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बेंगलुरू के कल्चर से एडजस्ट नहीं कर पाई, जान देकर कर गई रूसवाई

बिहारशरीफ: बेंगलुरू की कल्चर से एडजस्ट नहीं कर पाई तो जान देकर खुद व परिवार को रूसवाई कर गई। यह माम

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 08:24 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 08:24 PM (IST)
बेंगलुरू के  कल्चर से एडजस्ट नहीं कर पाई, जान देकर कर गई रूसवाई
बेंगलुरू के कल्चर से एडजस्ट नहीं कर पाई, जान देकर कर गई रूसवाई

बिहारशरीफ: बेंगलुरू की कल्चर से एडजस्ट नहीं कर पाई तो जान देकर खुद व परिवार को रूसवाई कर गई। यह मामला मंगलवार को बिहार थाना क्षेत्र के खंदकपर निवासी अजय कुमार की बेटी पूजा ने कुछ ऐसा कर गई जिसका किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। पूजा ने इतनी बड़ी स्टेप उठाकर न खुद को रूसवाई कर गई बल्कि अपने होने वाले पति व माता-पित को भी दु:खी कर गई। 14 फरवरी की शाम उसकी शादी होने वाली थी। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जहां शहनाई बजनी थी वहीं मातमी सन्नाटा पसरा गया। शादी की तैयारी अधूरी रह गई क्योंकि दुल्हन ने शादी को नहीं मौत को गले लगाया। मंगलवार की दोपहर करीब डेढ़ बजे जब सभी लोग बेटी की शादी की तैयारी को लेकर बाजार निकले थे तभी 24 वर्षीया पूजा ने कमरे में लगे पंखे से झूलकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। परिजन जब वापस आए तो उन्होंने बेटी के कमरे को बंद पाया। जब कोई जबाव नहीं मिला तो कमरे का दरवाजा तोड़ा गया। जैसे ही कमरे का दरवाजा खुला, परिजन के होश उड़ गए। 24 वर्षीय पूजा पंखे में झूल रही थी। पिता ¨बद में कृषि समन्वयक के पद पर हैं। आनन-फानन में पूजा को सदर अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पिता अजय कुमार ने बताया कि पूजा बेंगलुरु में पोस्टल विभाग में असिस्टेंट थी। वहां के कल्चर व भाषा से तंग आ चुकी थी। वह बार-बार नौकरी छोड़ने की बात करती थी। 14 फरवरी को बारात आनी थी लेकिन वह ऐसा कदम उठाएगी, सपने में भी नहीं सोचा था।

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बेंगलुरू का कल्चर व भाषा नहीं आ रही थी पूजा को रास

पिता ने कहा कि पूजा को बेंगलुरू का कल्चर व भाषा रास नहीं आ रही थी। वहां के रहन-सहन व खानपान को लेकर वह हमेशा बोलती थी कि पापा मुझे वहां जॉब नहीं करनी है। मैं समझाता था कि कुछ दिन में सब ठीक हो जाएगा। वर्क लोड से कभी परेशान नहीं रहती थी। शादी भी उसकी मर्जी से ही तय हुई थी। लड़का भी बेंगलुरू में ही पोस्टेड था तो लगा वह धीरे-धीरे एडजस्ट कर जाएगी लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था।

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14 फरवरी को आनी थी बारात

जिस बहन को डोली में बिठाकर भेजने की हसरत भाई ने पाल रखी थी, उस बहन की अर्थी उठानी पड़ेगी, यह सोचकर ही भाई फफक-फफक कर रोने लगा। सदर अस्पताल पहुंचे भाई से लोग कुछ कहते उससे पहले ही उनके मुंह से बरबस ही निकल पड़ा-हे भगवान! मेरे जीवन में यह मोड़ कैसे आ गया? जिसे शादी के जोड़े में विदा करना था, उसे कफन में विदा करना पड़ रहा है।

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घर में गूंज रही है सिसकियां

मूल रूप से पूजा अस्थावां के गोटियां गांव की रहने वाली है वर्तमान में एक किराए के मकान में परिवार के साथ खंदकपर रह रही थी। पूजा के साथ मां शाति देवी, बहन रिचा व परिजनों के सिसकियों का दर्द गूंज रहा था। जिस बेटी को बाजा-बारात के साथ विदा करना था, वह दुनिया से ही विदा हो चुकी थी। 14 फरवरी को जिस घर में बारात आनी थी, वहां ढांढ़स बंधाने वालों का तांता लगा था। घर की महिलाएं आगंतुकों को देख अपना दर्द नहीं छिपा पा रही थीं। रुक-रुककर जोर-जोर से रोने की आवाजें बाहर तक आ रही थीं। हर चेहरा उदास और मायूस था।

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काफी सरल स्वभाव की थी पूजा

भाई ने बताया कि उसकी बहन स्वभाव से सरल थी। बेंगलुरू में ही वारसलीगंज के लड़के से शादी पक्की हुई थी। वह भी सरकारी नौकरी में था। अब शादी की तैयारी चल रही थी। शादी के लिए दोनों परिवार तैयारियों में जुटा हुआ था। लेकिन पूजा के दिलो-दिमाग में क्या चल रहा था, इसे तो बस वहीं जान रही थी ।


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