नदी पर पुल की कमी से पथ की अहमियत नहीं
बिहार-झारखंड को जोड़ने वाली मंझवे-दर्शन पथ पर तिलैया व धनार्जय नदी में पुल नहीं रह।
नवादा। बिहार-झारखंड को जोड़ने वाली मंझवे-दर्शन पथ पर तिलैया व धनार्जय नदी में पुल नहीं रहने से बरसात के चार माह उक्त सड़क की उपयोगिता नहीं रह जाती है। ऐसे में लोगों के लिए सड़क का होना, न होना एक समान हो जाता है। पुलिस के अभाव में गहरे पानी में पार कर आने जाने के लिए लोगों को मजबूर होना पड़ रहा है। उक्त पथ जिले के चार प्रखंडों मेसकौर, नरहट, अकबरपुर व गोविन्दपुर के साथ ही ऐतिहासिक शीतल जलप्रपात ककोलत को जोड़ती है। पुल के न होने से जिले के उक्त प्रखंडों की बड़ी आबादी बरसात के चार माह प्रभावित रहती है। देवघर की कम हो जाती है दूरी
- उक्त पथ से गया, देवघर के साथ कोलकाता की दूरी कम हो जाती है। सावन व भादो माह में भारी संख्या में लोग पैदल या वाहनों के माध्यम से देवघर जाते हैं। नदी पर पुल नहीं रहने के कारण उन्हें या तो नवादा होकर पकरीबरांवा या फिर फतेहपुर के रास्ते देवघर आने-जाने पर मजबूर होना पड़ता है। इससे समय व रुपये की बर्बादी होती है।
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प्रखंड मुख्यालय आने-जाने में परेशानी
- नरहट प्रखंड क्षेत्र के सैदापुर गोवासा पंचायत के साथ ही खनवां पंचायत क्षेत्र के डेढगांव व मनिकपुरा लोगों को नदी में पुल नहीं रहने के कारण बरसात के चार माह प्रखंड मुख्यालय आने जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आवश्यक कार्य से ही जान जोखिम में डाल लोग नदी की तेज धार में गहरे पानी पार कर आने-जाने को मजबूर होते हैं। सर्वाधिक परेशानी गंभीर रूप से बीमार या फिर प्रसव वाली महिलाओं को होती है। अकबरपुर के कई गांव के लोग तो चाहकर भी इस ओर नहीं ताकते।
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नदी के दोनों ओर से चल रहा वाहन
-ऐसी भी बात नहीं है कि पथ पर वाहन नहीं चल रहा है। नदी के पूर्वी छोर से फतेहपुर व पश्चिम ओर से नरहट के लिए छोटी वाहन चल रही है। लेकिन इन दोनों के बीच धनार्जय नदी बाधक बना हुआ है।
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कहते हैं विधायक
-उक्त पथ को एनएच में शामिल कराने का कार्य जारी है। जल्द ही कई पुल-पुलिया का निर्माण करा समस्या से निजात दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।
अनिल ¨सह, विधायक, हिसुआ विधानसभा।