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कुत्तों के बंध्याकरण में कानूनी पेंच की दुहाई देकर पल्ला झाड़ रहा है विभाग

बिहारशरीफ। आवारा कुत्तों के आतंक से शहरवासियों को बचाने के लिए नगर निगम व पशुपालन विभाग के पास कोई व

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 05:20 PM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 05:20 PM (IST)
कुत्तों के बंध्याकरण में कानूनी पेंच की दुहाई देकर पल्ला झाड़ रहा है विभाग
कुत्तों के बंध्याकरण में कानूनी पेंच की दुहाई देकर पल्ला झाड़ रहा है विभाग

बिहारशरीफ। आवारा कुत्तों के आतंक से शहरवासियों को बचाने के लिए नगर निगम व पशुपालन विभाग के पास कोई व्यवस्था नहीं है। अवारा कुत्तों की जनसंख्या वृद्धि रोकने में नगर निगम व पशुपालन फेल है। विभाग कानूनी पेंच की दुहाई देकर पल्ला झाड़ रहा है। नगर निगम के पास आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए न तो संसाधन है और न मैनपावर। कुत्तों के बंध्याकरण का काम भी इतना आसान नहीं है। इसके लिए नगर निगम को लिखित आवेदन पशुपालन विभाग को देना पड़ता है। लेकिन नगर निगम तभी ऐसे आवेदन पशुपालन विभाग को देता है जब उन आवारा कुत्तों को पकड़कर रखने का उपयुक्त स्थान नगर निगम के पास होता है। लेकिन हैरत की बात यह है कि नगर निगम के पास ऐसे कुत्तों को इलाजरत रखने की माकूल व्यवस्था नहीं है। इस कारण कुत्तों के बंध्याकरण के मामले में निगम हाथ पर हाथ धरे बैठा है। इस संबंध में नगर आयुक्त सौरभ जोरवाल ने बताया कि नगर निगम के पास शहरी क्षेत्र में विचरण कर रहे आवारा कुत्तों को पकड़ने तथा बंध्याकरण कर उसकी देखभाल करने की व्यवस्था नहीं है। वहीं, जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ.अशोक कुमार विद्यार्थी ने बताया कि नगर निगम के आवदेन के आधार पर ही पशुपालन विभाग चिकित्सकों की टीम तैयार करता है। उन्होंने बताया कि जिले के लोग कुत्तों के शौकीन तो हैं लेकिन एक ने भी अपने कुत्ते का रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता नहीं समझी है। कुत्तों को एंटी रेबिज का डोज देने के लिए विभाग के पास कोई फं¨डग भी नहीं है। नियमत: पालतू या आवारा दोनों किस्म के कुत्तों को जन्म के तीसरे महीने, चौथे महीने तथा उसके बाद प्रति साल एंटी रेबिज का डोज दिलाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि पिछले चार वर्ष पूर्व व‌र्ल्ड रेबिज डे के दिन पालतू तथा आवारा कुत्तोंको निश्शुल्क एंटी रेबिज का डोज दिया गया था। लेकिन इस वर्ष यह कार्यक्रम ही आयोजित नहीं किया गया। वहीं, पशुपालन विभाग के कई कर्मचारियों ने दबे जुबान से बताया कि कुत्तों की जनसंख्या वृद्धि रोकने में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट सबसे बड़ा पेंच है। इस एक्ट में इतनी पेचीदगी है कि कोई इसे झेलना पसंद नहीं करता। अगर किसी कुत्ते का बंध्याकरण, पूंछ तथा कान काट दिया जाता है तो उसके विरुद्ध एक्ट के तहत मामला दर्ज हो सकता है। यहीं कारण है कि अवारा कुत्तों की जनसंख्या पर रोक नहीं लग पा रहा है।

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