जलियांवाला बाग हत्याकांड भारतीय इतिहास की कायरतापूर्ण घटना : नार्गाजुन
जलियांवाला बाग नरसंहार भारतीय इतिहास की एक शर्मनाक और कायरता पूर्ण घटना थी। इसकी जितनी भी निदा की जाय वह कम ही मानी जायेगी। उक्त बातें नव नालन्दा महाविहार के आचार्य नागार्जुन सभागार में वक्ताओं ने कहीं । अवसर था जलियांवाला बाग बलिदान के सौ वर्ष के अवसर पर आयोजित व्याख्यान माला का। जिसका आयोजन नव नालंदा महाविहार एवं भारतीय इतिहास संकलन समिति बिहार के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
नालंदा : जलियांवाला बाग नरसंहार भारतीय इतिहास की एक शर्मनाक और कायरता पूर्ण घटना थी। इसकी जितनी भी निदा की जाय वह कम ही मानी जायेगी। उक्त बातें नव नालन्दा महाविहार के आचार्य नागार्जुन सभागार में वक्ताओं ने कहीं । अवसर था जलियांवाला बाग बलिदान के सौ वर्ष के अवसर पर आयोजित व्याख्यान माला का। जिसका आयोजन नव नालंदा महाविहार एवं भारतीय इतिहास संकलन समिति बिहार के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस अवसर पर लब्धप्रतिष्ठित इतिहासकार एवं राष्ट्रीय चितक सह भारतीय इतिहास संकलन समिति के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद पांडे ने विशिष्ट व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का आरंभ मंचासीन विद्वानों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन और बौद्ध भिक्षुओं के शांति पाठ से हुआ । आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए महाविहार के अकादमिक डीन डॉ श्रीकांत सिंह ने कहा कि जलियांवाला बाग घटना के तथ्यपरक इतिहास की जानकारी रखना समस्त भारतवासियों का अधिकार है। हमें अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति के बिहार इकाई के अध्यक्ष और पटना स्थित कॉमर्स कॉलेज के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर राजीव रंजन ने बताया कि भारतीय इतिहास के अनछुए पहलुओं को प्रकाश में लाने का कार्य इतिहास संकलन समिति विगत कई वर्षों से करता रहा है। और इस कार्य में समस्त भारतवासियों का सहयोग अपेक्षित है। इस अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित सीआरपीएफ प्रशिक्षण केंद्र राजगीर के निदेशक ब्रिगेडियर के वीरेंद्र सिंह ने सबसे पहले जलियांवाला बाग भ्रमण का संस्मरण प्रस्तुत किया और इस घटना को एकता व अखण्डता का प्रतीक बताते हुए कहा कि इसने भारतीय आंदोलन को गति देने में उत्प्रेरक का काम किया। बतौर मुख्य अतिथि डॉ बालमुकुंद पांडे ने अपने विशिष्ट व्याख्यान में जलियांवाला बाग जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अंग्रेजी हुकूमत ने इस घटना को विद्रोह बताया जबकि यह क्रांति की शुरुआत थी। यह घटना भारतीय इतिहास में नरसंहार के रूप में जाना जाता है न कि हत्याकांड । महाविहार के कुलपति डॉक्टर बैद्यनाथ लाभ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि अंग्रेज हमारे स्वर्णिम भविष्य को बर्बाद कर गए और गुलामी की मानसिकता छोड़ गए । समस्त भारतवासियों में राष्ट्र प्रेम की ज्वाला सदैव धड़कती रहनी चाहिए । हमारे देश के गौरव पूर्ण इतिहास की तथ्यपरक जानकारी सुनिश्चित करना अति आवश्यक है । इसके लिए अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति सदैव प्रयासरत है । अंत में महाविहार के कुलसचिव डॉ एस के सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यक्रम का संचालन पाली विभाग के प्रोफेसर आरएन प्रसाद ने किया । इस अवसर पर प्रो विश्वजीत कुमार, डॉ रूबी कुमारी, प्रो बिनोद कुमार सिन्हा, प्रो राजेश रंजन, डॉ बुद्धदेव भट्टाचार्य, के के पांडेय, डॉ दीपांकर लामा के अलावा महाविहार के विद्यार्थी, शोधार्थी शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी के अलावा सीआरपीएफ के जवान उपस्थित थे।