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फुलवरिया डैम क्षेत्र में विस्थापन का दर्द

नवादा प्रखंड अंतर्गत फुलवरिया डैम बांध और जलग्रहण क्षेत्र में बसे गांव तीन दशक से विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 10:36 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 06:12 AM (IST)
फुलवरिया डैम क्षेत्र में विस्थापन का दर्द
फुलवरिया डैम क्षेत्र में विस्थापन का दर्द

नवादा : प्रखंड अंतर्गत फुलवरिया डैम बांध और जलग्रहण क्षेत्र में बसे गांव तीन दशक से विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं। बरसात में करीब आधा दर्जन गांवों की आबादी शहर, हाट-बाजार और चिकित्सा सेवा से कट जाता है। इस डैम में धनार्जय सहित कई नदी का पानी आता है। डैम के निर्माण के समय करीब 40 गांव थे जिसमें से 22 गांवों को अलग बसाया गया। शेष गांव डैप के जलग्रहण क्षेत्र में हर साल तबाही झेलने को विवश हैं।

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डैम के एक तरफ जंगल तो दूसरी ओर नदियों का पानी भरा है। फुलवरिया डैम दो तिहाई हिस्से में पहाड़ और एक तिहाई हिस्सा पानी से डूबा है। इलाके के ग्रामीण झारखंड के कोडरमा व गया जिले के गजहंडी के पहाड़ी रास्ते से नवादा जिले में आते हैं। इसके लिए करीब 40 से 50 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए तय करना पड़ता है। दूसरा विकल्प हाल के वर्षो से नाव बना। इसमें जोखिम ज्यादा है। उक्त गांवों के ग्रामीण शिक्षा, स्वास्थ, बिजली, पेयजल, संचार, सड़क जैसी बुनियादी समस्याओं का निदान नहीं निकाला जा सका।

फुलवरिया के झराखी बिसनपुर, परतौनिया, पिपरा, सुअरलेटी,पिछली,भानेखाप, कुंभियातरी गांव के लोगों को हर साल बर्बादी झेलना पड़ता है। बरसात के दिनों में बारिश की वजह डैम में पानी बढ़ने पर इन गांवों में पानी भर जाता है और इनका संपर्क मुख्यालय समेत अन्य हिस्सों से कट जाता है।

इस डैम के बाद भी जंगल पहाड़ के किनारे अवस्थित ग्रामीणों का प्रखंड, अनुमंडल व जिला मुख्यालय से कोई संपर्क नहीं रह पाता है। आवागमन के लिए नाव का ही मात्र सहारा है। लिहाजा ग्रामीणों को नाव के सहारे बाहर निकलना पड़ता है। पानी से घिरने के बाद हर साल दर्जनों घर, झोपड़ियां ध्वस्त हो जाती है और उनमें रखा सामान बाढ़ की भेंट चढ़ जाता है। परिणामस्वरूप बाढ़ पीड़ितों को सिर छिपाने, तन ढ़कने व परिवार का पेट पालने तक के लिए पूरे साल जद्दोजहद करना पड़ता है। 2019 में जिला प्रसाशन एवं आपदा के अधिकारी डैम में डूबे लोगों को बचाव के लिए आए थे। सुअरलेटी के कैलाश भुइंया, न्यू सिगर के गोरे राजवंशी एवं एकंबा गांव के जमुना राजवंशी का शव फुलवरिया डैम के किनारे से बरामद की गई थी। घटना के वक्त ये लोग धान का पटवन कर रहे थे। इसी बीच भारी बारिश के कारण नदी में आए बाढ़ के साथ फुलवरिया जलाशय में समा गए थे। लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण स्केलवे को 6 इंच खोला गया था। जिस से लगातार पानी निकासी होती रही थी। इस वर्ष फुलवरिया जलाशय में बाढ़ से बचाव के लिए सरकार व प्रशासन के द्वारा अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

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डैम का निर्माण - 1984 में

डैम का क्षेत्रफल -170.20 वर्ग किलोमीटर

चौड़ाई - 251.3 मीटर

लंबाई - 1135 मीटर

जल भंडारण क्षेत्र - 5934 हेक्टेयर

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-- कोट --

सभी तरह के खतरे पर नजर रखी जा रही है। प्रशासन अलर्ट है। अभी वाटर लेवल डैम का कंट्रोल में है। सीओ को जलस्तर और खैरियत रिपोर्ट के लिए अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है।

चंद्रशेखर आजाद,

अनुमंडल पदाधिकारी, रजौली।

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