांगने वालों से जनता अपनी समस्या गिना रही है। इसका निवारण करने के आश्वासन देने वाले ही जनता के सामने टीक पा रहे हैं। बाकी जनता की इस सवाल से कन्नी काट रहे हैं।

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कहते हैं मतदाता

रोह प्रखंड में समस्याओं की भरमार है। कन्या इंटर विद्यालय की स्थापना व रोह प्रखंड को रजौली अनुमंडल से हटाकर नवादा में शामिल करने की मांग पर आज तक अमल नहीं किया गया।

रणजीत कुमार मुन्ना, अध्यक्ष, वरीय नागरिक संघ, रोह, ़फोटो-13

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- रोह प्रखंड की समस्याएं सुरसा की तरह मुंह बाए है। यहां की हर सड़कों की दशा इतनी खराब है कि उसपर पैदल चलना भी मुश्किल है। जनता के हित में काम करने वाले को ही चुना जाएगा।

पिटू कुमार, प्राइवेट शिक्षक, ़फोटो- 15

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- कभी किसानों के लिए जीवनरेखा रही रजाईन पईन की सफाई वर्षों से नहीं हुई है। जिसके कारण किसानों को आर्थिक तंगी सामना करना पड़ रहा है। बावजूद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने किसानों की इस समस्या के निदान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

रविन्द्र यादव, सामाजिक कार्यकर्ता, रोह। ़फोटो-14


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