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अजब-गजब: बिहार की इस यूनिवर्सिटी में बिना पढ़ाई बेहतर रिजल्ट की गारंटी!

क्या आपने सुना है कि बिना पढ़े बेहतर रिजल्ट भी हो सकता है। लेकिन ये संभव है क्योंकि बिहार का ये विश्वविद्यालय बिना पढ़े आपको बेहतर रिजल्ट की गारंटी देता है। कैसे? जानिए इस खबर में..

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 06:11 PM (IST)Updated: Sun, 30 Sep 2018 09:31 PM (IST)
अजब-गजब: बिहार की इस यूनिवर्सिटी में बिना पढ़ाई बेहतर रिजल्ट की गारंटी!
अजब-गजब: बिहार की इस यूनिवर्सिटी में बिना पढ़ाई बेहतर रिजल्ट की गारंटी!

मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। इन दिनों बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में नामांकन का बड़ा क्रेज है। खास बात यह कि पश्चिम बंगाल से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं नामांकन के लिए यहां पहुंच रहे। उनका कहना है कि यहां बिना पढ़ाई किए भी बेहतर रिजल्ट हो जाता। पीजी के एक ऐसे ही छात्र ने इतिहास विभाग में शिक्षक के समक्ष यह बात स्वीकार की। 

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पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से पीजी थर्ड सेमेस्टर में फॉर्म भरने आए छात्र से मुलाकात हो गई। उसके विभाग के वरीय शिक्षक डॉ. पंकज राय व अन्य दो शिक्षिकाएं भी मौजूद थीं। पोस्ट ग्रेजुएट का यह छात्र साधारण सवाल पूछने पर भी सकपकाने लगा था।

उधर, जवाबदेह पदाधिकारी कहते हैं कि उपस्थिति कौन पूछे, जब आज नामांकन होता है और कल परीक्षा लेनी है। क्लास चलेगी तब न कोई बात होगी। पीजी थर्ड सेमेस्टर में अभी फार्म भरा जा रहा और दूर-दराज के छात्र-छात्राएं पहुंच रहे हैं।

पश्चिम बंगाल के छात्र ने खोली पोल

उक्त छात्र कृष्णा मंडल से जब पूछा गया कि वहां क्यों नहीं पढ़ाई की तो जवाब आया, इधर रिजल्ट अच्छा होता है, यह सोचकर आ गए। ग्रेजुएट की स्पेलिंग नहीं बोल पानेवाला यह छात्र सामने बैठे शिक्षक डॉ. पंकज राय का नाम व पदनाम भी ठीक से नहीं बता सका। सामने बोर्ड पर लिखे उनके नाम व पदनाम देखकर भी पढ़ नहीं पा रहा था। 

ग्रेजुएट व पीजी का मतलब भी नहीं समझता

बात यहीं नहीं रुकती। कुलपति क्या होते हैं, यह भी नहीं जानता। उनका नाम पूछने पर उसने बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर जो विश्वविद्यालय का नाम है, यही बताने लगा। इतिहास विषय का छात्र है, लेकिन उस विषय को अंग्रेजी में क्या बोला जाता है, यह भी नहीं बता पाया। पीजी का फुल फॉर्म पूछने पर मास्टर ऑफ आट्र्स बताने लगा। ग्रेजुएट की स्पेलिंग भी उसे नहीं आती। इस छात्र के जवाब सुनकर मौके पर मौजूद शिक्षक भी हतप्रभ थे। 

रेग्युलर मोड में डिस्टेंस एजुकेशन जैसी सुविधा 

उम्र, हालात और विपरीत परिस्थितियों से जूझकर बाहर से आने वाले विद्यार्थी यहां नामांकन ले रहे और आराम से परीक्षाएं भी पास कर रहे हैं। यह छात्र बिहार की उस चौपट हो चुकी उच्च शिक्षा व्यवस्था की  बानगी पेश करता है।

ऐसे छात्र मास्टर डिग्री तक पहुंच कैसे गए, उनका नामांकन ले लिया गया, अब उन्हें परीक्षा देने के लिए फॉर्म भी भरने की इजाजत मिल गई है। इन्होंने कभी रेग्युलर क्लास भी नहीं की। 75 फीसद क्लास की अनिवार्यता को भी पूरा नहीं किया। यह बड़ा सवाल है।

छात्र हम के विश्वविद्यालय अध्यक्ष संकेत मिश्रा का कहना है कि नोट्स शेयरिंग व मॉडल गेस पेपर की इन्हें सहायता तो मिलती ही है, पैरवी से रिजल्ट भी बढिय़ा हो जाता है। वर्षों से यह व्यवस्था है। बिल्कुल डिस्टेंस एजुकेशन की तरह यहां सुविधा मिल रही। ऐसे विद्यार्थी धड़ल्ले से एडमिशन लेकर बगैर क्लास अटेंड किए हायर एजुकेशन व डिग्री हासिल कर रहे। 

विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ने कहा-

उपस्थिति कौन पूछे जब आज नामांकन होता है और कल परीक्षा लेनी है। क्लास चलेगी तब न कोई बात होगी। देखिए, एक तो सेशन यहां विलंब है। दूसरा क्लास रेग्युलर नहीं होती। जब पढ़ाई ही ठीक ढंग से नहीं होगी तो गुणवत्ता कैसे सुधरेगी। 

-डॉ. विवेकानंद शुक्ला, विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग व प्रॉक्टर, बीआरएबीयू


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