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चंडी के अभिषेक बने सप्लाई इंस्पेक्टर

बिहारशरीफ। चंडी प्रखंड के नरसंडा निवासी अभिषेक अकेला बीपीएससी की 64 वीं परीक्षा में 572वां रैंक प्राप्त कर सप्लाई इंस्पेक्टर बन गए हैं। इन्होंने पहला प्रयास में यह सफलता हासिल किया। अभिषेक बचपन से पढ़ने में होशियार था। सीबीएसई बोर्ड से मैट्रिक की परीक्षा में इन्होंने संत पॉल स्कूल हरनौत में टॉप किया था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 11:19 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 11:19 PM (IST)
चंडी के अभिषेक बने सप्लाई इंस्पेक्टर
चंडी के अभिषेक बने सप्लाई इंस्पेक्टर

बिहारशरीफ। चंडी प्रखंड के नरसंडा निवासी अभिषेक अकेला बीपीएससी की 64 वीं परीक्षा में 572वां रैंक प्राप्त कर सप्लाई इंस्पेक्टर बन गए हैं। इन्होंने पहला प्रयास में यह सफलता हासिल किया। अभिषेक बचपन से पढ़ने में होशियार था। सीबीएसई बोर्ड से मैट्रिक की परीक्षा में इन्होंने संत पॉल स्कूल हरनौत में टॉप किया था। इन्होंने इंटर की पढ़ाई रांची में रहकर की तथा अर्थशास्त्र प्रतिष्ठा के साथ जीडीएम कॉलेज हरनौत से स्नातक किया। इनकी माता पूनम कुमारी गृहिणी हैं। जबकि पिता मृत्युंजय कुमार सिंह स्वास्थ्यकर्मी हैं। बीपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए श्री अकेला पटना में रहकर तैयारी की। इन्होंने कई कोचिग संस्थानों का मार्गदर्शन लिया और कड़ी मेहनत के साथ स्वाध्याय किया। इनकी सफलता पर नरसंडा में खुशी की लहर दौड़ गई है। लोग एक दूसरे को मिठाइयां खिला बधाइयां दे रहे हैं।

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सीओ बन प्रेम आंनद ने बढ़ाया चंडी का मान

चंडी प्रखंड के नरसंडा निवासी प्रेम आंनद प्रसाद बीपीएससी की परीक्षा में 790वां रैंक हासिल कर राजस्व अधिकारी बन गए हैं। अतिपिछड़ा वर्ग से आने वाले श्री प्रसाद का यह तीसरा प्रयास था। इनके पिता धनेश प्रसाद हिलसा के गणपति बिगहा मध्य विद्यालय में प्रधान शिक्षक हैं। मां सीमा रानी गृहिणी हैं। पुत्र की सफलता पर स्थानीय लोग इन्हें बधाइयां दे रहे हैं। प्रेम ने बापू हाई स्कूल चंडी से साल 2009 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। यहीं मगध महाविद्यालय से 2011 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उतीर्ण की। इन्होंने पश्चिम बंगाल के हल्दिया से 2016 में सिविल इंजीनियरिग में बी- टेक कंप्लीट किया था। 2018 में इनका चुनाव एसएससी के जरिए केंद्रीय सचिवालय में सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के तौर पर हुआ था, जहां वे कार्यरत हैं।

बीपीएससी में रजनीश चंद्र राय को 1362वां स्थान

मन में सपना था कि देश की सेवा करूं। मैंने प्रयास नहीं छोड़ा। लगातार परिश्रम करता रहा। मुझे लगता था कि मैं किस तरह से तैयारी करूं कि मुझे सफलता मिले आखिर वो समय आ ही गया। मैं बहुत खुश हूं। मेरा प्रयास रंग लाया और मेरा सपना साकार हुआ। ये कहना था बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन में 1362 वां स्थान प्राप्त करने वाले रजनीश चंद्र राय का। इस्लामपुर के बरडीह गांव निवासी स्व. चंद्रदीप राय, माता स्व. लालकेशरी देवी के घर जन्मे रजनीश बचपन से ही मेधावी था। इस्लामपुर के सुभाष उच्च विद्यालय में मैट्रिक पास कर गया से इंटर एवं स्नातक कर पटना में कमीशन की तैयारी करने लगा और उनका मेहनत रंग लाया और इस वर्ष उनका चयन राजस्व पदाधिकारी के पद पर हुआ। इसका सारा श्रेय वह अपने बड़े जो छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के कमांडेंट हैं उन्हें एवं अपने चाचा रामगुलाम पासवान को देना चाहते हैं कि वे उपरोक्त दोनों अभिभावकों के आदर्श पर चलकर इस मुकाम को हासिल किया।

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हरनौत का इंजीनियर नीतीश बने समाज कल्याण विभाग में सहायक निदेशक

हरनौत के किचनी गांव निवासी नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 64 वीं परीक्षा में 137 वां स्थान प्राप्त कर समाज कल्याण विभाग में सहायक निदेशक बन गए हैं। यह इनका पहला प्रयास था। नीतीश ने अपनी मेधा से गांव-जवार समेत हरनौत का नाम आगे बढ़ाया है। इन्हें एवं इनके माता-पिता को बधाईयां मिल रही हैं। नीतीश ने साल 2011 में बीआईटी भेलौर से इलेक्ट्रिक एंड इलेक्ट्रॉनिक ब्रांच से बी.टेक. करने के बाद चेन्नई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी कर ली। लेकिन वहां इन्हें मन न लगा। नौकरी छोड़ दिल्ली आ गए और संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी में जुट गए। यूपीएससी में भी साक्षात्कार तक शामिल हुए लेकिन अंतिम परिणाम में सफल नहीं हुए। पहली बार बीपीएससी की 64वीं परीक्षा में शामिल हुए जिसका आवेदन साल 2017 में आमंत्रित किए गए थे। ई. नीतीश ने मुख्य विषय के तौर पर दर्शन शास्त्र का चुनाव किया था। दो भाइयों में नीतीश छोटा है। बड़ा भाई अजय सक्सेना महालेखाकार कार्यालय पटना में सीनियर ऑडिटर है। एक मात्र बहन हैं जो मथुरा से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक हैं। नीतीश के पिता अनिल कुमार यादव हरनौत पीएचसी में प्रधान सहायक हैं। वे चंडी पीएचसी के भी प्रभार संभाल रहे हैं। मां सरोज देवी गृहिणी हैं। नीतीश का सपना संघ लोक सेवा आयोग का अधिकारी बनना है। शादी के सवाल पर कहते हैं कि अभी जल्दी नहीं है। लोक सेवाओं की परीक्षा के लिए किसी कोचिग संस्थान से मदद मिलने के सवाल पर कहते हैं कि वहां से सिर्फ मार्ग दर्शन मिलता है। तैयारी में स्वाध्याय ही महत्व रखता है। लोक सेवा आयोग की तैयारी में जुटे अभ्यर्थियों के लिए उन्होंने संदेश दिया कि उन्हें ²ढ़ संकल्पित होकर 10 से 12 घंटे पढ़ना चाहिए।

बीपीएससी कार्यालय में सहायक रोहित बने सप्लाई इंस्पेक्टर

हरनौत के सुदूरवर्ती गांव लंघौरा के मूल बाशिदे राजू कुमार सिंह के इकलौते पुत्र रोहित कुमार ने 64वीं बीपीएससी में 630 वां रैंक लाकर न सिर्फ गांव का बल्कि प्रखंड का नाम आगे बढ़ाया है। इन्हें सप्लाई इंस्पेक्टर की पोस्ट दी गई है। यह इनका दूसरा प्रयास था। रोहित पहले से बीपीएससी कार्यालय में बतौर सहायक की नौकरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मैंने प्रतिदिन 6 घण्टे स्वाध्याय कर सफलता प्राप्त की है। रोहित ने प्लस टू तक की पढ़ाई पटना के संत माइकल स्कूल से की। इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा साल 2011 में पास की थी। जबकि 2017 में फिजिक्स विषय के साथ आरपीएस कॉलेज हरनौत से स्नातक किया। इन्हें खेल में क्रिकेट पसंद है। बागवानी का भी शौक रखते हैं। रोहित अपने पिता को आदर्श मानते हैं। अपनी सफलता का श्रेय मां रेणु कुमारी एवं पिता राजू सिंह को दे रहे हैं। इनके पिता की पटना में ही स्टेशनरी की दुकान है। मां गृहिणी हैं। रोहित का सपना संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में अच्छा रैंक प्राप्त करना है। इन्होंने लोक प्रशासन सेवा में जाने की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए कहा कि लगन के साथ मेहनत करें, सफलता निश्चित मिलेगी।

तनुजा पाठक का पंचायती राज अफसर में हुआ चयन

स्थानीय पंडित गली की बेटी तनुजा पाठक की बीपीएससी में 1319 रैंक लाकर पंचायती राज अफसर के रूप में चयनित होने पर मोहल्ले में खुशी का माहौल है। लेकिन तनुजा की सफलता की कहानी उतनी आसान भी नहीं है। तनुजा की सफलता नजीर है। उनलोगों के लिए जो विपरीत हालात का हवाला देकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं और असफलता का ठीकरा भी उसी पर फोड़ते हैं। जरा कल्पना करें, सामान्य भारतीय परिवेश की उस महिला की, जिसकी शादी 2004 में होती है और एक बेटे के जन्म के बाद 2015 में उनका तलाक हो जाता है। फिर भी तनुजा निराश नहीं होती, वह न सिर्फ अपने पैरों पर खड़ी होती है, बल्कि बेटे की परवरिश के साथ अपने अफसर बनने के सपने को भी जिदा रखती है। अंतत: 2021 में उसने कर दिखाया और पंचायती राज अफसर बनने वाली है।

जन वितरण प्रणाली के दुकानदार रह चुके 69 वर्षीय जयंत पाठक की 2 बेटी एक बेटे में सबसे बड़ी तनुजा पाठक की शादी 2004 महुआ कुशहर गांव में हुई। शहर में रहने वाली लड़की गांव जाकर चूल्हे पर लकड़ी से खाना बनाई।बेहतर जीवन जीने के लिए महुआ में पति के साथ स्कूल खोलकर उसमे पढ़ाती थी। स्कूल चल निकला लेकिन इसके साथ पारिवारिक कलह भी बढ़ने लगा अंतत: शादी के एक दशक बाद 2015 में पति पत्नी के बीच तलाक हो गया और वह अपने एक बच्चे के साथ वही रहकर जिदगी अकेले शुरू की । कुछ समय वह बीएड कॉलेज महुआ में असिस्टेंट शिक्षक के पद पर फिर प्राइमरी स्कूल में टीचर की नौकरी करते हुए बीपीएससी की तैयारी करती रही।पहले प्रयास में पीटी निकला मेन्स नही दे पाई ये उनका दूसरा प्रयास रहा।इनकी प्रारंभिक शिक्षा बाल कल्याण विद्या कुंज में हुई। हाई स्कूल की शिक्षा गर्ल हाई स्कूल से हुई।


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