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एईएस से जीत ली जंग तो हिस्से आई दिव्यांगता, जानें अब किन परेशानियों से हो रहे दो-चार

AES विगत साल एईएस से बीमार 443 बच्चे स्वस्थ होकर घर लौटे थे। इनमें आधा दर्जन से अधिक बच्चों में दिव्यांगता के लक्षण।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 03:08 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 03:08 PM (IST)
एईएस से जीत ली जंग तो हिस्से आई दिव्यांगता, जानें अब किन परेशानियों से हो रहे दो-चार
एईएस से जीत ली जंग तो हिस्से आई दिव्यांगता, जानें अब किन परेशानियों से हो रहे दो-चार

मुजफ्फरपुर, [अमरेन्द्र तिवारी]। गत वर्ष एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) ने ऐसा कहर ढाया कि एसकेएमसीएच में इलाज के लिए आए 167 बच्चे काल के गाल में समा गए। जबकि, 443 स्वस्थ होकर घर लौटे। इनमें से आधा दर्जन से अधिक बच्चों में दिव्यांगता के लक्षण दिख रहे। इन्हें स्वास्थ्य लाभ तो दिया गया, लेकिन आर्थिक मदद नहीं मिलने से परिजन बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। अधिकारी मदद देने की बात तो कहते हैं, लेकिन कब कहना मुश्किल है।

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स्वास्थ्य जांच कराई

जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से बीमारी का कहर खत्म होने के बाद विशेष अभियान चलाकर बीमार बच्चों की स्वास्थ्य जांच कराई गई। इसमें यह बात सामने आई कि जो बच्चे बीमारी के बाद घर लौटे, उनमें से गायघाट में दो, कांटी, मुशहरी, पारू और साहेबगंज में एक-एक बच्चे में दिव्यांगता के लक्षण दिखे। गायघाट प्रखंड के चंदन सिंह के पुत्र लक्षवीर सिंह और मो. तबरेज के पुत्र तौफिक आलम की आंखों में आंशिक गड़बड़ी, कांटी प्रखंड के राज कुमार राय की पुत्री अनुष्का कुमारी के दाहिने हाथ और आंखों में आंशिक गड़बड़ी, मुशहरी प्रखंड के सीताराम पासवान की पुत्री रौशनी कुमारी के ऊपरी दाहिने अंग में पक्षाघात, पारू प्रखंड के राज किशोर महतो की पुत्री जूली कुमारी के दोनों पैरों व हाथों की दिव्यांगता और साहेबगंज प्रखंड के उमेश पटेल के पुत्र अमित कुमार के ऊपरी दाहिने अंग में कमजोरी की बात सामने आई।

बोले परिजन-खुद खरीद रहे दवा

दिव्यांगता की शिकार कांटी प्रखंड निवासी साढ़े चार वर्षीय अनुष्का के चाचा सुशील कुमार राय ने बताया कि पिछले साल अस्पताल में उसका मुफ्त इलाज हुआ। चिकित्सकों ने तीन साल तक दवा खाने की सलाह दी। उसके दाहिने हाथ में अभी कमजोरी है। दृष्टि में कमी आई है। पिता राजकुमार राय गांव में एक दुकान चलाते हैं।

निजी वाहन का मिलेगा भाड़ा

एईएस से पीडि़त बच्चे को अस्पताल तक लाने के लिए विभाग परिवहन व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त कर रहा है। मरीजों को लाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा के साथ ही सरकारी वाहन का उपयोग किया जाएगा। प्रखंड विकास पदाधिकारी, थानाध्यक्ष पीडि़त को अपनी वाहन से अस्पताल पहुंचाएंगे। अगर कोई स्वजन अपने बच्चे को निजी वाहन से लेकर अस्पताल पहुंचता है तो भाड़े के रूप में 400 रुपये दिए जाएंगे। अधिक प्रभावित प्रखंडों में पांच-पांच अतिरिक्त एंबुलेंस की व्यवस्था रहेगी। पिछले साल सबसे ज्यादा मरीज कांटी, मुशहरी, मोतीपुर, मीनापुर, बोचहां में मिले थे।

नियमित निगरानी रखने का निर्देश

मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि एईएस से पीडि़त रहे दिव्यांग बच्चों की पहचान कर वहां के पीएचसी प्रभारी को सूची सौंप दी गई है। बच्चों के स्वास्थ्य पर नियमित निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है। इन बच्चों की दो साल तक दिव्यांगता की जांच होगी। अगर ये स्थायी दिव्यांग हो गए तो उनकोदिव्यांगता के तहत मिलने वाली सुविधाएं मिलेंगी। फिलहाल उनकी जांच कराकर दवा की व्यवस्था कराने की पहल होगी।


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