प्रसिद्ध बड़गांव छठ मेला 11 नवम्बर से, प्रशासनिक तैयारी नगण्य
बिहारशरीफ। बड़गांव का प्रसिद्ध राजकीय छठ मेला 11 नवंबर से शुरू होगा। मेला शुरू होने में 12-13 दिन शेष
बिहारशरीफ। बड़गांव का प्रसिद्ध राजकीय छठ मेला 11 नवंबर से शुरू होगा। मेला शुरू होने में 12-13 दिन शेष रह गए हैं। इसके बावजूद मेले की प्रशासनिक तैयारी नगण्य है। मेला क्षेत्र के अलावा नालियां गंदगी से पटी पड़ी हैं। यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रशासनिक तैयारी अभी तक शुरू नहीं की गई है। देश के प्रमुख सूर्यपीठों में से एक बड़गांव सूर्यपीठ में बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड आदि राज्यों के छठ व्रती बड़ी संख्या में परिवार के साथ आते हैं। चार दिवसीय सूर्य उपासना के साथ डूबते एवं उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्यदान कर व्रत पूरा करते हैं। यहां के पौराणिक सूर्य तालाब के घाटों, सीढि़यों, परिक्रमा पथों, मेला क्षेत्र और सूर्य मंदिर गली की नालियों की सफाई का काम अब तक आरंभ नहीं किया गया है। सूर्य तालाब के दक्षिणी भाग में टूटे हुए पुल का पुर्ननिर्माण या मरम्मत भी प्रशासन के द्वारा अब तक नहीं कराया गया है। इस पुल के टूटे रहने के कारण व्रतियों को आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इस धार्मिक और विराट छठ मेले में राज्य के कोने-कोने से व्रती हजारों की संख्या में पहुंचते हैं। लेकिन उनके लिए यहां एक अदद सार्वजनिक शौचालय तक की व्यवस्था नहीं कराई जा सकी है। फलस्वरूप यहां आने वाले छठव्रती और उनके परिजन खुले आसमान के नीचे मल-मूत्र त्यागने के लिए विवश होते हैं। यह लोहिया स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाने से कम प्रतीत नहीं होता है। सरकार द्वारा मेला क्षेत्र में गाड़े गए लगभग सभी चापाकल बेकार पड़े हैं। उसकी भी मरम्मत अबतक पीएचईडी के द्वारा शुरू नहीं की गई है। जानकार बताते हैं कि नालंदा प्रवेश द्वार से लेकर विश्व धरोहर (प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय) होते हुए बड़गांव तक सड़क के किनारे सोडियम वेपर लाइट लगाए गए हैं जो वर्षो से खराब पड़े हैं। सोडियम वेपर लाइट रहते शाम ढलते ही यहां की सड़कें अंधेरे में डूब जाती है। फलस्वरूप पैदल आने-जाने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। खराब पड़े सोडियम वेपर लाइट को भी दुरुस्त करने का कार्य शुरू नहीं हो सका है।
डीएम के आदेश पर भी सैरात की 5 एकड़ जमीन से नहीं हटा अतिक्रमण :बड़गांव छठ मेला के लिए करीब पांच एकड़ सैरात की भूमि है। लेकिन इस सैरात की जमीन पर अतिक्रमण है। डीएम डॉ. त्याग राजन एस एम के आदेश के करीब एक साल बाद भी जमीन से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई आरंभ नहीं की जा सकी है। सैरात भूमि पर अतिक्रमण रहने के कारण छठव्रती और सूर्य उपासक खेतों में और पगडंडियों पर खुले आसमान के नीचे तंबू लगाकर रहने को विवश होते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता विनय कुमार के द्वारा इस अतिक्रमण को हटाने के लिए अनुमंडल पदाधिकारी, राजगीर को आवेदन दिया गया है लेकिन उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय में मामला दायर किया गया है।