बेटा और बेटी में फर्क करना समाज में जुर्म
अंतरराष्ट्रीय विश्व बालिका दिवस के मौके पर नव बिहार समाज कल्याण प्रतिष्ठान केंद्र पावापुरी में कार्यक्रम हुआ।
नालंदा। अंतरराष्ट्रीय विश्व बालिका दिवस के मौके पर नव बिहार समाज कल्याण प्रतिष्ठान केंद्र पावापुरी में गिरियक प्रखंड के छह गांव गिरियक संगतपर, डाक्टर इंग्लिश पर, रैतर, प्यारेपुर, पोखरपुर, दुर्गापुर एवं पुरैनी के 120 बालिकाओं के साथ एक चर्चा परिचर्चा का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम महिला अधिकार के सौजन्य से आयोजित की गई। इसके बाद बच्चियों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ बालिकाओं को शील्ड भी दिया गया। इस मौके कतरीसराय थानाध्यक्ष ¨पकी प्रसाद ने आज घर से लेकर बाहर में आने वाली बच्चियों के साथ परेशानियों पर विस्तार से बताई। साथ ही उन्होंने साड़ी बच्चियों का हौसला बढ़ाने के साथ हिम्मत दिलाई की समाज में अपनी पहचान उनके अच्छे कर्मों से होती है और इस दिशा में बालिकाएं भी बहुत आगे हैं। इस चर्चा में बालिकाओं ने काफी खुलकर अपनी पढ़ाई को लेकर घर से बाहर की परेशानियों को रखा। इस मौके पर पुरैनी विद्यालय के शिक्षक रवींद्र प्रसाद ने भी बालिकाओं को काफी उत्साह एवं हिम्मत के साथ समाज में जीने की हक के बारे बताया। इस मौके महिला अधिकार मोर्चा के संरक्षिका उषा कुमारी ने बताया कि भारत के पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई ने अपने पति शिक्षक ज्योति राव फुले ने बालिकाओं के शिक्षा के लिए संघर्ष किया भारत की प्रथम अध्यापिका बनी। उन्होंने ही काफी संघर्ष किया और महिलाओं के लिए अलग से खुलवाने का काम किया। अंत में इस चर्चा परिचर्चा में भाग लेने वाले बालिकाओं को सावित्री बाई का मोमेंटो दिया गया। प्रथम स्थान पाने वाले तीन बालिका खुशबू कुमारी, ¨सपी कुमारी, ललिता कुमारी, द्वितीय स्थान पाने वाली मुस्कान नगमा, रोजी प्रवीण, डौली कुमारी एवं तीसरा स्थान पाने वाली साबरीन प्रवीण, राखी कुमारी व सजनी कुमारी को मोमेंटो दिया गया। साथ ही नाटक आयोजन में भाग लेने वाली कई बालिकाओं को शिल्ड दिया गया। इस मौके पर संस्था के अमिताभ नारायण, ¨मटू, बेबी, रेणु, ध्रुवीनी, अंजना आदि लोग मौजूद थे।