मुआवजा नहीं मिलने के कारण किसानों ने फोरलेन का काम रोका
बिहारशरीफ: सिलाव थाना क्षेत्र के सीमा गांव के पचासों किसानों ने बिहारशरीफ-राजगीर फोरलेन सड़क निर्माण
बिहारशरीफ: सिलाव थाना क्षेत्र के सीमा गांव के पचासों किसानों ने बिहारशरीफ-राजगीर फोरलेन सड़क निर्माण के लिए की गई मिट्टी भराई पर केले के पौधा लगाकर सडक निर्माण कार्य को रोक दिया। इस संबंध में गांव के किसान श्रीकांत प्रसाद, जोगेंद्र कुमार, मृत्युंजय कुमार, सतीश प्रसाद, बीरेंद्र कुमार जनार्दन प्रसाद, मुनका देवी, रामचन्द्र प्रसाद सिन्हा ने बताया कि हमलोगों की जमीन व्यवसायिक होते हुए भी धनहर का मूल्यांकन कर मुआवजा दिया जा रहा है, जो नाइंसाफी है। किसानों ने कहा कि हमलोग इस संबंध में कोर्ट में आपत्ति दर्ज करायी है और अभी तक मामले की सुनवाई भी नहीं की गई है। उसके विपरीत हमलोगों की जमीन पर जबरन मिट्टी भरी जा रही है। दर्जनों किसानों ने बताया कि अभी तक हमलोगों को जमीन अधिग्रहण के लिए नोटिस नहीं मिली है। किसानों ने कहा कि उन्हें 2017-18 के संशोधित दर पर मुआवजा दिया जाए।
.........
अचानक मकान से बेदखल किया तो कहां जाएंगे सपरिवार
रामचंद्र प्रसाद सिन्हा ने आपबीती बताते हुए कहा कि मेरा मकान सड़क के किनारे है। फोरलेन में मकान अधिग्रहित की जा रही है लेकिन अभी तक मुझे कोई नोटिस नहीं मिली है। यदि एकाएक घर से बेदखल होना पड़ेगा तो हम परिवार सहित कहां जाएंगे।
............
एसडीओ ने दिया भरोसा-कैंप लगा करेंगे निदान, शनिवार को दफ्तर में बुलाया
जब सड़क निर्माण रोकने की जानकारी अधिकारियों तक पहुंची तो देर शाम राजगीर एसडीओ संजय कुमार, डीसीएलआर इश्तेखार अहमद सीमा गांव पहुंचे और किसानों को समझाने का प्रयास किया। एसडीओ से किसानों ने कहा कि जबतक उचित मुआवजा नहीं दिया जाएगा, तबतक निर्माण नही करने देंगे। किसानों ने कहा कि जिला भू- अर्जन कार्यालय में किसानों को बरगलाया जाता है। एसडीओ ने कहा कि सड़क जमीन पर ही बननी है, लेकिन आपलोगों की बातें भी सुनी जाएगी। उन्होंने कहा कि जोभी लोगों की समस्या है यहीं पर कैंप लगाकर निदान किया जाएगा। एसडीओ ने सभी किसानों को आज शनिवार को अनुमंडल कार्यालय में मिलने का समय दिया है।
..........
प्रभारी भू अर्जन पदाधिकारी कर नहीं पा रहे निर्णय
डीसीएलआर ने कहा कि रेगुलर रूप से भूअर्जन पदाधिकारी नहीं रहने के कारण मुआवजे की समस्या उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि प्रभार में रहने बाले अधिकारी कोई बड़ा निर्णय नहीं ले पाते हैं।