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आज अधिनियम के विरोध में प्रतिरोध मार्च निकालेंगे अधिवक्ता

नालंदा। जिला अधिवक्ता संघ के मुख्य हाल में अध्यक्ष प्रभात कुमार रूखैयार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Apr 2017 03:05 AM (IST)Updated: Fri, 21 Apr 2017 03:05 AM (IST)
आज अधिनियम के विरोध में प्रतिरोध मार्च निकालेंगे अधिवक्ता

नालंदा। जिला अधिवक्ता संघ के मुख्य हाल में अध्यक्ष प्रभात कुमार रूखैयार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। बैठक का निर्देशन करते हुए सचिव दिनेश कुमार ने सदस्यों को विधि आयोग से अनुशंसित अधिवक्ता अधिनियम का उल्लेख किया। जिसके अनुसार बताया कि इस विधेयक का मुख्य प्रावधान बार काउंसिल आफ इंडिया और स्टेट बार काउंसिल को अलग कर संघों की एकता पर कुठाराघात का प्रयास है। अनुमंडल से राष्ट्रीय स्तर तक के 50 प्रतिशत अधिवक्ताओं को सुप्रीम कोर्ट नामित करेगी। जिसकी कमिटी में रिटायर जज होंगे। इसके अलावा नन एमिनेट जैसे डाक्टर इंजीनियर आदि सरकार से नामित व्यक्ति संस्था चलाएंगे। यदि जज को महसूस हो कि केस वकील के कारण लंबित हो रहा है तो वह अनुशासन समिति को अनुशंसा करेंगे जो कार्रवाई स्वरूप लाइसेंस रद कर सकते हैं। अधिवक्ता संघ के प्रत्येक संस्था को संचालित करने के लिए सात में से तीन व्यक्ति सरकार की ओर से नियुक्त होंगे जो अधिवक्ताओं के त्रुटिपूर्ण एवं गलत व्यवहार को तय करेंगे। यही नहीं बल्कि इसमें दंडात्मक कार्रवाई स्वरूप एक लाख से 5 लाख रुपये तक जुर्माना तथा 6 माह से 3 साल तक कारावास की सजा का भी प्रावधान है। इससे अधिवक्ताओं को समर्थन शक्ति खत्म करने की कोशिश होगी। पक्षकार के शिकायत पर अनुशासन समिति वकीलों से क्षतिपूर्ति भी दिलाएगी और फैसला जज करेंगे। जिसका खामियाजा वकील भुगतेंगे। ये अधिनियम अधिवक्ता के मान सम्मान के साथ अस्तित्व समाप्त करने वाले हैं। पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार अधिवक्ता ने कहा कि विधि आयोग का प्रस्ताव ¨नदनीय है इसका जमकर विरोध होना चाहिए। इस अधिनियम के अन्य बातों के अलावा अधिवक्ता को भी चिकित्सक की तरह उपभोक्ता अधिनियम के तहत लाने का प्रावधान किया जा रहा है। वहीं संयुक्त सचिव उमेश कुमार निराला व अंकेक्षक मिथलेश प्रसाद ने भी संबोधित करते हुए कहा कि इस काले कानून की ¨नदा करते हैं इसे रोकने के लिए जो भी निर्णय होगा समर्थन में कार्य करेंगे। जिसमें सामूहिक स्थल पर अधिनियम की प्रतियां जलाते हुए राष्ट्रपति, पीएम, विधि मंत्री विधि आयोग को ज्ञापन प्रेषित किये जाने के लिए डीएम को सौंपा जायेगा। लंच के बाद न्यायिक कार्य नहीं करेंगे।


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