माता-पिता के भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह देने होंगे पांच हजार रुपये
एसडीओ रजौली चंद्रशेखर आजाद ने अनुमंडल के सिरदला प्रखंड के चौबे पंचायत की भलुआ गांव के बुजुर्ग ब्रह्मादेव प्रसाद यादव के मामले की सुनवाई करते हुए उनके दोनों पुत्र को पिता के भरण-पोषण के लिए पांच-पांच हजार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया है।
एसडीओ रजौली चंद्रशेखर आजाद ने अनुमंडल के सिरदला प्रखंड के चौबे पंचायत की भलुआ गांव के बुजुर्ग ब्रह्मादेव प्रसाद यादव के मामले की सुनवाई करते हुए उनके दोनों पुत्र को पिता के भरण-पोषण के लिए पांच-पांच हजार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया है। साथी बुजुर्ग पिता को आवश्यक सुरक्षा मुहैया कराने को भी कहा। उन्होंने कहा कि अब अगर उनके पुत्र प्रताड़ित करते हैं तो थाना या फिर अनुमंडल पदाधिकारी को लिखित या दूरभाष पर सूचना दे सकते हैं। उसके बाद पीड़ित बुजुर्ग के दोनों पुत्रों पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
एसडीओ ने कहा कि बुजुर्ग माता-पिता को उनके पुत्र या पुत्र वधू प्रताड़ित करते हैं तो अनुमंडल न्यायालय में आवेदन दें।
बताते चलें कि एसडीओ कोर्ट में 16 दिसंबर 2019 को बुजुर्ग ब्रह्मदेव प्रसाद यादव के बेटे सुजीत कुमार, आनंदी प्रसाद व उनकी पत्नी पिकी देवी को नोटिस भेजकर कोर्ट में उपस्थित होने को कहा गया था। सुजीत कुमार ने न्यायालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा। लेकिन द्वितीय पुत्र आनंदी प्रसाद व उनकी पत्नी उपस्थित नहीं हुई। उसके बाद 26 फरवरी 2020 को एक्ट 2007 के आलोक में सुनवाई करते हुए दोनों पुत्रों को पिता के भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह पैसा देने का आदेश दिया गया।
वहीं, सिरदला प्रखंड के ही चौथा गांव की 65 वर्षीय अजनासिया देवी ने छोटे बेटे लखन चौधरी पर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगा एसडीओ कोर्ट में आवेदन दी थी। सुनवाई करते हुए एसडीओ ने आदेश दिया है कि वृद्ध महिला के दोनों पुत्र अपनी मां का एक-एक महीने रखकर भरण पोषण करेंगे। उनकी समुचित देखभाल भी करना होगा। आज के बाद यदि प्रताड़ित करेगा तो वृद्ध महिला स्वतंत्र होकर इसकी सूचना स्थानीय थाने या फिर अनुमंडल पदाधिकारी को देंगी। ऐसी शिकायत मिलने पर दोनों पुत्रों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, एसडीओ ने अनुमंडल वासियों से कहा है कि कोई भी व्यक्ति अपने वृद्ध माता-पिता को प्रताड़ित ना करें। उनका समुचित रूप से देखभाल करें। पुत्र द्वारा प्रताड़ित किए जाने पर अनुमंडल न्यायालय में आकर माता-पिता आवेदन दे सकते हैं। उन्हें शीघ्र न्याय मिलेगा।