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जीतू यादव की दूसरी शादी के साथ ही पड़ गई थी नफरत की बुनियाद

बिहारशरीफ। छबिलापुर थाना के लोदीपुर गांव के जीतू यादव के इकलौते पुत्र रामस्वरूप यादव के मन में नफरत के बीज उसी वक्त पड़ गए थे जब उन्होंने दूसरी शादी कर ली थी। दूसरी पत्नी से जीतू के तीन बेटे क्रमश रामरूप यादव जगदेव यादव एवं परशुराम यादव हुए। आज जीतू यादव के एकमात्र पुत्र परशुराम यादव जीवित हैं। अन्य का निधन हो चुका है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 12:16 AM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 12:16 AM (IST)
जीतू यादव की दूसरी शादी के साथ ही पड़ गई थी नफरत की बुनियाद

बिहारशरीफ। छबिलापुर थाना के लोदीपुर गांव के जीतू यादव के इकलौते पुत्र रामस्वरूप यादव के मन में नफरत के बीज उसी वक्त पड़ गए थे, जब उन्होंने दूसरी शादी कर ली थी। दूसरी पत्नी से जीतू के तीन बेटे क्रमश: रामरूप यादव, जगदेव यादव एवं परशुराम यादव हुए। आज जीतू यादव के एकमात्र पुत्र परशुराम यादव जीवित हैं। अन्य का निधन हो चुका है। तीन दशक पहले जीतू यादव की भी जमीन विवाद में हत्या हुई थी।

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परन्तु इससे भी भाइयों में सबसे बड़े और जीतू की पहली पत्नी के इकलौते पुत्र रामस्वरूप ने सबक नहीं लिया। भाइयों को जमीन में बराबर का हक नहीं दिया और विरासत में बंटवारे का विवाद छोड़ गए।

नतीजा यह हुआ कि दिवंगत रामस्वरूप यादव का इकलौता बेटा महेंद्र यादव और उनके तीन बेटे लालू यादव, छोटी यादव व मनीष यादव भी खानदानी सम्पत्ति में पहला और सबसे बड़ा हक अपना मानने लगे। सौतेली दादी के वंशजों को सम्मिलित की लगभग 60 बीघा जमीन में हिस्सा नहीं देने पर अड़े थे। मामला कोर्ट में गया। कई बार स्थानीय स्तर पर पंचायती के प्रयास हुए। परन्तु सभी निष्फल रहे। तीन माह पहले छबिलापुर थाने में दोनों पक्ष की मौजूदगी में बांड भरा गया कि कोर्ट का निर्णय आने तक जमीन की यथास्थिति बरकरार रखी जाए। फिर भी एक पक्ष के महेंद्र यादव व उनके बेटे ने ताकत की जोर पर जमीन कब्जाने का निर्णय कर लिया। बुधवार को ये लोग पूरी तैयारी के साथ लोदीपुर गांव के देवी मंदिर के सामने की जमीन की जोताई करने पहुंच गए। ग्रामीणों ने बताया कि महेंद्र यादव ने बेटे व बेटी की ससुराल खुदागंज थाना के बौरी व अंकुरी, पास के करमुबीघा तथा गया के नीमचक बथानी से हरवे-हथियार से लैस बदमाशों को बुलाया था।

इधर, दिवंगत जगदेव यादव के बेटों, दिवंगत रामरूप यादव के बेटों व एकमात्र जीवित भाई परशुराम यादव व उनके बेटों को इस तैयारी व मंशा के बारे में कुछ भी पता नहीं था। वे लोग थाने में भरे गए बांड का हवाला देकर जमीन की जोताई रोकने लाठी-पैना लेकर पहुंच गए। फिर क्या था, कार्बाइन, राइफल व पिस्तौल से लैस बदमाशों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। गोलीबारी शुरू होते दूसरे पक्ष के लोग भागने लगे। बदमाशों ने फिल्मी स्टाइल में भाग रहे स्व. जगदेव यादव के बेटे यदु यादव व उनके दो बेटे पिटू व मधेश के पैर में पहले गोली मारी, फिर जैसे वे गिरे सिर और सीने को गोलियों से छलनी कर दिया। तीनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। अब यदु यादव के दो बेटे सुरक्षित बचे हैं। इसी तरह बदमाशों ने परशुराम यादव व उनके चार बेटे धीरेंद्र, शिवेंद्र, शम्भू व मीठू के पैर व बांह में पहले गोली मारी। धीरेंद्र व शिवेंद्र की मौत हो गई। परशुराम, शम्भू व मीठू यादव जख्मी हैं, इलाज पीएमसीएच में चल रहा है। वहीं एक अन्य भाई दिवंगत रामरूप यादव का बेटा बिन्दा यादव भी गोली लगने से जख्मी हैं। सौतेले भाइयों को दी हुई जमीन हथियाने पर शुरू हुआ विवाद

जीतू यादव की हत्या के बाद रामस्वरूप यादव ने अपने पिता की कमान संभाली। ग्रामीणों की मानें तो इन लोगों की साठ बीघा के आस-पास जमीन थी। शुरुआती दौर में रामस्वरूप यादव ने अपने जीवन काल में अपने सभी तीनों सौतेले भाइयों को थोड़ी-बहुत जमीन देकर सभी को उसी हिस्से पर ही काबि•ा रहने को कहा। तीनों भाई बड़े भाई के डर से उससे ही गु•ार- बसर करने लगे। साथ ही ये लोग अन्य किसानों के खेत बंटाई पर लेकर संतुष्ट हो गए। बात आई गई हो गई। कुछ साल रामस्वरूप यादव का मन बदल गया। उसने फिर से सौतेले भाइयों को दी हुई जमीन हथिया ली। विवाद उसी दिन से शुरू हो गया। जिसकी परिणति उनके निधन के बाद सौतेले भाइयों के पांच वंशजों की हत्या के रूप में हो गई। आरोपित पक्ष के लोग घर छोड़कर फरार

लोदीपुर गांव में पांच हत्याओं के बाद आरोपित पक्ष के सभी लोग घर छोड़कर फरार हैं। हालांकि पीड़ित पक्ष की महिलाओं का कहना है कि सभी मर्द घर छोड़कर फरार हैं लेकिन औरतों ने खुद को घर में नजरबंद कर लिया है। आरोपित पक्ष के दो घरों में एक के मुख्य दरवाजे पर ताला जड़ा है। बाहर में एक जोड़ी चप्पल औंधी पड़ी है। जबकि दूसरे घर के मुख्य दरवाजे की सांकल चढ़ी है। इसी घर के अंदर महिलाओं के छिपे होने का दावा किया जा रहा है।


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