अनहोनी को न्योता दे रही बस्ता प्राथमिक विद्यालय की जर्जर छत
बिहारशरीफ। चुनाव के समय बड़ी-बड़ी बातें करने वाली पार्टियों को हिलसा के बस्ता गांव स्थित विद्यालय की हालात को देखने की जरूरत है। विद्यालय के जर्जर भवन देखकर विश्वास नहीं होता कि दुनिया को ज्ञान से आलोकित करने वाले जिले के विद्यालयों की हालत ऐसी है।
बिहारशरीफ। चुनाव के समय बड़ी-बड़ी बातें करने वाली पार्टियों को हिलसा के बस्ता गांव स्थित विद्यालय की हालात को देखने की जरूरत है। विद्यालय के जर्जर भवन देखकर विश्वास नहीं होता कि दुनिया को ज्ञान से आलोकित करने वाले जिले के विद्यालयों की हालत ऐसी है। विद्यालय की छत कब गिर जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन, न तो प्रशासन का इस ओर ध्यान है, न सरकारी नुमांइदे इस पर बात करना चाहते हैं। विद्यालय उपेक्षा का ऐसा शिकार बना कि अब केवल बरामदे ही रह गए हैं। शुक्र मनाएं कि कोरोना संक्रमण के कारण आठ माह से विद्यालय बंद है। अन्यथा कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। मालूम हो नारायणपुर पंचायत के बस्ता गांव में बड़ी संख्या में नोनिया जाति के लोग रहते हैं। इस गांव में एक प्राथमिक विद्यालय व एक मध्य विद्यालय है लेकिन प्राथमिक विद्यालय की हालत जर्जर है। विद्यालय में जाना मौत को दावत देने के समान है। ऐसे में विद्यालय खुलने के पहले इसकी मरम्मत की दरकार है। वर्ना अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता।
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वोट उसी को जो गांव के विद्यालय का कराएगा पुर्ननिर्माण
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विधानसभा का चुनाव 3 नवंबर को होना है। ऐसे में बस्ती गांव में नेताओं का आना-जाना आंरभ हो चुका है। पूर्व के चुनाव की तरह इस बार भी विद्यालय को संवारने तथा बिजली व सड़क को दुरुस्त करने का आश्वासन मिल रहा है। लेकिन इस बार गांव के लोगों का दो टूक कहना है कि वोट उसे ही मिलेगा, जो हमारे गांव के विद्यालय का पुर्ननिर्माण करा पाएगा। फिलहाल, इस गांव में जो भी प्रत्याशी पहुंच रहे हैं, उन्हें ग्रामीणों का कोपभाजन बनना पड़ रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि उनके गांव की तस्वीर कब बदलेगी। गांव में न तो सड़क है और न ही बिजली का उत्तम प्रबंध है।