Move to Jagran APP

संतान को हर कष्ट से बचाता है जिउतिया व्रत

-10 सितंबर को मनाया जाएगा पर्व महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास संवाद सहयोगी नवादा अश्ि

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 10:30 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 10:30 PM (IST)
संतान को हर कष्ट से बचाता है जिउतिया व्रत
संतान को हर कष्ट से बचाता है जिउतिया व्रत

-10 सितंबर को मनाया जाएगा पर्व, महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास संवाद सहयोगी, नवादा : अश्विन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जीविपुत्रिका व्रत किया जाता है। 2020 में यह व्रत 10 सितंबर गुरुवार को होगा।

loksabha election banner

इस व्रत को स्त्रियां अपने संतान को कष्टों से बचाने और लंबी आयु की कामना के लिए करती हैं। इस व्रत को निर्जला किया जाता है। कुछ जगहों पर इसे जितिया या जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

मान्यता है कि जब महाभारत का युद्ध हुआ तो अश्वत्थामा नाम का हाथी मारा गया लेकिन चारों तरफ यह खबर फैल गई कि गुरू द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा मारा गया। यह सुनकर अश्वत्थामा के पिता द्रोणाचार्य ने शोक में अस्त्र डाल दिए तब द्रोपदी के भाई धृष्टद्युम्न ने उनका वध कर दिया। इसके बाद अश्वत्थामा के मन में प्रतिशोध की अग्नि जलने लगी। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए उसने रात्रि के अंधेरे में पांडव समझकर उनके पांच पुत्रों की हत्या कर दी। इसके कारण पांडवों को अत्यधिक क्रोध आ गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा से उसकी मणि छीन ली।

जिसके बाद अश्वत्थामा पांडवों से क्रोधित हो गया और उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी जान से मारने के लिए उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया।

भगवान श्री कृष्ण इस बात से भलिभांति परिचित थे कि ब्रह्मास्त्र को रोक पाना असंभव है। लेकिन उन्हें पांडवों के पुत्र की रक्षा करना अति आवश्यक था।

भगवान श्री कृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल एकत्रित करके उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को दिया। जिसके फलस्वरूप उत्तरा के गर्भ में पल रहा बच्चा पुनर्जीवित हो गया।

यह बच्चा ही बड़ा होकर राजा परीक्षित बना। उत्तरा के बच्चे के दोबारा जीवित हो जाने के कारण ही इस व्रत का नाम जीवितपुत्रिका व्रत पड़ा। तब से ही संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.