मरीजों का कैसे हो इलाज, चंडी रेफरल अस्पताल में नहीं हैं एक भी चिकित्सक
बिहारशरीफ। सरकार व स्वास्थ्य विभाग आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने का दावा तो कर रही है
बिहारशरीफ। सरकार व स्वास्थ्य विभाग आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने का दावा तो कर रही है पर हकीकत इसके विपरीत है। चंडी में कहने को तो रेफरल अस्पताल है पर यहां सुविधाएं नदारद हैं। प्रशासनिक उदासीनता की वजह से रेफरल अस्पताल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनकर रह गया है। 30 बेड वाले इस अस्पताल में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह अस्पताल बिना डॉक्टर के ही चलाया जा रहा है। रेफरल अस्पताल में न तो चिकित्सक और न ही अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था है। यहां पर बुखार, खांसी, जुकाम व छोटी-मोटी चोट का इलाज तो हो जाता है पर दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीज को तुरंत ही प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है। कारण यह है कि गंभीर मरीज को देखने के लिए कोई डॉक्टर ही उपलब्ध नहीं है। चार की जगह एक भी डाक्टर नहीं हैं प्रतिनियुक्त :
रेफरल अस्पताल में डॉक्टर के स्वीकृत पद चार है लेकिन एक भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। पूर्व में एक सर्जन डॉक्टर अजय कुमार की नियुक्ति हुई थी। लेकिन सिविल सर्जन ने डॉ. अजय कुमार की प्रतिनियुक्ति बिहारशरीफ में कर दी जिसके कारण रेफरल अस्पताल डॉक्टर विहीन अस्पताल बनकर रह गया। मात्र दो जीएनएम के सहारे यह अस्पताल चल रहा है। हालांकि इस अस्पताल में दो लिपिक, एक टेक्नीशियन, एक भण्डारपाल की नियुक्ति हुई है जबकि रेफरल अस्पताल में चार विशेषज्ञ डॉक्टर की सीट है। हाल ही में टेक्नीशियन की नियुक्ति की गयी थी जिसे पावापुरी मेडिकल कॉलेज में प्रतिनियुक्ति कर दिया गया है। वर्तमान में प्रतिदिन औसतन 300 मरीजों का ओपीडी में इलाज होता है। जरूरत पड़ने पर प्राथमिकी स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थापित डॉक्टर से मदद ली जाती है। इस अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक व महिला चिकित्सक का पद लंबे समय से रिक्त है। ऐसे में महिलाओं को मजबूरी में या तो पुरुष चिकित्सकों से उपचार कराना पड़ता है या फिर अन्य जगह पलायन करना पड़ता है।
दांत के डॉक्टर करते हैं गंभीर बीमारी का इलाज
रेफरल अस्पताल का हाल यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित दंत चिकित्सक रेफरल अस्पताल में गंभीर रूप से घायल सहित अन्य बीमारी का इलाज करते हैं। दंत चिकित्सक को सबसे ज्यादा परेशानी इमरजेंसी ड्यूटी में होता है। जब भी इन्हें इमरजेंसी ड्यूटी मिलती है तो इन्हें गंभीर रूप से घायल मरीज के आने की ¨चता सताने लगता है। वहीं मरीजों को भी डॉक्टर से इलाज कराने में डर लगता है कि बीमारी कुछ और ही है और दवाई कुछ और न लिख दें।
दो प्रभारी के सहारे चल रहा है रेफरल अस्पताल :
रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक पदाधिकारी डॉ. रामानंद प्रसाद का मुंगेर के लिए स्थानांतरण हो जाने के बाद से रेफरल अस्पताल में दो प्रभारी डॉक्टर बनाए गए है। एक हरनौत के प्रभारी चिकित्सक पदाधिकारी डॉ. अर¨वद कुमार को प्रभारी चिकित्सक पदाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया है। वे वित्त संबंधित फाइल देखते है। जबकि दूसरे प्रभारी चंडी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित डॉ. परमेशर प्रसाद हैं जो वित्तीय फाइल छोड़कर अन्य कार्य देखते है। यहां पर 9 मरीज बंध्याकरण और तीन मरीज डिलीवरी के लिए भर्ती हैं। सोमवार व गुरुवार को बंध्याकरण होता है।
चरणबद्ध होगा आंदोलन :
रोगी कल्याण समिति के सदस्य अर्जुन यादव व समाजसेवी सह आरटीआई कार्यकर्ता उपेन्द्र प्रसाद ने बताया कि रेफरल अस्पताल में डॉक्टर नहीं रहने की शिकायत सीएस से की गई है। हर वार एक सप्ताह में डॉक्टर भेजने की सांत्वना तो दे देते है लेकिन अभी एक भी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गई है। इस कारण लोगों में आक्रोश पनप रहा है। रोगी कल्याण समिति के सदस्यों ने चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया है। उक्त लोगों ने कहा कि चरणबद्ध आंदोलन के दौरान एक दिन सांकेतिक भूख हड़ताल भी किया जाएगा जबकि दूसरे दिन सीएस कार्यालय के पास धारणा देने का काम करेंगे। इसके बावजूद भी डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति नहीं की गई तो अनिश्चितकालीन आमरण अनशन किया जाएगा।
बोले सीएस :
चंडी रेफरल अस्पताल में ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है और इसमें तीन चिकित्सक हैं पर चिकित्सक सही रूप से ड्यूटी का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। पीएचसी में तैनात चिकित्सक सहयोग नहीं करते हैं। इस कारण रेफरल अस्पताल में आने वाले मरीजों को परेशानी होती है। महिला चिकित्सक की भी जल्द ही व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा व्यवस्था में सुधार के लिए एक-दो दिन में प्रभारी बदल दिए जाएंगे। प्रभारी बदलते ही व्यवस्था में सुधार हो जाएगा। डॉ. उपेन्द्र प्रसाद वर्मा
सिविल सर्जन, नालंदा