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सरस्वती के मंदिर में होती शनिदेव की अराधना! जानें क्या है यहां की परंपरा... WestChamparan News

पश्चिम चंपारण के एक प्राथमिक विद्यालय में गूंजते शनिदेव के श्लोक। 1993 में स्थापित इस स्कूल में दो दशक से चली आ रही यह परंपरा। पढ़े पूरी खबर...

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 10:13 AM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 10:13 AM (IST)
सरस्वती के मंदिर में होती शनिदेव की अराधना! जानें क्या है यहां की परंपरा... WestChamparan News

पश्चिम चंपारण [राजेश बैठा]। मां सरस्वती को विद्या की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। लेकिन, बगहा दो प्रखंड में एक ऐसा विद्यालय है जहां प्रतिदिन शनिदेव की आराधना के बाद पठन-पाठन शुरू होता है।  बगहा दो प्रखंड की चमवलिया पंचायत स्थित प्राथमिक विद्यालय बरवासानी में सुबह प्रार्थना सभा के बाद जब कक्षाएं लगती हैं तो सर्वप्रथम शनिदेव के श्लोक का उच्चारण होता है। सारे बच्चे इसे दोहराते हैं। इसके उपरांत ही पढ़ाई शुरू होती है। 1993 में स्थापित इस विद्यालय में यह परंपरा दो दशक से चली आ रही है। 

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  स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले सिर्फ शनिवार को शनिदेव की पूजा की जाती थी। वर्ष 2003 में वर्तमान प्रधान शिक्षक नीतू कुमारी के योगदान के बाद इसे नियमित कर दिया गया। शिक्षकों की मानें तो इस आराधना से शनिदेव प्रसन्न रहते हैं और विद्यालय के सभी काम बेहतर ढंग से निष्पादित होते हैं। 

 स्थानीय निवासी उदय साह, योगेंद्र साह, रवि साह, महेश उरांव, दुर्योधन साह, दुर्गेश कुमार, मोहित राम, शैलेश आदि बताते हैं कि वर्षों पहले यहां के सरकारी विद्यालयों में शनिवार को शनिदेव की पूजा की परंपरा थी। अब यह समाप्त हो गई है। 

  स्कूल के विद्यार्थी अजय कुमार, विकास कुमार, पलक कुमारी, रागिनी कुमारी, नेहा कुमारी, ज्योति कुमारी अमित कुमार, रोहित कुमार आदि कहते हैं कि हम प्रतिदिन अगरबत्ती व फूल लेकर स्कूल आते हैं। शिक्षकों की मौजूदगी में पहले श्लोक के वाचन के साथ शनिदेव की पूजा करते हैं और फिर पढ़ाई शुरू होती है। 

 इस बारे में बरवासानी राजकीय प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक नीतू कुमारी बताती है कि 'विद्यालय में मेरे योगदान के पूर्व से शनिदेव की पूजा की परंपरा चली आ रही थी। मैंने उसे नियमित कर दिया। अब बच्चों की दिनचर्या में यह है।'


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