बदलते मौसम में रखें स्वास्थ्य का ध्यान
मौसम का मिजाज बदल रहा है। ऐसे में जरा सी लापरवाही आपको मुश्किल में डाल सकती है। फिर सावधानी बरत कर ही अपने स्वास्थ्य को बचा पाना संभव है।
मौसम का मिजाज बदल रहा है। ऐसे में जरा सी लापरवाही आपको मुश्किल में डाल सकती है। फिर सावधानी बरत कर ही अपने स्वास्थ्य को बचा पाना संभव है। आमतौर पर जरा सी गर्मी आते ही लोग गर्म कपडे़ से तौबा करने लगते हैं तो कमरे में पंखा चलाकर सोना आरंभ कर देते हैं। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और ऐसे रोगियों की सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में संख्या बढ़नी शुरू हो गई है। अकेले सदर अस्पताल की बात की जाए तो वायरल बीमारी से ग्रसित प्रतिदिन ओपीडी में करीब 600 मरीज पहुंच रहे हैं।
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लग रही लम्बी कतारें
- मौसम में बदलाव के साथ ही सदर अस्पताल में मरीजों की लंबी कतारे लगनी आरंभ हो गई है। अकेले वायरल बुखार के सैकड़ों की संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। ओपीडी से लेकर आपातकालीन कक्ष तक में मरीजों की कतारें लग रही है। दवा वितरण कक्ष के पास दवा लेने की आपाधापी मच रही है। सदर अस्पताल में इन दिनों वायरल बुखार, बदन दर्द, सर दर्द व पेट दर्द के साथ ही चर्म रोग से पीड़ित मरीजों का पहुंचना आरंभ हो गया है। गंभीर रूप से बीमार मरीजों को आपात कक्ष में भर्ती किया जा रहा है। चिकित्सक भी मरीजों को गर्म कपड़े पहनने के साथ ही बासी भोजन न खाने के साथ ही मच्छरदानी लगाने की सलाह दे रहे हैं।
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कहते हैं चिकित्सक
- इन दिनों लोगों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वे मच्छरों के प्रकोप से बचें। अधिकतर बीमारियां मच्छरों के काटने से हो रही है। ऐसे में मच्छरदानी का प्रयोग आवश्यक है। इसके साथ ही जिस प्रकार चर्म रोग का प्रकोप बढ़ रहा है इसके पूर्व पहले ऐसा कभी नहीं देखा गया। इसके लिए स्वच्छता का ख्याल रखना आवश्यक है। मास्क लगाकर चलना सबसे उपयोगी साधन है। इसके साथ ही ब्लड प्रेशर व हृदय रोगियों को भी विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
डॉ. एके अरूण, फिजीशियन, नवादा ।
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नवजात बच्चों से लेकर हर छोटे बच्चों को वायरल बुखार की संभावना इस मौसम में बढ़ जाती है। फिलहाल सर्दी मौसम की विदाई व गर्मी का प्रवेश हो रहा है। ऐसे समय में बच्चों के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। मच्छरदानी का प्रयोग हर हाल में किया जाना आवश्यक है। बच्चों को हमेशा ढ़क कर रखना चाहिए। खासकर बच्चो की मां को विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। छह माह तक के बच्चों को मां का दूध ही देना श्रेयस्कर है।
डॉ. महेश कुमार, शिशु रोग विशेषज्ञ, नवादा।