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डिहरा की टीस, नाले में बदली नीतीश की युवावस्था की डगर

बिहारशरीफ। सोमवार को दैनिक जागरण ने एक विधानसभा-एक चुनावी चौपाल मुहिम का शुभारंभ किया। पहले दिन जागरण टीम बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र के रहुई प्रखंड के डिहरा गांव पहुंची।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 06:37 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 05:14 AM (IST)
डिहरा की टीस, नाले में बदली नीतीश की युवावस्था की डगर

बिहारशरीफ। सोमवार को दैनिक जागरण ने एक विधानसभा-एक चुनावी चौपाल मुहिम का शुभारंभ किया। पहले दिन जागरण टीम बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र के रहुई प्रखंड के डिहरा गांव पहुंची। बिहटा-सरमेरा एनएच से सीधे जुड़ जाने के कारण गांव की कनेक्टिविटी बढ़ गई है। अब यहां के बेरोजगार युवा अपने खाली पड़े खेत में मछली उत्पादन करने और नगदी फसल उपजाने की सोचने लगे हैं। कुछ लोग सड़क किनारे लाइन होटल व अन्य व्यवसाय करने लगे हैं। दिनोंदिन इसकी संख्या बढ़ती ही जानी है। एक-दो युवा मछली पालन व होटल के क्षेत्र में आगे आ चुके हैं। कहते हैं, अब बिहारशरीफ की मंडी 15 मिनट की दूरी पर है। सड़क अच्छी होने के कारण पटना से बाढ़, मोकामा या बेगूसराय आने-जाने वाली अधिकांश गाड़ियां इसी रूट पर चल रही हैं। यह नए-नए व्यवसाय की खुराक बनेगी। परंतु गांव को रहुई प्रखंड से जोड़ने वाली पुरानी मुख्य सड़क की बुरी हालत रेशम में टाट के पैबंद की तरह लोगों को चुभ रही है। इसका पूरा दोष 15 साल से विधायक और भाजपा प्रत्याशी डॉ. सुनील पर मढ़ते हैं। बुजुर्ग ग्रामीण इंद्रदेव प्रसाद कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब युवक थे तो भागनबीघा मेन रोड पर टेकर से उतरने के बाद इसी रास्ते से पैदल रहुई बाजार आया-जाया करते थे। जब 1985 में वे हरनौत से चुनाव लड़े थे तो गांव के लोगों ने एक वोट के साथ उन्हें एक-एक रुपया चंदा भी दिया था। मुख्यमंत्री से इतने गहरे जुड़ाव की भी स्थानीय विधायक को फिक्र नहीं है। बार-बार कहने पर भी गांव के जल निकास के लिए नाला नहीं बनवा सके। इस कारण सालों भर सड़क पर गांव का गंदा पानी बहता रहता है। यह सड़क नाले की तरह दिखती है। रहुई या कहीं और आने-जाने के लिए एकमात्र नई बनी एनएच ही सहारा है। एनएच पर चलना खतरे से भरा है। पैदल या साइकिल से जाने-आने के दौरान आए दिन हादसे होते रहते हैं। अभी दो दिन पहले ही ट्यूशन जा रहे धमासंग के छात्र को ट्रक ने कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई थी। ऐसे में गांव की अंदरूनी सड़क का दुरुस्त होना बेहद जरूरी है।

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नोटा पर दबाएंगे बटन, कोई विधायक बनने लायक नहीं

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गांव के युवा वोटर सन्नी कुमार बेहद आक्रोश में दिखे। कहा, उन्हें विधायक बनने लायक कोई प्रत्याशी नहीं दिखता। किसी ने पढ़ने-लिखने के बाद युवाओं के रोजगार की फिक्र नहीं की। इसलिए 3 नवंबर को नोटा पर बटन दबाएंगे।

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छिलका नहीं बना, हर साल पटवन की परेशानी

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कृष्णनंदन प्रसाद कहते हैं कि गांव के मुहाने से होकर पंचाने नदी बहती है। इस पर छिलका बन जाए तो खेत के पटवन की समस्या हल हो जाए। छिलका नहीं बनने से हर साल बरसात में खेत डूब जाते हैं। जिससे फसलों की क्षति होती है। विधायक जी ने छिलका बनवाने का भरोसा दिया था। पर आज तक नहीं बना।

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15 साल से विधायक हैं, पर मिलते-जुलते नहीं

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रंजीत कुमार कहते हैं कि डॉ सुनील 15 साल से विधायक हैं। परंतु कभी अहसास नहीं हुआ। वे कभी मिलते-जुलते नहीं। जनता के सुख-दुख का उन्हें क्या पता चलेगा। संवाद की कमी के कारण विधायिका पर विश्वास घटा है।


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