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मिलावटी मिठाईयां बिगाड़ सकती है आपकी सेहत

बिहारशरीफ। तीन दिनों की ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद लगा बहुत कुछ बदल जाएगा। लेकिन छापेमारी की गति धीमी प

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 11:04 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 11:04 PM (IST)
मिलावटी मिठाईयां बिगाड़ सकती है आपकी सेहत

बिहारशरीफ। तीन दिनों की ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद लगा बहुत कुछ बदल जाएगा। लेकिन छापेमारी की गति धीमी पड़ते ही फिर उसी राह पर निकल पड़े मिठाई विक्रेता। पूरा शहर रंग-बिरंगी मिठाइयों से सज गया है। नजरें जिधर भी डालें, मिठाइयों की दुकान। लेकिन ये आकर्षक मिठाइयां स्वास्थ्य के लिए कितना लाभप्रद है यह तो भगवान ही जाने। कुछ दिनों पूर्व शहर के कई बड़े मिठाई भंडारों पर छापेमारी की गई। छापेमारी के बाद जो स्थिति सामने आई वह चौंकाने वाली थी। अधिकांश दुकानों में रखे छेना, मावा, पनीर को फूड सेफ्टी विभाग ने स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल बताते हुए उसे फेंकने का आदेश दिया। इस जांच से जहां शुद्धता की गारंटी देने वाले कई मिष्ठान भंडारों का भंडाफोड़ हुआ, वहीं ग्राहक भी सकते में आ गए कि जिन दुकानों से वे लंबे समय से खरीद कर रहे थे वहां इतना लोचा था।

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मिठाई का निर्माण करने वाले कारखानों के हालत नारकीय :

पूरे शहर में करीब 1200 मिठाई की दुकानें हैं जिसमें 300 बड़ी दुकानें तथा 900 छोटी दुकानें है। सारी छोटी दुकानें शहर के बड़े मिठाई प्रतिष्ठानों से मिठाइयां थोक भाव पर खरीदती हैं। इन बड़े प्रतिष्ठानों के अपने कारखाने हैं जहां मिठाइयां तैयार की जाती है। लेकिन इन कारखानों की हालत किसी गंदे नाले से कम नहीं। भिनभिनाती मक्खियां, दीवारों पर सजे मकड़ी के जाल, नाले से आती दुर्गंध। कुछ इस हालात में मिठाइयां तैयार की जाती है जहां मानकों का कोई ख्याल नहीं। मिठाई के हर मिठास में मौत की कहानी लिखी होती है शायद इस बात को मिठाई खरीदने वाले ग्राहक नहीं समझना चाहते। दुकानदारों से जब इस वास्ते बात की गई तो उनका उत्तर खामोश करने वाला था। दुकानदारों ने कहा कि ये जांच वसूली का एक बहाना है। एक दिन की जांच से भला क्या होने वाला।

14 अधिकारियों के बूते है पूरे राज्य का खाद्य विभाग :

आंकड़े बताते हैं कि भारत में करीब 20 फीसद मौत खान-पान की अनियमितता की वजह से होती है। बावजूद हम सतर्क होने की बजाए मिलावटी खाद्य पदार्थों पर मुंह मार रहे हैं। खाद्य विभाग के कुल 105 पद सृजित है जिसमें से मात्र 14 अधिकारियों के हवाले पूरे राज्य का खाद्य विभाग है। कई अधिकारियों के पास पांच-पांच जिलों का भार है। ऐसे में खानापूर्ति करने की बजाए उनके पास भी कोई चारा नहीं है।

कड़े है कानून पर डर नहीं :

खाद्य पदार्थों की भूमिका जीवन में सबसे अहम है। इस कारण इससे जुड़े कानून भी सख्त बनाए गए हैं। इंडियन पिनल कोड की धारा 272 से 279 तक में इसकी स्पष्ट चर्चा की गई है। साथ ही दंड का प्रावधान भी दर्शाया गया है। इस कानून के तहत खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वाले को तीन व सात साल से उम्र कैद तक की सजा है। इसके अलावा फूड सेफ्टी एक्ट में भी दंड के कई प्रावधान हैं, बावजूद खाद्य पदार्थों में मिलावट नहीं रूक रहा।


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