CM नीतीश आखिर क्यों हैं साध्वी पद्मावती के लिए चिंतित, PM मोदी को भी लिखा पत्र, जानिए
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर साध्वी पद्मावती का अनशन तुड़वाने का आग्रह किया है। वहीं साध्वी ने सीएम नीतीश की चिंता पर आभार जताया है।
नालंदा, जेएनएन। बिहार के नालंदा जिले के सरमेरा प्रखंड के मलावां गांव की बेटी पद्मावती ने 23 साल की युवावस्था में सन्यास ले लिया और अब वे गंगा नदी को बचाने के लिए हरिद्वार के मातृ सदन में 40 दिनों से अनशन पर हैं। उनका वजन 15 किलो तक कम हो चुका है। उनकी बिगड़ती सेहत और गंगा की अविरलता की मांग से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरोकार जताया है।
सीएम नीतीश के चिंता की ये है वजह, साध्वी की प्राण रक्षा के प्रयास हुए तेज़
मां गंगा की अविरलता की खातिर इससे पहले बिहार के निगमानंद ने बलिदान दे दिया था। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जन-जल जोड़ो अभियान के समन्वयक पंकज मालवीय, समाजसेवी नीरज कुमार समेत अन्य लोगों को चिंता है कि बिहार की बेटी पद्मावती भी उसी राह पर हैं। इसलिए गंगा की अविरलता के साथ-साथ साध्वी का अनशन तुड़वाकर उनकी प्राण रक्षा के प्रयास तेज हो गए हैं।
गुरुवार को दो मंत्रियों ने साध्वी से की मुलाकात
जल पुरुष राजेंद्र सिंह की पहल पर मुख्यमंत्री ने दूत के तौर पर राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय झा व नालंदा सांसद कौशलेन्द्र कुमार को दूत बनाकर साध्वी से मिलने हरिद्वार भेजा था। दोनों ने गुरुवार की सुबह साध्वी पद्मावती से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य के प्रति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चिंता से अवगत कराया। साध्वी को इस आशय का मुख्यमंत्री का पत्र भी सौंपा गया।
साध्वी पद्मावती ने सीएम नीतीश का जताया आभार, कही ये बात
साध्वी ने मुख्यमंत्री की चिंता और गंगा की अविरलता को लेकर उनके समर्थन के प्रति आभार जताया। परंतु गंगा की सहायक नदियों मंदाकिनी व अलकनन्दा पर बन रहे चार बांधों का निर्माण रोके बिना अनशन तोड़ने से इंकार कर दिया। इस मौके पर पर्यावरणविद राजेन्द्र सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने बिहार सरकार के दूतों के साथ मिलकर साध्वी के गुरू शिवानन्द महाराज से भी चर्चा की।
इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेज कर साध्वी पद्मावती का अनशन तुड़वाने की पहल करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने पत्र में प्रधानमंत्री के गंगा नदी के प्रति जुड़ाव व गंगा की अविरलता के लिए राज्य सरकार के प्रयासों का भी जिक्र किया है।
पहले सानिया था साध्वी पद्मावती का नाम
पद्मावती की उम्र महज 23 साल है। वो पद्मावती से पहले सानिया के नाम से जानी जाती थी। जिस उम्र में लड़कियां अपने परिवार के सुनहरे सपने देखती हैं, उस उम्र में पद्मावती ने समाज के लिए कुछ करने की सोच रखते हुए दो साल पहले संन्यास ले लिया। परिवार त्यागने के बाद पद्मावती हरिद्वार के मातृ सदन में रह रही हैं। गंगा को अविरल-निर्मल बनाने की मांग को लेकर वो मातृ सदन परिसर में ही अनशन पर बैठी हुई हैं।
पद्मावती की ये हैं चार मांगें
1. उत्तराखंड में अलकनन्दा व मंदाकिनी नदी पर अलग-अलग निर्माणाधीन चार बांधों के काम को रोकना
2. भविष्य में किसी नदी पर नया बांध नहीं बनाना
3. गंगा में खनन रोकना
4. गंगा की जमीन केवल गंगा के ही काम लाने के साथ-साथ 11 राज्यों में गंगा की देखभाल के लिए गंगा भक्त परिषद का गठन करना
धर्मपरायण मां-पिता की संतान है पद्मावती
पद्मावती नालंदा के सरमेरा प्रखंड के मलावा की मूल निवासी हैं। इनके पिता संत कुमार केनार कला मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक हैं और मां मनोरमा देवी गृहिणी हैं। दोनों शुरू से धर्मपरायण रहे हैं।
वे बेटी सानिया के साथ रामकृष्ण आश्रम में अपने गुरू स्वामी अरूण के सानिध्य में महीने में होने वाले ध्यान और साधना शिविर में भाग लेने जाया करते थे। इसका काफी प्रभाव पद्मावती पर पड़ा। उनके पांच बच्चों में साध्वी तीसरी संतान हैं। 1996 में जन्मी पद्मावती ने 2014 में 10वीं की परीक्षा पास की।
उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई छोड़ा और पिछले कुम्भ के दौरान साध्वी बन गईं। पिता को अपनी बेटी पर गर्व है। उनका कहना है कि पद्मावती मोह माया से उपर उठ चुकी है, वह समाज की खातिर गंगा की अविरलता चाह रही है।