फाइलों में सिमट कर रहा गया है कोचिग एक्ट
कोचिग संस्थानों में सुरक्षा नियमों का पालन करना अनिवार्य किया गया है। ताकि इन संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अग्निकांड जैसी आपदा से बचने में आसानी हो।
कोचिग संस्थानों में सुरक्षा नियमों का पालन करना अनिवार्य किया गया है। ताकि इन संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अग्निकांड जैसी आपदा से बचने में आसानी हो। कोचिग संस्थानों द्वारा मनमाने तरीके से लिए जाने वाले शुल्क पर भी लगाम लगे। इसी मकसद से 9 वर्ष पूर्व 2010 में कोचिग एक्ट बनाया गया था। इस एक्ट के तहत कोचिग संस्थान को अपने जिला मुख्यालय में निबंधन करवाना अनिवार्य किया गया। लेकिन अब तक इस कानून का पालन होता नहीं दिख रहा। इससे प्रतीत होता है कि कोचिग एक्ट केवल फाइलों में सिमट कर रह गया है। इस एक्ट के प्रति कोचिग संस्थान संचालक गंभीर नहीं दिख रहे हैं।
कोचिग को लेकर जिले में रजिस्ट्रेशन के लिए शुल्क के रूप में 5 हजार जमा कराने पड़ते हैं। रजिस्ट्रेशन करवाने वाले कोचिग संस्थान विद्यार्थियों को प्रोटेक्टर्स फीस कोर्स और शिक्षा की शैक्षणिक योग्यता और अनुभव की जानकारी उपलब्ध करवाना शामिल है। साथ ही कोचिग संस्थान में विद्यार्थियों के लिए पीने के शुद्ध पानी और शौचालय की व्यवस्था देना अनिवार्य है। इसके अलावा अग्निशमन सहित आकास्मिक चिकित्सक सेवा भी जरूरी है। इस एक्ट में कहा गया था कि प्रावधान का उल्लंघन करने वाले कोचिग संस्थान पर पहली बार 25 हजार और दूसरी बार 1 लाख दंड का प्रावधान किया जाता है। तीसरी बार गलती करने पर रजिस्ट्रेशन रद्द करने की कार्रवाई भी जा सकती है। लेकिन अब तक प्रखंड के एक भी कोचिग संस्थान द्वारा रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया गया। जो कि चिता का विषय है।