बदलते मौसम में मच्छरों से रहें सावधान : डॉ. राजेंद्र
बिहारशरीफ। मच्छर जनित रोगों में डेंगू अति गंभीर रोगों की श्रेणी में आता है। इसलिए डेंगू के प्रति सामुदायिक जागरुकता बढ़ाना और लोगों को साफ-सफाई के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयासरत है।
बिहारशरीफ। मच्छर जनित रोगों में डेंगू अति गंभीर रोगों की श्रेणी में आता है। इसलिए डेंगू के प्रति सामुदायिक जागरुकता बढ़ाना और लोगों को साफ-सफाई के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयासरत है। बरसात के मौसम में जगह-जगह जल-जमाव ने विभाग के सामने चुनौतियां पेश की है। स्वास्थ्य विभाग ऐसी जगहों पर दवा का छिड़काव कर रहा है। स्वच्छता का ध्यान रखकर एवं कुछ सावधानियां अपनाकर डेंगू के प्रकोप से स्वयं को बचाया जा सकता है।
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एडिस मच्छर से होता है डेंगू व चिकनगुनिया : जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. राजेंद्र कुमार राजेश ने बताया डेंगू एवं चिकनगुनिया की बीमारी संक्रमित एडिस मच्छर के काटने से होती है। यह मच्छर सामान्यता दिन में काटता है एवं यह स्थिर पानी में पनपता है। डेंगू का असर शरीर में 3 से 9 दिनों तक रहता है। इससे शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ जाती है और शरीर में प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगती है। वहीं चिकनगुनिया का असर शरीर में तीन माह तक होती है। गंभीर स्थिति में यह छह माह तक रह सकती है। डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण तकरीबन एक जैसे ही होते हैं। इन लक्षणों के प्रति सावधान रहने की जरूरत है।
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हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता डेंगू को : डॉ. राजेन्द्र ने बताया कि डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। तीन से सात दिन तक लगातार बुखार, तेज सर में दर्द, पैरों के जोड़ों मे तेज दर्द, आंख के पीछे तेज दर्द, चक्कर एवं उल्टी, शरीर पर लाल धब्बे आना एवं कुछ मामलों में आंतरिक एवं बाह्य रक्त स्त्राव होना डेंगू के लक्ष्ण में शामिल है। डेंगू का कोई सटीक इलाज तो उपलब्ध नहीं है पर कुशल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की निगरानी से डेंगू को जानलेवा होने से बचाया जा सकता है। इसलिए जरुरी है कि डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सकीय सलाह ली जाए। साथ ही बिना चिकित्सकीय सलाह के बुखार की दवा खाना खतरनाक हो सकता है।
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तीन प्रकार के होते हैं डेंगू : डॉ. राजेन्द्र ने बताया डेंगू मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं। साधारण डेंगू, डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगूशॉक सिड्रोम। ज्यादातर लोगों को साधारण डेंगू ही होता है जो कुछ परहेज करने से ठीक हो जाता है। डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिड्रोम गंभीर श्रेणी में आते हैं यदि इनका शीघ्र इलाज शुरू नहीं किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिड्रोम में मरीजों के उपचार के लिए रक्तचाप एवं शरीर में खून के स्त्राव का निरीक्षण करना जरूरी होता है। एक प्रतिशत डेंगू ही जानलेवा है, लेकिन बेहतर प्रबंधन के अभाव में डेंगू 50 प्रतिशत तक खतरनाक हो सकता है।
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ऐसे करें बचाव
-घर में साफ-सफाई पर ध्यान रखें, कूलर एवं गमले का पानी रोज बदलें
-सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें
-मच्छर भागने वाली क्रीम का इस्तेमाल दिन में करें
-पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहने एवं कमरों की साफ-सफाई के साथ उसे हवादार रखें
-आसपास गंदगी जमा नहीं होने दें, जमा पानी एवं गंदगी पर कीटनाशक का प्रयोग करें
-खाली बर्तन एवं समानों में पानी जमा नहीं होने दें, जमे हुए पानी में मिट्टी का तेल डालें