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तीन शिक्षकों ने देखा विद्यालय को सर्वश्रेष्ठ बनाने का सपना

नालंदा। तू रख हौसला मंजर भी आएगा प्यासे के पास चलकर समुन्दर भी आएगा। तीन शिक्षकों ने अपने विद्यालय क

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 04:25 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 04:25 PM (IST)
तीन शिक्षकों ने देखा विद्यालय को सर्वश्रेष्ठ बनाने का सपना
तीन शिक्षकों ने देखा विद्यालय को सर्वश्रेष्ठ बनाने का सपना

नालंदा। तू रख हौसला मंजर भी आएगा प्यासे के पास चलकर समुन्दर भी आएगा। तीन शिक्षकों ने अपने विद्यालय को श्रेष्ठ बनाने के लिए जो मेहनत की वह अन्य शिक्षकों के लिए नजीर हो सकता है। बिन्द प्रखंड के लोदीपुर पंचायत के इब्राहिमपुर उत्क्रमित विद्यालय की किस्मत तीन शिक्षकों ने मिलकर बदल डाली। सुविधाओं के मामले में प्राइवेट स्कूलों से भी दो कदम आगे है। इसका भवन किसी भी बड़े स्कूल के विशालकाय भवनों को पीछे छोड़ सकता है। इसका मुख्य कारण इस विद्यालय की आधुनिकता। इस विद्यालय में न केवल कांफ्रेंस हॉल, लाइब्रेरी, एक्सट्रा एक्टीविटी हॉल हैं बल्कि यहां की शैक्षणिक व्यवस्था भी किसी को प्रभावित कर सकता है। शिक्षक-शिक्षिकाओं से लेकर कर्मी तक विद्यालय के विकास में पूरी तरह सर्मपित हैं। विद्यालय को मुकाम पर लाने का सपना इसी विद्यालय के तीन शिक्षकों ने 2012 में देखा था। गांव वाले का सहयोग मिला और फिर सफर शुरू हो गया विद्यालय को सर्वश्रेष्ठ बनाने का। शुरू में आर्थिक कमी रोड़ा बनी। लेकिन प्रखंड विकास पदाधिकारी के सहयोग व आश्वासन से यह बाधा भी बड़ी नहीं रही। अभिभावकों ने भी पूर्ण सहायता का भरोसा दिलाया। और देखते ही देखते विद्यालय की रौनक बदल गई। आज इस विद्यालय में बच्चों को वे सारी सुविधाएं मिल रही है जो सरकारी विद्यालय के बच्चों को मिलना सहज नहीं होता। यहां पर बच्चो के लिए खेलने, पढ़ने के लिए सुसज्जित पुस्तकालय के साथ नर्सिंग की भी व्यवस्था है। विद्यालय का अनुशासन भी इस विद्यालय की खासियत है। यह विद्यालय बड़े-बड़े बोर्डिंग विद्यालयों को भी मात दे रहा है। सच तो यह है कि सपने तभी साकार होते हैं जब उस दिशा में कार्य किया जाता है। बच्चों के लिए टाई-बेल्ट की राशि की व्यवस्था करने में शिक्षक और अभिभावकों का भरपूर सहयोग रहता है। पूरे बच्चे वेल-ड्रेस्ड होते हैं। आज अपने बच्चों को इस स्कूल में पढ़ते देख अभिभावक भी स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। विद्यालय में अंग्रेजी बालने की प्रैक्टिस भी कराई जाती है।

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क्या कहते स्कूल प्रभारी

शिक्षक का पहला धर्म बच्चो में संस्कार देना है। हम खुशनसीब हैं कि बच्चों को शिक्षा देने का हमें सौभाग्य मिला है। बच्चों को पूरी तन्मयता से पढ़ाना चाहिए। सरकार भी इसी कार्य के लिए ही पैसे देतेी है। इस विद्यालय में कई और भी प्रबंध करने बाकी है ताकि इसकी रोशनी दूर तक फैले।

प्रभारी, विकेश कुमार क्या कहते है शिक्षा पदाधिकारी

प्रखण्ड शिक्षा अधिकारी सुरेश ¨सह कहते हैं कि जब उन्होंने स्कूल का दौरा किया तो हैरान रह गए थे। उत्क्रमित मध्य विद्यालय इब्राहिमपुर स्कूल में सुधार करने का श्रेय पूर्व स्कूल इंचार्ज विकेश कुमार और स्टॉफ को जाता है। उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर विद्यालय को मुकाम पर पहुंचाया।


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