गंबुजिया मछली के अटैक से मच्छरों को मारने की तैयारी में नगर निगम
मच्छरों के प्रकोप से पूरी दुनिया में खलबली मची है। यूं तो पर्यावरण असंतुलन मच्छरों की बढ़ती आबादी का कारण माना जा रहा है। लेकिन जल का ठहराव तथा गंदगी भी मच्छरों की जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है। चिकित्सकों का कहना है कि यदि मच्छरों पर तत्काल अंकुश नहीं लगा तो मुसीबत तय है। चिता की बात तो यह है कि मच्छरों पर तमाम दवा बेअसर साबित हो रहे हैं।
बिहारशरीफ : मच्छरों के प्रकोप से पूरी दुनिया में खलबली मची है। यूं तो पर्यावरण असंतुलन मच्छरों की बढ़ती आबादी का कारण माना जा रहा है। लेकिन जल का ठहराव तथा गंदगी भी मच्छरों की जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है। चिकित्सकों का कहना है कि यदि मच्छरों पर तत्काल अंकुश नहीं लगा तो मुसीबत तय है। चिता की बात तो यह है कि मच्छरों पर तमाम दवा बेअसर साबित हो रहे हैं। हर बार एक नई दवा बाजार में उतारना विभाग की मजबूरी बन गई है क्योंकि एक बार जिस दवा का प्रयोग मच्छरों को मारने के लिए किया जाता है यदि उस दवा के प्रभाव से मच्छर बच गए तो फिर उनसे उत्पन्न मच्छर इस दवा के प्रभाव से बेअसर होते हैं। डेंगू, चिकिनगुनिया, मलेरिया, मस्तिष्क ज्वर सब मच्छरों की देन है। वर्षा ऋतु के बाद हर वर्ष मच्छर जनित रोगों का प्रभाव बढ़ जाता है। ऐसे में इस पर अंकुश लगाने के लिए नगर निगम लार्वा मारक दवा के छिड़काव के साथ एक विशेष प्रकार की मछली को तालाबों, नालों तथा जल संग्रह वाले स्थान में उतारने की योजना बनाई है। मंगलवार को इस गंबुजिया नामक मछली की पहली खेप मंगवा ली गई है।
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गंबुजिया मछली के अटैक से मच्छरों का बच पाना मुश्किल
दिल्ली, मद्रास जैसे दूसरे तमाम मेट्रोपॉलिटन सिटी में मच्छरों को मारने के लिए गंबुजिया मछली का प्रयोग किया जाता रहा है। यह मछली मच्छर तथा उसके लार्वा पर सीधे टूट पड़ती है। हालांकि इसकी लंबाई 3-4 ईंच ही होती है। बावजूद मच्छरों के प्रति इसकी भूख इसे दूसरी मछलियों से अलग करती है। इसकी सक्रियता के सामने मच्छर भी बौना हैं। यही कारण है मच्छर इसके अटैक से बच नहीं पाते हैं। हालांकि बेस्वाद होने के कारण यह मछली खाने योग्य नहीं मानी जाती है।
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मोहनपुर मत्स्यजीवी से मंगाए जाएंगी करीब एक लाख मछलियां
मंगलवार को सैंपल के रूप में करीब दो सौ गंबुजिया मछली नालंदा के मोहनपुर स्थित मत्स्यजीवी से मंगाई गई है। करीब एक लाख मछली मंगवाने की नगर निगम की योजना है। इस मछली की कीमत अब तक तय नहीं की गई है। लेकिन इसकी कीमत करीब डेढ़ से दो रुपए के बीच बताई जा रही है। इस सदंर्भ में नगर आयुक्त सौरभ जोरबाल ने कहा कि दो-तीन दिनों में मछली की पहली खेप आ जाएगी। यदि मछली का प्रभाव दिख गया तो बंगाल से बड़ी संख्या में मछली मंगवाई जाएगी। बताया गया कि इस मछली के प्रभाव के कारण ही कोलकाता में डेंगू तथा चिकिनगुनिया का प्रभाव शून्य है।
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अंडे नहीं बच्चे को जन्म देती है गंबुजिया मछली
इस मछली की सबसे बड़ी खासियत बिजली की तरह इसकी फूर्ति तथा अंडे की जगह बच्चे देना। एक व्यस्क मछली साल में करीब सौ से डेढ़ सौ बच्चे दे सकती है। ऐसे में तालाबों में एक बार पनपने के बाद इसकी वृद्धि में कोई कमी नहीं होती। एक एकड़ के तालाब में करीब तीन हजार ऐसी मछलियों की जरूरत होती है। ऐसे में एक तालाब में औसतन एक हजार मछली की आवश्यकता होगी।
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इन तालाबों में डाली जाएगी गंबुजिया मछली
- बाबा मणिराम तालाब
- बिहार क्लब
- इमादपुर तालाब
- शिवपुरी तालाब
- हौज बबर तालाब
- महलपर स्थित तालाब
- मखदुमपुर तालाब, बड़ीदरगाह
- हरलौदिया तालाब
- झींगनगर पुलिया तालाब
- अलीनगर का तालाब
- मीरगंज तालाब
- दरगाह तालाब
- पक्की तालाब
- पीर साहब के बगल का तालाब
- बैंक कॉलनी स्थित तालाब
- मंगलास्थान स्थित तालाब
- झींगनगर में वंशीलाल के घर के पीछे का तालाब
- बड़ी मस्जिद के पीछे का तालाब
- आदर्श उच्च विद्यालय के पास तालाब
- लालो पोखर
- रेलवे स्टेशन स्थित तालाब