दारु चुलाने से करेंतौबा, स्वरोजगार को मिलेंगे 60 हजार से 1 लाख रुपए
बिहारशरीफ। शराबबंदी के पहले से अवैध देसी शराब, ताड़ी का उत्पादन व बिक्री कर रहे अत्यंत निर्धन, अनुसूच
बिहारशरीफ। शराबबंदी के पहले से अवैध देसी शराब, ताड़ी का उत्पादन व बिक्री कर रहे अत्यंत निर्धन, अनुसूचित जाति/ जनजाति तथा अन्य समुदाय के लोगों को चिह्नित कर उन्हें रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए सतत जीविकोपार्जन योजना लागू की गई है। ऐसे परिवारों की मदद तभी की जाएगी जब वे दारु या ताड़ी बेचने से तौबा कर लेंगे। यह जानकारी शुक्रवार को डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत जीविका के ग्राम संगठनों द्वारा चिह्नित प्रत्येक परिवार को स्वरोजगार और उसके लिए परिसंपत्ति खरीदने के लिए औसत 60 हजार से एक लाख रुपए तक दिए जाएंगे। इस राशि से वे निर्धन परिवार दुधारू पशु खरीद सकेंगे। वहीं बकरी, मुर्गी व मधुमक्खी पालन, नीरा, अगरबत्ती व्यवसाय अथवा खेती भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के लागू करने के पहले से राज्य सरकार सात निश्चय के योजनाओं में एक आर्थिक हल युवाओं को बल कार्यक्रम के तहत युवाओं के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण दे रही है।
102 परिवारों को मिलना है लाभ, डेढ़ माह में 7 शुरू कर सके व्यवसाय : डीएम ने कहा कि इस योजना के लिए प्रथम चरण में राज्य के 14 जिले के 28 प्रखंडों का चयन सरकार ने किया है। नालंदा जिले के बिहारशरीफ व हरनौत प्रखंड इसमें शामिल है। इस योजना के लिए बिहारशरीफ प्रखंड के 43 व हरनौत प्रखंड से 59 अत्यंत निर्धन परिवार को चुना गया है। बिहारशरीफ प्रखंड के तीन परिवारों को बकरी पालन, सब्जी एवं अंडे की दुकान के लिए रकम दी गई है। वहीं, हरनौत प्रखंड के चार लाभुकों में से तीन को मनिहारी व एक को किराने की दुकान के लिए निवेश राशि दी गई है। डीएम ने बताया कि जिला कार्यक्रम प्रबंधक को निर्देश दिया है कि वे पात्र परिवारों को ही इस योजना का लाभ दिलाएं। यह योजना पूरे सूबे में 5 अगस्त से लागू है। लगभग डेढ़ माह में 7 लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा गया है। जल्द ही लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाएगा।