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आखिर कबतक होता रहेगा अन्नदाताओं से अन्याय?

By Edited By: Published: Tue, 12 Jun 2012 08:10 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jun 2012 08:11 PM (IST)

बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता : जिले में हाईब्रीड बीज ने फिर यहां के किसानों को धोखा दिया है। दरअसल यहां एकंगरसराय प्रखंड के ओप पंचायत के दत्तु बिगहा व सदर प्रखंड के राजाकुआं गांव के दर्जनों किसानों की कई एकड़ जमीन पर लगी मक्के की लहलहाती बालियों से अनाज की जगह ठन-ठन गोपाल निकला है। ऐसे में जाहिर तौर पर यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर अन्न दाताओं के साथ ये हाईब्रीड बीज वाले कबतक मजाक करते रहेंगे। आखिर कब तक गरीब किसानों के खून-पसीने को हाईब्रीड बीज की प्रयोगशाला बनाया जाता रहेगा। वैसे विभाग तथा संबंधित बीज निर्माता कंपनी भले ही तरह-तरह के तर्क से अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते रहे, लेकिन किसानों की बर्बादी के लिए आखिर किसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। कृषि अधिकारी व बीज कंपनी वालों का कहना है कि निर्धारित अवधि में मक्के की बुआई नहीं होने व अधिक तापमान की वजह से ही परिणाम ऐसा आया है। अगर इनकी बात को सही भी मान लिया जाए तो क्या यह विभाग की जवाबदेही नहीं कि किसानों को अवधि चुकने के बाद होने वाले नुकसान से आगाह कर दिया जाय। अगर किसानों को हाईब्रीड बीजों के प्रत्यक्षण की अवधि तथा अन्य तौर-तरीकों पर कायदे से प्रशिक्षित कर दिया जाय तो फिर कोई कारण नहीं कि वे जान-बूझकर अपनी गर्दन ओखली में डालेंगे। यह कोई पहली घटना नहीं है। जब किसानों को फसलों से अनाज नहीं निकला हो। पहले भी मक्का, चना, मसूर व धान की हाईब्रीड बीजों ने यहां के हजारों किसानों के खून-पसीने को ठेंगा दिखलाया है। पिछले कई वर्षो से हाईब्रीड बीजों ने किसानों की खून-पसीने व मेहनत पर पानी फेर दिया है। इस दफे एकंगरसराय प्रखंड के ओप पंचायत व सदर प्रखंड के राजाकुआं सहित दर्जनों किसानों के मक्के की बालियों से बर्बादी उपजी है। इससे संबंधित किसानों की आर्थिक सेहत पर बड़ा कुप्रभाव पड़ा है। उनके इस नुकसान का असर आगामी खरीफ फसल की उपज पर भी पड़ेगा।

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क्या कहते हैं किसान

मैंने आलू की खेती के बाद मक्के की बुआई की थी। मुझे यह नहीं मालूम था कि मार्च में इस हाईब्रीड मक्के की बुआई से इतना नुकसान होगा। बुआई के बाद फसल भी अच्छी दिख रही थी। जब बाली तैयार हुई तो उसमें एक भी दाना नहीं निकला तो बड़ी निराशा हुई।

राजेन्द्र प्रसाद, किसान, राजाकुआं

हम किसानों द्वारा विपरीत परिस्थिति में खून-पसीने की कमाई लगाकर फसल उपजाई जाती है। हमलोग कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह मानकर विभिन्न प्रकार के बीजों का प्रत्यक्षण करते हैं। ऐसे में धोखा होने पर विभाग को हर्जाना देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो यह हम गरीब किसानों के साथ भारी अन्याय होगा।

नंदु प्रसाद, दतु बिगहा, एकंगरसराय

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो का कहना है कि ऐसा अत्यधिक तापमान की वजह से हो रहा है। किसानों को बीज प्रत्यक्षण के लिए पूर्व निर्धारित अवधि के प्रति भी सजग रहना चाहिए। वैसे संबंधित किसानों को नुकसान की भरपाई के लिए विभाग हर जरूरी कदम उठायेगा।

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