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Lockdown Effect: खाने को पड़े लाले तो मजदूर वापस चले परदेस कमाने, जानिए

लॉकडाउन में प्रदेशों से अपने गांव लौटै मजदूर अब वापस परदेस की तरफ जा रहे हैं। ऐसे कुछ मजदूर में मिले मुजफ्फरपुर जंक्‍शन पर। दैनिक जागरण से बातचीत में कही ये बातें..

By Murari KumarEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 05:43 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 05:43 PM (IST)
Lockdown Effect: खाने को पड़े लाले तो मजदूर वापस चले परदेस कमाने, जानिए
Lockdown Effect: खाने को पड़े लाले तो मजदूर वापस चले परदेस कमाने, जानिए

मुजफ्फरपुर, पंकज कुमार। क्या कहूं, घर में खाने के लाले पड़े हैं। क्या करता। कमाने फिर से परदेस जा रहा हूं। मजदूरी ही जीवन का आधार है। बच्चों, मां-बाप, पत्नी का भरण-पोषण करना है। मदद करने वाला कोई नहीं है। गांव में एक माह से बिना काम के बैठे हुए थे। दूसरों से कर्ज लेकर कितने दिन पेट भरते रहे। रोजगार नहीं मिलता है।

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सरकार ने मजदूरों के लिए कई योजनाओं की घोषणा की, लेकिन सभी मजदूरों से दूर हैं। दूसरे के खेत को जोत कर 15 दिन पेट भर लिया। खेत में भी मजदूरी नहीं मिल रहा है। खेत मालिक प्रतिदिन काम नहीं दे रहा है। इससे कमाई भी नहीं हो रहा है और खर्च अधिक है। राशन भी जुटाने को पैसा नहीं है। अब ऐसा दिन आ गया कि दो दिनों से खाना तक नहीं बना।

 सोमवार को आनंद विहार जाने के लिए सप्तक्रांति एक्सप्रेस 02557 स्पेशल ट्रेन से यात्र करने वाले सीतामढ़ी निवासी चुन्नू सहनी व रेणु देवी ने यह आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि परिस्थिति काफी दयनीय हो गई । पढ़े-लिखे भी नहीं हैं। मजदूरी करके कमाई करते हैं। एजेंट ने 24 जून का कंफर्म टिकट दिया था। लेकिन मजबूरी ऐसी कि आठ जून को परदेस जाने को विवश है।

 मार्च में गांव आए सप्ताह भर रहकर वापस जाना था। लेकिन बीच में ही लॉक डाउन होने से ट्रेनें बंद हो गई। पैसा भी खत्म हो गया। कर्ज लेकर काम चलाते रहे। दूसरे के सहारे पेट नहीं चलता है। जिससे कर्ज लिया वह भी तुरंत पैसा मांगने लगा। सीतामढ़ी निवासी ममता देवी ने कहा कि 20 साल दिल्ली में बिता दिए। गांव में आर्थिक तंगी ने परेशान कर दिया।


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